लद्दाख दौरे पर मोदी बनाम मनमोहन / सोशल मीडिया पर लोगों ने कहा- मनमोहन बाईपास सर्जरी के बाद भी सैनिकों से सादगी से मिले थे, लेकिन मोदी का वहां जाना पब्लिसिटी स्टंट

शुक्रवार को पीएम मोदी के लद्दाख दौरे के बाद ट्विटर पर ट्रेंड हुआ 'मुन्नाभाई एमबीबीएस', जिस हॉस्पिटल में घायल सैनिक भर्ती थे, उस पर उठाया सवाल, कहा- यहां पब्लिसिटी के लिए कैमरे लगाए गए, अफवाहों पर इंडियन आर्मी ने जारी किया बयान

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नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को अचानक लद्दाख दौरे पर पहुंचे थे। सुबह 9:30 बजे से शाम 5 बजे तक उनके लद्दाख दौरे की खबरें आती रहीं। इस दौरान मोदी नीमू फॉरवर्ड पोस्ट पर पहुंचे। सेना, वायुसेना और आईटीबीपी के जवानों से मिले। फिर गलवान में घायल हुए जवानों से अस्पताल में मुलाकात की।

सोशल मीडिया पर चल रही बहस में 69 साल के मोदी की तुलना पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से की जा रही है। मनमोहन 2005 में लद्दाख गए थे। तब वे सियाचिन पर जाने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री थे। तब उनकी उम्र 73 साल थी। एक बार उनकी बायपास सर्जरी भी हो चुकी थी।

एक और बहस सेना के हॉस्पिटल पर
एक और बहस इस बात पर भी है कि मोदी लेह में जिस अस्पताल में घायल सैनिकों से मिले, क्या वह वाकई अस्पताल था। सोशल मीडिया पर दावे किए गए कि वह अस्पताल नहीं, कॉन्फ्रेंस रूम था और मोदी के दौरे के लिए सैनिकों को वहां शिफ्ट किया गया था। हालांकि, आर्मी ने इन दावों को बेबुनियाद बताया है।

आर्मी का कहना है कि जहां सैनिकों को रखा गया है, वह अस्पताल का ऑडियो विजुअल हॉल जरूर है, लेकिन कोरोना की वजह से उसे पहले ही क्राइसिस एक्सपांशन फैसिलिटी के तहत आइसोलेशन सेंटर में बदला जा चुका था। गलवान में झड़प के बाद घायल सैनिकों को सीधे यहीं लाया गया था। तब से वे यहीं भर्ती हैं।

पहली बात : मोदी बनाम मनमोहन पर क्यों चर्चा हो रही है, 4 पॉइंट्स से समझें

#1) वो ट्वीट जिससे बहस शुरू हुई, पहला ट्वीट शुक्रवार रात को हुआ
ट्विटर पर गीत वी नाम हैंडल से शुक्रवार रात को एक ट्वीट हुआ। इसमें लिखा, एक ये पीएम (मनमोहन सिंह) थे जो लद्दाख पहुंचकर कर हमारे सैनिकों से मिले। उनकी उम्र मोदी से काफी अधिक थी। उनके पास कैमरामैन की टीम नहीं थी जो इनके दौरे को टीवी पर टेलीकास्ट करे, जब उन्होंने लद्दाख में घुसपैठ की तो चीनियों को पीछे हटा दिया।

#2) दूसरा ट्वीट शनिवार को सुबह हुआ
गीत वी ने दूसरे ट्वीट में लिखा, 2005 में डॉ. मनमोहन सिंह 12000 फीट ऊंचाई पर सियाचिन में जाने वाले पहले प्रधानमंत्री बने। उस समय उनकी उम्र 73 साल थी और कार्डियक बायपास सर्जरी हुई थी। वहां कोई मीडिया सर्कस नहीं हो रही थी।

#3) कैमरा नहीं था तो फोटो कहां से आई?
ट्वीट पर कमेंट करते हुए एक यूजर ने लिखा, मैडम! फोटो क्या सैटेलाइट से ली है, बिना कैमरा के। दूसरे यूजर ने लिखा, अच्छा ये प्रधानमंत्री थे, फिर जो राहुल गांधी ने सरेआम मंच पर इनके द्वारा लाया ऑर्डिनेंस फाड़ा था वो कौन था, सुपर प्रधानमंत्री।

#4) मनमोहन की सर्जरी 2005 में नहीं 1990 में हुई
एक यूजर ने गीत वी को टैग करते हुए लिखा, कृपया झूठ बोलना बंद कीजिए। मनमोहन सिंह की बायपास सर्जरी 1990 में हुई और 2004 में स्टेंट पड़े थे। दूसरी बायपास सर्जरी 2009 में हुई। अपने सोर्स को चेक करें। वो सियाचिन 2005 में गए थे। एक अन्य यूजर ने गीत वी को आंड़े हाथ लेते हुए मीडिया सर्कस का नाम दिया।

दूसरी बात : पीएम मोदी के दौरे के बाद जिस हॉस्पिटल पर सवाल उठ रहे हैं, उसका पूरा सच जानिए

#1) यूं हुई शुरुआत, ट्विटर पर ट्रेंड हुआ ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’

आप पार्टी की नेशनल सोशल मीडिया टीम से आरती ने ट्वीट करते हुए लिखा, यह देश के साथ धोखा है, फोटो खिंचवाने के लिए कॉन्फ्रेंस रूम को हॉस्पिटल में कंवर्ट किया गया। वहीं, एक अन्य यूजर ने लिखा, हॉस्पिटल में शूटिंग के लिए सेट-अप तैयार करना पड़ता है। हॉस्पिटल में घायल सैनिकों के बेड ऐसे नहीं बदलते। हॉस्पिटल से जुड़े अलग-अलग ट्वीट में हैशटैग के साथ ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ ट्वीट किया जा रहा है।

#2) हॉस्पिटल पर सवाल उठने की दो वजह जो सोशल मीडिया पर बहस की वजह बनीं

हॉस्पिटल पर सवाल उठने की दो वजह हैं। पहली- वहां की स्थिति। जिस हॉल में घायल सैनिक भर्ती हैं, वहां किसी तरह की चिकित्सीय सुविधाएं नहीं दिखाई दे रही हैं। दूसरी, वो फोटो जिसमें उसी हॉल में सेना के जवान इकट्‌ठा हैं और नाश्ता करते नजर आ रहे हैं। इन्हीं को आधार बनाकर सोशल मीडिया पर चर्चा जारी है। लोग दावा कर रहे है कि पीएम मोदी जिस हॉस्पिटल में गए वहां न तो कोई मेडिकल इक्विपमेंट था, न ऑक्सीजन सिलेंडर और न ही वेंटिलेटर। एक अन्य यूजर का कहना है कि यह मोदी का भारत के लिए मास्टर स्ट्रोक है न कि चीन के लिए। यह इंसान एक बार फिर देश का पीएम बनने के योग्य है।

#3) हॉस्पिटल से जुड़ी अफवाहों पर भारतीय सेना का जवाब

सोशल मीडिया पर फैली हॉस्पिटल से जुड़ी अफवाहों का जवाब देते हुए इंडियन आर्मी ने अपना बयान जारी किया। आर्मी का कहना है कि जहां सैनिकों को रखा गया है, वह अस्पताल का ऑडियो विजुअल हॉल जरूर है, लेकिन कोरोना की वजह से उसे पहले ही क्राइसिस एक्सपांशन फैसिलिटी के तहत आइसोलेशन सेंटर में बदला जा चुका था। गलवान में झड़प के बाद घायल सैनिकों को सीधे यहीं लाया गया था। तब से वे यहीं भर्ती हैं।

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