रूस के व्लादिवोस्तोक पहुंचे मोदी, दो दिन के दौरे पर अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए तलाशेंगे निवेश के नुस्खे
व्लादिवोस्तोक में होने वाली मोदी और पुतिन की मुलाकात बीते चार महीनों में तीसरी मुलाकात होगी. इससे पहले दोनों नेता किर्गीजस्तान की राजधानी में हुए एससीओ शिखर सम्मेलन औऱ जापान के ओसाक में हुई जी-20 शिखर बैठक के हाशिए पर मिले थे.
व्लादिवोस्तोक: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूस के दो दिवसीय दौरे का आज पहला दिन है. पीएम मोदी अपनी इस दो दिनी यात्रा में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए ताकत के कुछ नए नुस्खे तलाशने की कोशिश करेंगे. रूस के व्लादिवोस्तोक में हो रही ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम बैठक में बतौर खास मेहमान शरीक होने पहुंच रहे पीएम मोदी की कोशिश जहां नए निवेश अवसर तलाशने की होगी वहीं भारतीय हुनर के लिए नया बाजार खोजने का भी प्रयास होगा.
An important visit to further cement cooperation with a valued friend.
PM @narendramodi landed in Vladivostok a short while ago. A series of programmes await today as well as tomorrow. pic.twitter.com/za4HdIWreG
— PMO India (@PMOIndia) September 3, 2019
ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम की बैठक में विशेष अतिथि के तौर पर शिरकत के साथ ही पीएम मोदी रूसी राष्ट्रपति के साथ 20वीं सालाना शिखर बैठक की करेंगे. व्लादिवोस्तोक पहुंचने के बाद मोदी आज दोपहर पुतिन के साथ रूसी शिप बिल्डिंग यार्ड देखने जाएंगे. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक दोनों नेता एक साथ आइस ब्रेकर पोत पर भी नजर आएंगे. आइस ब्रेकर पोत पर पीएम मोदी की मौजूदगी अच्छी तस्वीर ही नहीं बल्कि आर्कटिक के तेल-गैस खजाने तक पहुंचने की भारतीय इच्छा की भी निशानी है.
रूस की मदद से भारत आर्कटिक के तेल-गैस खोज और खनन में शरीक होना चाहता है. विदेश सचिव विजय गोखले के मुताबिक पीएम मोदी की 36 घंटे की रूस यात्रा छोटी मगर सक्रिय संपर्क वाली है. इस दौरान द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मुलाकातों में आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने पर जोर होगा. गोखले के मुताबिक, पीएम मोदी ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम को 5 सितंबर को संबोधित करेंगे. साथ ही भारत-रूस बिजनेस फोरम में भी शरीक होंगे. इस फोरम के लिए 50 सदस्यीय कारोबारी प्रतिनिधिमंडल भारत से रूस गया है.
रूसी राष्ट्रपति के निमंत्रण पर पीएम मोदी विशेष आमंत्रित के तौर पर ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम(ईईएफ) में शामिल हो रहे हैं. इसके लिए राष्ट्रपति पुतिन ने पीएम मोदी को न्यौता 5 अक्टूबर 2018 को ही अपनी भारत यात्रा के दौरान दे दिया था. यानी भारत में लोकसभा चुनावों से सात महीने पहले. आर्थिक संपर्क बढ़ाने के लिए रूसी राष्ट्रपति ने ईईएफ की तीन साल पहले शुरुआत की थी. इस बैठक में मंगोलिया, मलेशिया और जापान के नेता भी पहुंचेगे. विदेश मंत्रालय के मुताबिक रूस के सुदूर पूर्व इलाके में भारत व्यापारिक सहयोग की संभावनाएं देख रहा है. कोकिंग कोल, तेल व गैस, डायमंड, टिंबर के अलावा कृषि और मानव संसाधन निर्यात की संभावनाएं हैं.
भारत के साथ भागीदारी बढ़ाने के इच्छुक हैं राष्ट्रपति पुतिन
विदेश सचिव के अनुसार इस इलाके में काम करने वालों की कमी के चलते भारतीय कामगारों के लिए अवसर हो सकते हैं जिनका भारत लाभ उठाना चाहता है. अपने पूर्वी इलाके की आर्थिक रफ्तार बढ़ाने में जुटे रूसी राष्ट्रपति पुतिन भारत के साथ भागीदारी बढ़ाने के इच्छुक हैं. ऐसे में पीएम मोदी की कोशिश भारतीय कंपनियों के लिए नई निवेश संभावनाएं जुटाने की होगी. कारोबारी रिश्तों को मजबूत करने की कड़ी में मोदी फार ईस्ट एग्जिबिशन स्ट्रीट भी जाएंगे. यह रूसी कंपनियों और उत्पादों की एक ऐसी नुमाइश है जहां भारतीय कंपनियां भी भागीदार हैं. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक पीएम इस प्रदर्शनी में रूसी एमआई-171-ए2 मल्टीरोल हैलीकॉप्टर व कामोव-226 हैलीकॉप्टर का प्रदर्शन भी देखेंगे. महत्वपूर्ण है कि भारत रूस से कामोव-226 हैलीकॉप्टर खरीद का पहले ही करार कर चुका है.
मोदी और पुतिन के बीच बीते चार महीनों में तीसरी मुलाकात
इसके अलावा पीएम रूस के कामचटका क्षेत्र में चल रहे टाटा पावर कोयला खनन और प्रिमोरये इलाके में जारी भारतीय केजीके समीह के खनन परियोजना संबंधी स्टॉल को भी देखेंगे. व्लादिवोस्तोक में होने वाली मोदी और पुतिन की मुलाकात बीते चार महीनों में तीसरी मुलाकात होगी. इससे पहले दोनों नेता किर्गीजस्तान की राजधानी में हुए एससीओ शिखर सम्मेलन औऱ जापान के ओसाक में हुई जी-20 शिखर बैठक के हाशिए पर मिले थे. भारत और रूस के बीच 1999 से द्विपक्षीय शिखर बैठकों की परंपरा चली आ रही है. विदेश मंत्रालय के मुताबिक सालाना शिखर बैठक के दौरान दोनों नेता जहां द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर बात करेंगे. वहीं कारोबारी रिश्ते मजबूत करने और निवेश बढ़ाने पर भी जोर होगा. भारत की कई परियोजनाओं में रूस निवेश हिस्सेदारी का इच्छुक है.