जालंधर/अलावलपुर . स्क्रीनिंग करवाने की बजाय चुपचाप घर में बैठे विदेशों से अाए लोगों का अब घर-घर जाकर सर्वे शुरू हो गया है। सेहत विभाग के साथ प्रशासन ने टीमें वार्ड स्तर पर भेजकर ऐसे लोगों की पहचान शुरू कर दी है, जो कोरोना वायरस के कारण परिवार के साथ ही समाज के लोगों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकते हैं। रविवार को वार्ड 11 में पटवारी ने पार्षद पति मनोज बड़िंग मनु से जानकारी लेकर बड़िंग सहित आसपास में विदेश से आए लोगों की जानकारी ली। वार्ड भर में फिलहाल 16 लोगों की पहचान हुई है, जो फिलहाल विदेश यात्रा से आए हैं। ऐसे लोगों के घर के बाहर स्टिकर लगा दिया गया है। क्वारेंटाइन करके उनसे कहा गया है कि वो 14 दिन तक घर से न निकलें और न ही कोई उनके घर जाए। बाकायदा स्टिकर में पूरी डिटेल लिख दिया गया है।
इसी तरह स्वास्थ्य विभाग की टीम अौर पुलिस ने रविवार को अलावलपुर और आसपास के गांवों में भी एनअारअाई की तलाश की। उनको घर में रहने की गाइडलाइन दी अौर उनकी पहचान संबंधी घर के गेट पर स्टिकर भी लगाया गया। अलावलपुर में इटली, अमेरिका, पोलैंड, फिलीपाइन अौर कनाडा से आए 15 एनआरआई की स्वास्थ्य विभाग कर्मचारियों अौर पुलिस की टीम ने घर जाकर सेहत की जानकारी ली। उन्हें 15 दिन तक घर में ही रहने की गाइडलाइन दी। पुलिस ने एनआरआई से खुद जाकर स्क्रीनिंग करवा प्रशासन को सहयोग करने की अपील की। पुलिस के पास फिलहाल 40 के करीब एनआरआई की लिस्ट आई है, जो हाल में विदेश से लौटे है। उन्हें पुलिस द्वारा वेरिफाई किया जा रहा है।
विदेश से आया व्यक्ति बोला- डाॅक्टरां दी टीम आणी चाहीदी सी, इत्थे सरकारी तंत्र कम्म करके राजी नहीं, सेहत विभाग दी टीम घर आई स्टिकर चिपकाया- मोहर लगा बिना स्क्रिनिंग चली गई
आदमपुर पुलिस विदेश से आए सभी नए पुराने लोगों की जानकारी को पुख्ता रूप में स्पष्ट करने के लिए डोर टू डोर अभियान चला रही है। वहीं यह बात आश्चर्यजनक रही की रविवार को पुलिस पार्टी के साथ सेहत विभाग की टीम नजर ही नहीं आई। इस बात का खुलासा तब हुआ जब सब इंस्पेक्टर रीना, एएसआई हरप्रीत सिंह के नेतृत्व वाली पुलिस टीम अमेरिका से आए दो व्यक्तियों की पहचान करने के लिए उनके घर पहुंची। इस मौके पर उनके साथ कोई डाॅक्टर नहीं था। विदेश से लौटे व्यक्ति ने जब डाॅक्टर के बारे में पूछा तो पुलिस ने बताया कि वे अलग से जांच कर रहे हैं। करीब डेढ़ घंटे के बाद उनके घर नर्सिंग स्टाफ पहुंचा। नर्सिंग स्टाफ ने भी मौके पर पहुंच कर सिर्फ ओपचारिकता की खानापूर्ति करते हुए सिर्फ विदेश से आने की तारीख पूछी, दरवाजे पर नाम लिखकर स्टिकर चिपकाया व दोनों व्यक्तियों के बाजू पर नीले रंग की मोहर लगा दी और उन्हें किसी से भी मिलने से मना किया। टीम ने विदेश से लौटे व्यक्तियों का बुखार तक चेक करना जरूरी नहीं समझा।
जैसा अमेरिका से लौटे व्यक्ति ने बताया
विदेश से आया व्यक्ति बोला- ‘डाक्टर दी टीम आणी चाहीदी सी, इत्थे सरकारी तंत्र कम करके राजी ही नहीं, सेहत विभाग दी टीम घर आई स्टीकर चिपकाया- मोहर लगा बिना स्क्रीनिंग चली गई।’ उन्होंने कहा कि यहां पुलिस पहले पहुंचती है, जिससे विदेश से आए लोग घबरा जाते हैं। सेहत विभाग की नर्सें मेरे घर आईं, मुझसे विदेश से आने की तारीख पूछी, एक स्टिकर पर मेरा व मेरी मां का नाम लिखा, दोनों की कलाई में नीले रंग की मोहर लगाई और चले गए। यह कैसी स्क्रीनिंग हुई मुझे समझ नहीं आया। जब मैं 11 मार्च को विदेश से लौटा था तो एयरपोर्ट पर हमारी पूरी जांच के बाद ही हमें जाने दिया गया था, लेकिन यहां बुखार तक चेक करना जरूरी नहीं समझा।
मैं कोई जानकारी नहीं देणी, मेनू आपने स्टाफ ते भरोसा आ
जब इस संदर्भ में डॉ. भुपिंदरपाल सिंह रंधावा से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कहा- मैं कोई जानकारी नहीं देणी, मेनू आपणे स्टाफ ते भरोसा आ, ऐसा कहते हुए डॉ. साहिब मर्यादा भूल गए और लोकतंत्र के स्तंभ की भी परवाह न करते हुए बोले कि मैं खबरां खूबरा पढ़दा ही नहीं, थैंक्यू।