चंडीगढ़ . सूबे के आरटीओ कार्यालयों में एजेंटों के मकड़जाल को तोड़ने के लिए ट्रांसपोर्ट विभाग ने तोड़ निकाल लिया है। हैवी ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया को समयबद्ध करने को लेकर ट्रांसपोर्ट विभाग ने कमेटी गठित की है। इसके अलावा ड्राइविंग स्कूलों पर भी विभाग की नजर रहेगी कि इनका कामकाज कैसा है और क्या गड़बड़ियां हो रही हैं। अब अगर किसी भी कर्मचारी या अधिकारी ने 30 दिन में आवेदक का लाइसेंस जारी नहीं किया तो उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई होगी। जिसमें उसे सस्पेंड करने तक की नौबत भी आ सकती है।
सूबे में 89 ड्राइविंग स्कूल हैं और 32 आटोमेटिव ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक हैं। इन टेस्टों के लिए कोई मेडिकल फीस नहीं ली जाती है एवं 8 ट्रैक पर डॉक्टर मौजूद हैं इसके अलावा हेल्प डेस्क भी बनाई गई है। हाल ही में ट्रांसपोर्ट विभाग की एक मीटिंग में कुछ अहम फैसले लिए गए हैं। जिसमें सबसे अहम फैसला यह लिया गया है कि अकसर आवेदकों को लाइसेंस बनवाने के लिए कई दिनों तक आरटीओ कार्यालय के चक्कर काटने पड़ते हैं।
इससे कई बार आवेदक इन चक्करों से बचने के लिए एजेंटों के चक्कर में पड़ जाते हैं। अकसर लोगों को आरटीओ आफिस में लाइसेंस बनवाने के लिए काफी परेशानी का समाना करना पड़ता था। जिसमें कई बार आवेदकों को सारे टेस्ट पास करने के बावजूद कई महीनों तक लाइसेंस ही नहीं मिलता था। विभाग के उच्च अधिकारियों के पास भी ऐसी शिकायतें पहुंच रही थी। जिसके बाद विभाग ने कुछ ठोस कदम उठाए है।
प्रदेश में हैं 89 ड्राइविंग टेस्ट स्कूल और 32 आटोमेटिव टेस्ट ट्रैक
- लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया और आसान- अब आवेदकों के लिए ड्राइविंग लाइसेंस की बनाने की प्रक्रिया को और आसान बनाया जाएगा। इसके बाद यह फैसला लिया गया कि ड्राइविंग लाइसेंस बनाने से लेकर उसकी डिलीवरी तक के समय को टाइम बाउंड किया जाए। अकसर लोगों को एक स्लिप पकड़ा दी जाती है लेकिन लाइसेंस की डिलवरी होने में महीनों तक का समय लग जाता है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा इसकी प्रक्रिया भी आसान हाेगी और समय भी निर्धारित किया गया है।
- टेस्ट देते क्या गलती की, बताएगा विभाग- ट्रांसपोर्ट विभाग के ड्राइविंग स्कूलों में लाइसेंस बनवाने के दौरान ड्राइविंग टेस्ट पास करने के लिए विभाग द्वारा एक टेस्ट लिया जाता है। जिसमें यह देखा जाता है कि आवेदक वाहन चलाने और ट्रैफिक नियमों के बारे में कितनी जानकारी है। अकसर कई लोग इस टेस्ट में फेल हो जाते हैं और दोबारा टेस्ट लेने पर भी वही गलती करते हैं। लेकिन उन्हें बताया नहीं जाता है कि वह कहां गलती कर रहे हैं। अब टेस्ट के बाद आवेदक को बताया जाएगा कि आवेदक ने क्या गलती की ताकि अगली कार वही गलती न करे।
- विदेश जाने वालों को होती है परेशानी- पहली बार लाइसेंस बनवाने वाले एवं विदेश जाने वाले बच्चों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है। यह लाइसेंस बच्चो को विदेशों में रोजगार दिलाने में मददगार साबित होते है। इन लाइसेंस के आधार पर बच्चो के विदेशों में लाइसेंस बनवाने में आसानी होती है और अपने देश से भी बच्चे इंटरनेशनल लाइसेंस बनवा सकते है। यह प्रक्रिया आसान होने से सबसे ज्यादा फायदा इन बच्चों को भी होगा।
ट्रांसपोर्ट मंत्री की मीटिंग में फैसला
आवेदकों को आने वाली समस्याओं को लेकर हाल ही में ट्रांसपोर्ट मंत्री रजिया सुल्ताना,सैक्रेटरी ट्रांसपोर्ट और स्टेट ट्रांसपोर्ट कमिशनर के बीच एक मीटिंग हुई थी। इसमें ड्राइविंग स्कूलों पर निगरानी रखने क लिए डीसी को नोडल आफिसर और आरटीओ को सुपरविजन आफिसर के तौर पर तैनात किया जाएगा। यह समय समय पर इन स्कूलों में जाकर फिजिकल वेरीफिकेशन करेंगे। इसके साथ यह अधिकारी हर महीने अपनी एक रिपोर्ट बना का स्टेट ट्रांसपोर्ट कमिशनर को भेजेंगे।