प्रशोत्तम मन्नू, रामपुरा फूल। पैसे कमाने के लिए लोग कैसे कैसे हथकंडे अपनाते हैं। उन्हें यह भी याद नहीं रहता कि जो काम वे कर रहे हैं, इससे किसी को नुक्सान भी पहुंच सकता है। कुछ ऐसा ही गोरखधंधा सामने आया है। रामपुरा फूल क्षेत्र में इन दिनों पशुओं को खिलाए जाने वाले सरसों व तिल के अवशेष खल के जगह धान के भूसे व इमली का बीज मिलाकर नकली खल व पशु आहार तैयार किया जा रहा है। इसमें खल व पशु खुराक में गत्ता, पत्थर की कंकरी, यूरिया व खतरनाक रंग डालकर पशु को बीमार किया जा रहा है व कुछ समय बाद इन पशुओं का दूध बंद हो जाता है व मौत हो जाती है। मामले में डेयरी संचालक व पशु पालक मौसमी बीमारी मानकर चुप्पी साध लेते हैं लेकिन माहिरों का कहना है कि पशुओं में होने वाली अधिकतर बीमारियां घटिया क्वालिटी की खल व पशु आहार के कारण हो रही है। बिल्कुल असली जैसा दिखने वाली इस नकली खल को असली खल में मिलावट के लिए तैयार किया जाता है। इसके लिए बकायदा इसमें कैमिकल युक्त हरा रंग मिलाया जाता है हालांकि चिकित्सकों की माने तो इससे पशुओं को काफी नुक्सान होता है। इस तरह के नकली पशु आहार के कारण रामपुरा फूल में कई डेवरी में पशुओं की मौत हो चुकी है। इसमें मवेशियों को खून की दस्त के साथ मुंह से झाग निकलने व बीमार होने की लगातार शिकायतें मिल रही है। दरअसल मिलावट के लिए तैयार किए जाने वाले नकली खल बनाने में जुटे लोग ट्रक के ट्रक धान का भूसा व इमली के बीज मंगाते हैं। रामपुरा फूल में मौड़ रोड व गांधी मार्किट इस गौरखधंधे के अड्डे बने हुए है जहां दर्जनों फैक्ट्री प्रशासन व पशु पालन विभाग की नाक तले उक्त गौरखधंधा कर रहे हैं।
खल व पशु खुराक बनाने वाले तेल पेरने वाली मशीन स्पेलर की तरह ही एक मशीन प्रयोग करते हैं। इस मशीन में धान के भूसे के साथ निश्चित मात्रा में इमली का बीज डाला जाता है। तीन चार बार के प्रक्रि या के उपरांत बिल्कुल असली खल सा दिखने वाला नकली खली बनकर तैयार हो जाता है। इस नकली खल को बोरे में भरकर ये अवैध कारोबारी आगे पंजाब के साथ राजस्थान व हरियाणा में भी सप्लाई करते है। करोड़ों रुपए के इस धंधे में सरकार को भी मी चपत लगाने का काम किया जा रहा है। दरअसल असली खल को चारा के साथ मिलाकर गाय, भैंस, बकरी व अन्य दुधारू पशुओं को दिया जाता हैं। रामपुरा के डेयरी संचालक सुखदेव सिंह का कहना है कि नकली पशु आहार के कारण उनके दर्जनों पशु बीमार हुए व कई जानवर मर भी गए है। इस बाबत प्रशासन व पशु पालन विभाग के पास शिकायते करते हैं लेकिन मामले में किसी तरह की कारर्वाई नहीं होती है। इस गौरखधंधे के कारण पशु पालकों का जानवर मरने से करोड़ों का नुकसान हर साल होता है।
असली के भाव बिक रही नकली खल
नकली खल को मिलावट खोरों के पास पहुंचाने के बाद वे लोग नकली खल को असली में मिलाकर मात्रा बढ़ा लेते हैं। सरसों व तिलों कीअसली खल 90 रुपए किलो तक मिलता है। इसी में नकली खली मिला देते हैं और उसका भी पूरा पैसा वसूल लेते हैं। हालांकि बाजार में 45 रुपएओ वाली भी खल उपलब्ध है। इसे दुकानदार ईमानदारी से ग्राहक को बता देते हैं कि ये मिलावट वाली है। इसे गोरखधंधे के जानकारों का कहना है कि यहां बनने वाली नकली खली ज्यादातर आसपास के इलाकों में भेजा जाता है।
पशु के लिए नुक्सानदायक है धान व इमली की खल : पशु चिकित्साधिकारी
इस संबंध में पशु चिकित्साधिकारी डा. गुरमेल सिंह औलख ने बताया कि गर्मी के दिनों में धान के भूसे से और भी अधिक गर्मी पैदा होती है और ये पशुओं के लिए काफी नुक्सानदायक है। जरूरत से अधिक अगर धान की भूसी व इमली के बीज वाली खली पशुओं को खिला दिया जाए तो वे बीमार पड सकते हैं। परंतु इसे अगर ईमली के बीज के साथ अधिक मात्र में पशुओं को दिया जाता है तो इससे पशुओं को गर्मी में अधिक नुक्सान होगा।