बच्चों से फीस नहीं मांग सकेंगे निजि स्पकूल, अभिभावकों से करनी होगी बात, इधर, सरकारी स्कूल खुलना पड़ रहा भारी एक साथ भरनी पड़ रही है फीस
प्राइवेट स्कूल प्रबंधकों को फीस अथवा अन्य मसले के लिए बच्चों को परेशान करना भारी पड़ सकता है। इसके लिए उन्हें सीधे अभिभावकों से ही बात करनी होगी। प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को फीस न चुकाने अथवा फीस में देरी होने पर पूरी क्लास के बीच खरी-खोटी सुनाई जाती है जिससे बच्चे शर्मिंदगी महसूस करते हैं और कई संवेदनशील बच्चे तो निराश होकर मानसिक तनाव के शिकार भी हो जाते हैं। राष्ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा कमीशन ने लगातार बढ़ रहे इन मामलों पर कड़ा संज्ञान लिया है। इसमें राज्य सरकार के साथ शिक्षा विभाग को नोटिस जारी कर इस तरह के मामलों को रोकने के लिए पुख्ता प्रबंध करने व मनमानी करने वाले प्राइवेट स्कूल प्रबंधकं पर कड़ी कारर्वाई करने के निर्देश दिए है।
बठिंडा। शिक्षा विभाग ने स्कूल खोलने के दो महीने बाद ही अभिभावकों के सिर पर फीसों का बोझ लाद दिया है। यह स्थिति अकेले प्राइवेट स्कूलों की नहीं बल्कि सरकारी स्कूलों में भी बनी हुई है। प्राइवेट स्कूल के प्रबंधक को छात्रों को आनलाइन क्लास या फिर नौंवी से 12वीं तक लगने वाली रेगुलर क्लासों में ही फीस के लिए प्रताड़ित करने में लगे हैं। इसमें अभिभावकों को भी फोन कर बच्चों का रिजल्ट रोकने, अगली क्लास में दाखिला नहीं देने व नोटिस जारी करने की धमकियां दे रहे हैं वही कई स्कूलों ने तो बच्चों के नाम तक काटने शुरू कर दिए है। शहर के कई स्कूलों ने तो बच्चों की आनलाइन क्लास के ग्रुप से ही हटा दिया है व उन्हें रेगुलर मैसेज कर फीस नहीं भरने पर स्कूल से हटाने की धमकियां दी जा रही है। इन तमाम कारणों से बच्चे जहां मानसिक परेशानी से जुझ रहे हैं वही लाकडाउन के कारण आर्थित तंगी से जूझ रहे अभिभावकों के लिए भी रातों की नींद उड़ रही है। इसे लेकर कई अभिभावकों ने तो बकायदा राज्य के शिक्षा मंत्री व शिक्षा विभाग के पास लिखित शिकायत दी है व ऐसे स्कूलों के खिलाफ कारर्वाई की मांग की है।
वही सरकार की हिदायतों पर 15 अक्टूबर से 9वीं से 12वीं के विद्यार्थियों के लिए ही 3 घंटे के लिए सिर्फ सरकारी स्कूल ही खुले और इन कक्षाओं के विद्यार्थियों से साल भर का फंड के साथ-साथ परीक्षा फीसें वसूलना शुरू कर दिया है। वहीं 11वीं के विद्यार्थियों की कंटीन्यू के तौर पर 150 रुपए भी जमा करवाए गए और समय पर फीस न भरने की एवज में इनके नाम तक काट दिए गए। सरकारी स्कूलों में पहली से 8वीं तक पढ़ाई मुफ्त है, जबकि 9वीं से 12वीं कक्षा के लिए स्कूल खोलने पर पूरे साल की फीस एकत्र की जा रही है। कक्षा 9वीं व 10वीं के बच्चों से पीटीए, स्पोर्ट्स, कल्चरल एक्टिविटी और अमलगमेटेड फंड का प्रति माह 55 रुपए के अनुपात में साल भर का 660 रुपए जमा करवाए जा रहे हैं। वहीं 11वीं व 12वीं के विद्यार्थियों से ज्योग्राफी, फाइन आर्ट, फिजिक्स, केमिस्ट्री व बायोलॉजी के फंड समेत पीटीए, स्पोर्ट्स, कल्चरल एक्टिविटी और अमलगमेटेड फंड के साल के 1128 रुपए भरने की हिदायत है। वहीं 10वीं परीक्षा फीस 1100 रुपए जबकि 12वीं की परीक्षा फीस 1650 रुपए 10 दिसंबर तक जमा करवाई गई जबकि इसके बाद 500 रुपए लेट फीस वसूली जा रही है।
बच्चों से फीस नहीं मांग सकेंगे निजी स्कूल, अभिभावकों से करनी होगी बात
प्राइवेट स्कूल प्रबंधकों को फीस अथवा अन्य मसले के लिए बच्चों को परेशान करना भारी पड़ सकता है। इसके लिए उन्हें सीधे अभिभावकों से ही बात करनी होगी। प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को फीस न चुकाने अथवा फीस में देरी होने पर पूरी क्लास के बीच खरी-खोटी सुनाई जाती है जिससे बच्चे शर्मिंदगी महसूस करते हैं और कई संवेदनशील बच्चे तो निराश होकर मानसिक तनाव के शिकार भी हो जाते हैं। राष्ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा कमीशन ने लगातार बढ़ रहे इन मामलों पर कड़ा संज्ञान लिया है। इसमें राज्य सरकार के साथ शिक्षा विभाग को नोटिस जारी कर इस तरह के मामलों को रोकने के लिए पुख्ता प्रबंध करने व मनमानी करने वाले प्राइवेट स्कूल प्रबंधकं पर कड़ी कारर्वाई करने के निर्देश दिए है।
डीईओ आफिस में लगाया गया जागरूकता पर्चा
बच्चों के मानसिक तनाव में घिरने के अनेक मामले सामने आए। अभिभावकों और स्कूल प्रबंधकों में फीसों को लेकर चल रही खींचतान का खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ा। प्राइवेट स्कूलों ने री-एडमिशन समेत तमाम तरह के फंड के लिए अभिभावकों पर दबाव बनाया, आर्थिक तंगी से जूझने के बावजूद अपने बच्चे के भविष्य की खातिर जैसे-तैसे अभिभावकों ने फीसें भरी। सरकार की कार्यवाही से बचने को बच्चों को अगली कक्षाओं में
प्रोमोट किया, लेकिन फीस के लिए परेशान किया जाता रहा। ऑनलाइन कलासेज के सोशल मीडिया ग्रुप में जलील किया जबकि 10वीं व 12वीं कक्षाओं की लिस्टें बोर्ड में भेजने की एबज में एडमीशन, ट्यूशन फीस समेत तमाम तरह के फंड भरवाए गए। स्कूल प्रबंधकों की ओर से फीस न चुकाने वाले
बच्चों के नाम बोर्ड क्लासेज की लिस्ट से हटाकर लिस्ट सोशल मीडिया ग्रुप में शेयर की गई जिससे बच्चों को परीक्षा में नहीं बैठने की
चिंता के साथ शर्मिंदगी उठानी पड़ी।
हाइकोर्ट के आदेशों के पालन का निर्देश
फीस एवं अन्य मसलों का ठीकरा थोपने से बच्चों के मानसिक पीड़ा के शिकार होने पर पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों को अपनी कारगुजारी सुधारने के कड़े निर्देश दिए हैं। शिक्षा सचिव की ओर से प्रदेश के तमाम प्राइवेट स्कूलों को शिक्षा विभाग ने राष्ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा कमीशन के पत्र का हवाला देते हुए प्राइवेट स्कूल प्रबंधकों की ओर से विद्यार्थियों को फीस अथवा अन्य मसलों के लिए परेशान न करने की कड़ी हिदायत दी है। अभिभावकों
की शिकायतों से यह बात सामने आई है कि अनेक प्राइवेट विद्यार्थियों से फीस मांगते हैं और फीस अदा न करने अथवा देरी होने पर विद्यार्थियों को मानसिक तौर पर परेशान भी करते हैं। इस मसले में पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट के आदेशों का कड़ाई से पालना करने के लिए फीस की अदायगी अथवा अन्य मसलों के लिए बच्चो को परेशान न किया जाए। अगर फीस से संबंधित अथवा ऐसा कोई मसला हो तो इस बारे में केवल विद्यार्थी के अभिभावक से ही बातचीत की जाए। वही किसी भी बच्चे को आनलाइन क्लास के ग्रुप से नहीं हटाया जाए।
शिक्षा विभाण को निरंतर मिली मनमानियों की शिकायतें
शिक्षा मंत्री की ओर से स्कूल प्रबंधकों की मनमानियों पर लगाम के लिए तमाम डीईओ आफिस में कंपलेंट सेंटर बनाकर नोडल अफसर तैनात किए गए।वेबसाइट deose.bathinda@punjabeducation.gov.in पर प्राइवेट स्कूलों के सताए अभिभावकों की 8 से 40 शिकायतें प्राप्त होती रही। अधिकांश शिकायतें फीस मांगने को लेकर परेशान करने की ही थी, जिन्हें शिक्षा विभाग की ओर से निपटाया गया। हालांकि बड़े अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ने वाले
अपने बच्चों के भविष्य पर खतरे की आशंका से अधिकांश अभिभावक खुलकर सामने नहीं आए बल्कि सीधे शिक्षामंत्री व अधिकारियों तक अप्रोच करते रहे।