बठिंडा. कोरोना के दूसरे व तीसरे चरण के मरीजों की तादाद बढ़ना शुरू हो गई है लेकिन इसमें अभी तक प्राइवेट अस्पतालों में बैड रिजर्व करने के जिला प्रशासन आदेशों की पालना जमीनी स्तर पर नहीं हो सकी है। इसमें प्रशासन ने एक माह पहले दावा किया था कि जिले में प्राइवेट अस्पतालों में 500 के करीब बैडों का इंतजाम किया जाएगा। दूसरी तरफ स्थिति यह है कि जिले में आदेश अस्पताल में 37 बिस्तर तो मैक्स में 9 बिस्तरों का ही इंतजाम हो सका है। वही पिछले दिनों इंद्राणी अस्पताल ने 10, निवारण अस्पताल ने 10 तो सत्यम अस्पताल ने 5 बैंड का इंतजाम कोरोना मरीजों के लिए किया है। फिलहाल उक्त तादाद जरुरत के अनुसार काफी कम है। वही इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने जिला प्रशासन के इस आदेश को फिलहाल दरकिनार रखते मांग की है कि जिला प्रशासन अपनी तरफ से तय उपचार के रेट देने की बजाय उनकी तरफ से लिए जाने वाले चार्ज लागू करे जिसे वह डिस्पले करने को भी तैयार है।
इसमें जिला प्रशासन का कहना है कि मरीजों से होने वाली किसी भी तरह की इलाज के नाम पर लूट को रोकने के लिए वह अपने रेट लागू करेंगे। इस बात को लेकर आज तक कई अस्पताल कोविड मरीजो का उपचार करने के लिए राजी नहीं हो रहे हैं हालांकि राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने चेतावनी दी थी कि अगर कोई अस्पताल कोविड को लेकर मरीजों के उपचार को लेकर मनाही करता है उसका लाइसेंस रद्द किया जाएगा। इस आदेश का भी प्राइवेट अस्पतालों पर किसी तरह का असर नहीं दिखाई दिया। फिलहाल आईएमए के बठिंडा प्रधान व प्रदेश उपाध्यक्ष डा. विकास छाबड़ा ने आकाश्वानी के एफएम रेडियों में दिए इंटरव्यू मे कहा कि वह सरकार व जिला प्रशासन की तरफ से निर्धारित उपचार के लिए रेट पर मरीज को दाखिल करने में असमर्थ है। इसमें उन्होंने प्रशासन से कहा कि मरीज से वह केवल उपचार की फीस वसूल करेंगे व उन्हें पीपीई कीट व दवाईयां अपने स्तर पर खरीदनी होगी।
यही नहीं आईएमए ने कहा कि वह सरकारी डाक्टरों व कोरोना विरियर्स को मिलने वाली बीमा योजना की मांग कर रहे हैं जबकि सरकार व प्रशासन इसमें सहयोग देने को तैयार नहीं है। फिलहाल प्रशासन व प्राइवेट अस्पतालों के बीच चल रही खींचतान का खामियजा स्टेज तीन व चार के मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। सिविल अस्पताल में वेंटीलेटर की समुचित व्यवस्था की कमी के चलते व एकाएक बढ़ते स्टेज तीन व चार के मरीजों के कारण लोगों को बाहरी राज्यों की तरफ उपचार के लिए जाना पड़ रहा है। इसमें पीजीआई चंडीगढ़, मोहाली, पंचकुला से लेकर दिल्ली तक मरीज पहुंच ही नहीं पाता है व रास्ते में ही दम तोड़ देता है। बठिंडा में अभी तक 39 लोगों की जान जा चुकी है। वर्तमान में सरकारी तौर पर प्रशासन के पास एकमात्र अस्पताल फरीदकोट मेडिकल कालेज है जहां अधिकतर गंभीर मरीजों को रैफर करना पड़ रहा है। अगर प्राइवेट अस्पताल स्थानीय स्तर पर उपचार बड़े स्तर पर करना शुरू कर दे तो इसमें कई मरीजों की जान समय पर उपचार व सुविधा देने के कारण बच सकती है। आईएमए के अनुसार वर्तमान में जिले में मैक्स अस्पताल में 9 बिस्तरों का इंतजाम है जबकि आदेश में 37, इंद्राणी अस्पताल में 10, निवारण अस्पताल में 10 तो सत्यम अस्पताल में पांच बैंड कोरोना मरीजों के लिए रिजर्व रखे गए है। वही दिल्ली हार्ट ने अभी तक इस बाबत किसी तरह का सहयोग नहीं दिया है।