PM मोदी के साथ पूरा देश कर रहा था इंतजार और आखिरी 90 सेकंड में बदल गया सब

इसरो के चीफ के सिवन ने कहा था, आखिरी के 15 मिनट बेहद अहम होंगे. इनमें से लगभग 13 मिनट तक सबकुछ ठीक था, लेकिन आखिरी के 90 सेकंड में जो हुआ उससे चांद पर पहुंचने का सपना अधूरा रह गया.

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  • चंद्रमा की सतह से महज दो किलोमीटर पहले इसरो का संपर्क टूट गया
  • 13 मिनट तक सबकुछ ठीक था, लेकिन 90 सेकंड में सब बदल गया

नई दिल्ली। भारत के चंद्रयान-2 मिशन के लैंडर विक्रम से चंद्रमा की सतह से महज दो किलोमीटर पहले इसरो का संपर्क टूट गया. इसरो के चीफ के सिवन ने कहा था, आखिरी के 15 मिनट बेहद अहम होंगे. इनमें से लगभग 13 मिनट तक सबकुछ ठीक था, लेकिन आखिरी के 90 सेकंड में जो हुआ उससे चांद पर सफलतापूर्वक पहुंचने का सपना अधूरा रह गया.

पूरे देश और पूरी दुनिया को जिस पल का इंतजार था वो आ गई थी. इसरो सेंटर में वैज्ञानिकों की नजरें अलग-अलग स्क्रीन पर टिकी थीं. आखिरी 15 मिनट में पीएम मोदी और इसरो चीफ सिवन की पलकें जैसे उस स्क्रीन पर गड़ी थीं जिस पर चांद की ओर बढ़ता लैंडर विक्रम दिख रहा था. सबके चेहरों पर जबरदस्त उत्सुकता थी. देशभर से आए स्कूली बच्चे उत्साहित थे, लेकिन चांद पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग से महज चंद सेकंड पहले वैज्ञानिकों के हाव-भाव बदल गए.

पीएम ने वैज्ञानिकों को सराहा

सबकी नजरें पीएम मोदी पर टिक गईं. उनके चेहरे पर भी उत्सुकता दिख रही थी. आखिरकार इसरो चीफ उनके पास आए और उन्हें ब्रीफ किया. इसके बाद पीएम मोदी वैज्ञानिकों के बीच से उठकर चले गए.जाते-जाते पीएम मोदी ने वैज्ञानिकों से कहा कि जीवन में उतार-चढ़ाव आते हैं, यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है. .

करीब 25 मिनट तक जबरदस्त सस्पेंस बना रहा, लेकिन वैज्ञानिकों के चेहरे पर मायूसी से संकेत मिल गया था कि सबकुछ ठीक नहीं है. आखिरकार इसरो की तरफ से बताया गया कि लैंडर से संपर्क टूट गया है.

आखिर क्या हुआ?

दरअसल, इसरो चीफ ने जिस आखिरी 15 मिनट को सबसे अहम बताया था उसमें ही मिशन चंद्रयान- 2 के सामने आई मुश्किल का राज छिपा था. रात 1 बजकर 38 मिनट पर लैंडर विक्रम चांद की ओर बढ़ चला था. चांद पर उसकी सॉफ्ट लैंडिंग का समय रात 1 बजकर 52 मिनट और 54 सेकंड तय किया गया था. आखिरी के 90 सेकंड बचे थे और लैंडर विक्रम चांद से महज 2.1 किलोमीटर दूर रह गया था. तभी लैंडर से ग्राउंड स्टेशन का संपर्क टूट गया. इसरो ने ऐलान किया कि चांद से 2.1 किलोमीटर तक सबकुछ ठीक था, लेकिन उसके बाद लैंडर से उसका संपर्क टूट गया.

इसरो चीफ के मन में जो बात पहले खटक रही थी वो अब उनके सामने थी. बरसों की मेहनत के बाद मनचाहा नतीजा हासिल न कर पाने वाले वैज्ञानिकों में मायूसी थी, लेकिन पीएम मोदी की हौसला अफजाई ने इस मायूसी को दूर कर दिया. हालांकि अब भी ऑर्बिटर चांद के चक्कर काट रहा है जो आने वाले वक्त में डाटा को इसरो के साथ साझा करेगा.

 

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