अनुच्छेद 370: आज देश को संबोधित कर सकते हैं पीएम नरेंद्र मोदी

जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में बांटने और अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को देश को संबोधित कर सकते हैं. सूत्रों ने यह जानकारी दी है. पिछली बार प्रधानमंत्री मोदी ने 27 मार्च को देश को उस वक्त संबोधित किया था, जब भारत ने एंटी-सैटेलाइट मिसाइल का सफल परीक्षण करते हुए एक लाइव सैटेलाइट को मार गिराया था. उस वक्त देश में आचार संहिता लागू थी और 11 अप्रैल से 17वीं लोकसभा के लिए चुनाव होने थे.

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नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में बांटने और अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को देश को संबोधित कर सकते हैं. सूत्रों ने यह जानकारी दी है.

पिछली बार प्रधानमंत्री मोदी ने 27 मार्च को देश को उस वक्त संबोधित किया था, जब भारत ने एंटी-सैटलाइट मिसाइल का सफल परीक्षण करते हुए एक लाइव सैटेलाइट को मार गिराया था. उस वक्त देश में आचार संहिता लागू थी और 11 अप्रैल से 17वीं लोकसभा के लिए चुनाव होने थे.

मंगलवार को संसद ने जम्मू-कश्मीर को संविधान में आर्टिकल 370 के तहत मिले विशेषाधिकार को हटा लिया. साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के रूप में बांटने वाले बिल को भी मंजूरी दे दी. इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी को देश को 7 अगस्त को संबोधित करना था. लेकिन पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन के बाद इसे स्थगित करना पड़ा.

बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करने के प्रस्ताव को संसद के दोनों सदनों में पारित होने के बाद इसकी घोषणा कर दी. अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ था. अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए संयुक्त रूप से स्पष्ट करते थे कि राज्य के निवासी भारत के अन्य राज्यों के नागरिकों से अलग कानून में रहते हैं. इन नियमों में नागरिकता, संपत्ति का मालिकाना हक और मूल कर्तव्य थे. इस अनुच्छेद के कारण देश के अन्य राज्यों के नागरिकों के जम्मू एवं कश्मीर में संपत्ति खरीदने पर प्रतिबंध था.

हालांकि कांग्रेस और कई विपक्षी पार्टियों ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया. इस अनुच्छेद को हटाए जाने के मद्देनजर जम्मू-कश्मीर में 35000 से ज्यादा जवानों की तैनाती की गई है. खुद एनएसए अजीत डोभाल घाटी में मोर्चा संभाले हुए हैं. अलगाववादी और अन्य स्थानीय नेताओं को नजरबंद किया जा चुका है. किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए खासतौर पर इंतजाम किए गए हैं.

 

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