Farmers Protest : केंद्र सरकार और किसानों के बीच बातचीत बेनतीजा, 3 दिसंबर को फिर होगी बैठक
Farmers Protest Against Farm Bill 2020: किसान संगठनों के नेता और मंत्रियों के बीच बैठक में केंद्र सरकार की तरफ से समिति बनाने का प्रस्ताव दिया गया था, जिसें अन्नदाताओं ने ठुकरा दिया है.
Farmers Protest Against Farm Bill 2020: किसान संगठनों और सरकार के बीच चल रही बैठक बेनतीजा ही खत्म हो गई. 3 दिसंबर को एक बार फिर बैठक होगी. इससे पहले बैठक में केंद्र सरकार की तरफ से समिति बनाने का प्रस्ताव दिया गया था, जिसें अन्नदाताओं ने ठुकरा दिया. किसान नए कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, ‘किसान संगठन के प्रतिनिधि ने कहा कि आप लोग ऐसा कानून लाए हैं जिससे हमारी जमीने बड़े कॉरपोरेट ले लेंगे, आप कॉरपोरेट को इसमे मत लीजिए. अब समिति बनाने का समय नहीं है. हमारी मांग है कि इन कानूनों को वापस लिया जाए. इससे पहले बैठक में MSP पर सरकार की तरफ से प्रजेंटेशन दिया गया.
परसों तक ये लोग भी अपने मुद्दे लेकर आएंगे और सभी बिन्दुओं पर चर्चा की जाएगी। हम चाहते थे कि छोटा ग्रुप बने, लेकिन सभी किसान यूनियनों का कहना था कि सभी मिलकर बात करेंगे। सरकार को सभी से बात करने में भी परेशानी नहीं है : केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर #FarmerProtest pic.twitter.com/HpQK2swffL
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 1, 2020
We appeal to the farmers to suspend the protests and come for the talks. However, this decision depends on farmers' unions and farmers: Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar https://t.co/gfIKF52ze4
— ANI (@ANI) December 1, 2020
केंद्र और किसानों के बीच मंगलवार को दो दौर में बातचीत हुई। दो घंटे चले पहले दौर में किसान प्रतिनिधियों के सामने केंद्र ने मिनिमम सपोर्ट प्राइज (MSP) पर प्रेजेंटेशन दिया। उनके सामने प्रस्ताव रखा कि नए कानूनों पर चर्चा के लिए कमेटी बनाई जाए, इसमें केंद्र, किसान और एक्सपर्ट शामिल हों। रिपोर्ट्स के मुताबिक, किसानों ने ये पेशकश ठुकरा दी है। एक ब्रेक के बाद फिर मीटिंग शुरू हुई, लेकिन ये कुछ ही देर में खत्म हो गई। अब अगली बातचीत 3 दिसंबर को होगी।
न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि किसानों के 35 प्रतिनिधियों ने एक सुर में यही बात कही कि कानूनों को खत्म कर दिया जाए, क्योंकि ये किसानों के हितों के खिलाफ हैं। किसानों के प्रतिनिधिमंडल में शामिल चंदा सिंह ने कहा कि हमारा आंदोलन जारी रहेगा। हम कुछ तो हासिल करेंगे, भले गोली हो या फिर शांतिपूर्ण हल। हम आगे भी चर्चा के लिए आएंगे।
हमारा आंदोलन जारी रहेगा। सरकार से कुछ लेकर जाएंगे। सरकार अगर शांति चाहती है तो लोगों का मुद्दा हल करे। हम मुलाकात के लिए परसों फिर आएंगे : दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री से मुलाकात के बाद किसान प्रतिनिधिमंडल के सदस्य चंदा सिंह #FarmerProtests pic.twitter.com/z0qeFZL7H4
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 1, 2020
बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल समेत कई किसान संगठनों के नेता शामिल हुए. वहीं, इस बीच केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और यूपी से आए किसानों का दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन जारी है.
पिछले पांच दिनों से किसान अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर डटे हुए हैं. आज उनके आंदोलन का छठा दिन है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पहले तीन दिसंबर को किसानों से बातचीत की बात कही थी, लेकिन केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के नेताओं को कोविड-19 महामारी एवं सर्दी का हवाला देते हुये तीन दिसंबर की जगह मंगलवार यानी कि आज बातचीत के लिये आमंत्रित किया था.
हम किसान भाइयों से आग्रह करते हैं कि आंदोलन स्थगित करें और वार्ता के लिए आएं परन्तु ये फैसला करना किसान यूनियन और किसानों पर निर्भर है : केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर #FarmerProtest pic.twitter.com/Dx725kDhDN
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 1, 2020
केंद्रीय मंत्रियों और किसान संगठन के नेताओं में बातचीत शुरू
करीब 35 किसान नेता एक बस में सवार होकर विज्ञान भवन पहुंचे थे. इनमें संयुक्त किसान मोर्चा के नेता भी शामिल हुए थे. इससे पहले बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर किसानों के विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर केंद्रीय मंत्रियों की बैठक हुई जिसमें गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल भी जेपी नड्डा शामिल हुए थे.
किसानों ने कहा-पुलिस धारा 144 लगाएगी तो हम 288 लगा देंगे
दिल्ली की सीमा पर डटे किसानों और पुलिस-प्रशासन के बीच पिछले कई दिनों से रस्साकशी चल रही है. इस बीच गाजीपुर में एक बेहद दिलचस्प नजारा दिखा है जहां किसानों ने एक लाइन खींचकर एक तरफ सेक्शन 144 तो दूसरी तरफ सेक्शन 288 लिख दिया है.नाराज किसानों का कहना है कि पुलिस अगर किसानों को इकट्ठा होने से रोकने के लिए धारा 144 का इस्तेमाल करेगी तो हम भी उससे दोगुनी धारा 288 लगा देंगे.
सिंधु बॉर्डर (दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर) पर किसान प्रदर्शनकारियों से AAP नेता आतिशी मार्लेना ने मुलाकात की। उन्होंने कहा, "MSP की गारंटी को तो क़ानून में आना ही होगा। जो सरकार वादा करती थी कि हम स्वामीनाथन कमेटी की बातें मानेंगे, डेढ़ गुना MSP बढ़ाएंगे। उसे क़ानूनी तरीके से हटा दिया" pic.twitter.com/1v7ESKeT0H
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दूसरे राज्यों के प्रतिनिधियों से भी होगी बातचीत
केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और दिल्ली के डेलीगेशन से चर्चा करेगी। किसानों के साथ बैठक से पहले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि हम किसानों की मांगें सुनने के बाद आगे की राह तय करेंगे। बैठक में तोमर के साथ वाणिज्य मंत्री सोम प्रकाश और रेल मंत्री पीयूष गोयल मौजूद थे।
किसान को परेशानी नहीं हो रही, बाकी लोगों को हो रही है। विपक्ष के साथ उन लोगों का हाथ है जो कमीशन खाते हैं : केंद्रीय मंत्री जनरल वी.के. सिंह #FarmersProtest https://t.co/ed6kvvh67S
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 1, 2020
सरकार के बुलावे पर किसानों ने कहा था कि वे मीटिंग के लिए इसलिए तैयार हुए हैं, क्योंकि इस बार सरकार ने कोई शर्त नहीं रखी है। इस बीच, हरियाणा के निर्दलीय विधायक और सांगवान खाप के प्रमुख सोमबीर सांगवान ने खट्टर सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। चरखी दाददी में सांगवान ने कहा- किसानों पर हुए अत्याचारों को देखकर मैं सरकार से अपना समर्थन वापस लेता हूं।
अजय चौटाला ने जो कहा है उसी मुद्दे पर आज बैठक हो रही है। उनकी जो चिंता है, हमारी भी वही चिंता है। केंद्र सरकार इस समस्या के समाधान के लिए प्रयास कर रही है : हरियाणा विधानसभा स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता
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आंदोलन से जुड़े अपडेट्स
- 3 बजे से शाम 5 बजे तक पहले दौर की बातचीत हुई। इसके बाद करीब 6 बजे फिर चर्चा शुरू हुई और करीब 30 मिनट में खत्म हो गई।
- CAA के खिलाफ शाहीन बाग के प्रदर्शन में शामिल हुईं 82 साल की बिल्किस बानो को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। वे किसानों के प्रदर्शन में शामिल होने सिंघु बॉर्डर पर पहुंची थीं।
- भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को समर्थन देने दिल्ली-यूपी बॉर्डर पहुंचे।
पहले भी पंजाब के किसानों को ही न्योता मिला था
सरकार ने सोमवार देर रात किसानों को बातचीत का न्योता भेजा था। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि जो किसान नेता 13 नवंबर की मीटिंग में शामिल थे, उन्हें न्योता दिया गया है। हालांकि, इस पर विवाद हो गया।
दरअसल, कृषि विभाग के सचिव की तरफ से जारी हुई न्योते की चिट्ठी में 32 किसानों के नाम थे। ये सभी पंजाब के किसान नेता थे। ये हरियाणा के अपने साथियों का नाम भी शामिल करने का दबाव बनाने लगे। इसके बाद न्योते में हरियाणा से गुरनाम चढ़ूंनी और मध्यप्रदेश से किसान नेता शिवकुमार शर्मा कक्काजी का नाम शामिल किया गया।
32 साल बाद ऐसा आंदोलन, 36 घंटे में सरकार की तीसरी बैठक
सिंघु बॉर्डर 32 साल बाद सबसे बड़े किसान आंदोलन का गवाह बना है। 1988 में महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश के 5 लाख किसान यहां जुटे थे। किसानों के मुद्दे पर सरकार 36 घंटे में तीन बैठकें कर चुकी है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर मंगलवार को हुई मीटिंग में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मौजूद थे। बैठक में शामिल होने के लिए शाह BSF के राइजिंग डे इवेंट में नहीं गए।
सरकार ने दो बार शर्त रखी थी
- सरकार पहले इस बात पर अड़ी थी कि किसान 3 दिसंबर को बातचीत के लिए आएं। सोमवार को सरकार ने यह जिद छोड़ दी और 1 दिसंबर दोपहर 3 बजे 32 किसान नेताओं को बातचीत का न्योता भेजा।
- इससे पहले सरकार ने किसानों से कहा था कि वे प्रदर्शन खत्म कर बुराड़ी आ जाएं तो बातचीत पहले भी हो सकती है। किसान इस पर नहीं माने।
ट्रैक्टर फिर एक्शन में
सरकार से बातचीत से पहले दिल्ली-UP बॉर्डर पर किसानों का गुस्सा देखा गया। गाजीपुर-गाजियाबाद बॉर्डर पर किसानों ने बैरिकेड हटाने के लिए ट्रैक्टर का इस्तेमाल किया।
कनाडा के पीएम ने आंदोलन का समर्थन किया
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो किसान आंदोलन का समर्थन करने वाले पहले विदेशी नेता और राष्ट्राध्यक्ष बन गए हैं। उन्होंने हालात को चिंताजनक बताया। गुरुनानक देव के 551वें प्रकाश पर्व पर एक ऑनलाइन इवेंट के दौरान ट्रूडो ने कहा कि वे हमेशा शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के पक्ष में रहे हैं। हमने इस बारे में भारत सरकार को अपनी चिंताओं के बारे में बता दिया है।
सरकार ने कनाडा के बयान को गैर-जरूरी बताया
विदेश मंत्रालय ने कहा है कि किसानों के मुद्दे पर कनाडा के नेताओं के बयान गैर-जरूरी हैं। इनमें जानकारी की कमी लगती है। साथ ही कहा कि डिप्लोमैटिक चर्चाओं का इस्तेमाल राजनीतिक मकसद से नहीं होना चाहिए।
130 खाप पंचायतों ने आंदोलन से जुड़ने का ऐलान किया
- हरियाणा की 130 खाप पंचायतों ने किसान आंदोलन में शामिल होने का ऐलान किया है। उधर, पंजाब में भी पंचायतों ने हर घर से एक मेंबर को धरने में शामिल होने के लिए कहा है।
- दिल्ली की टैक्सी और ट्रांसपोर्ट यूनियन भी सोमवार को किसानों के समर्थन में आ गई। उन्होंने कहा कि अगर दो दिन में कोई हल नहीं निकला तो हड़ताल करेंगे।
- 27 नवंबर को सिंघु बॉर्डर पर हुए हंगामे को लेकर अलीपुर थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है।
राहुल ने कहा- किसान को उसका अधिकार दीजिए
किसान आंदोलन और सरकार के रुख पर राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा- अन्नदाता सड़कों-मैदानों में धरना दे रहे हैं और ‘झूठ’ टीवी पर भाषण। किसान की मेहनत का हम सब पर कर्ज है। जागिए, अहंकार की कुर्सी से उतरकर सोचिए और किसान का अधिकार दीजिए।