कोरोना वायरस के मामले पहुंचे 3 लाख के करीब, विशेषज्ञ बोले- कम्युनिटी ट्रांसमिशन नकारना अब बेकार

संक्रामक बीमारियों के एक्सपर्ट्स ने कहा है कि कम्यूनिटी ट्रांसमिशन (Community Transmission) की बात से इनकार करना अब व्यर्थ है. भारत में कम्युनिटी ट्रांसमिशन के हालात अप्रैल महीने से ही बनने लगे थे.

0 1,000,277

नई दिल्ली. भारत में कोरोना वायरस (Corona Virus) के संक्रमण से जुड़े मामलों की संख्या तीन लाख के आंकड़े तक पहुंचने वाली है. ऐसे में  संक्रामक बीमारियों के एक्सपर्ट्स का कहना है कि कम्यूनिटी ट्रांसमिशन (Community Transmission) की बात से इनकार करना अब व्यर्थ है. गौरतलब है कि बीते समय में केंद्र सरकार लगातार कम्यूनिटी ट्रांसमिशन की बात से इनकार करती रही है. ये स्थिति बेहद चिंताजनक बताई जा रही है, क्योंकि भारत में 24 मार्च को ही सख्त लॉकडाउन का फैसला ले लिया गया था. तब देश में कोरोना मरीजों की संख्या सैंकड़ों में थी. करीब दो महीने तक चले लॉकडाउन के बावजदू कोरोना मामलों की संख्या लगातार बढ़ती रही है. अब तक भारत में कोरोना के 2,76,583 मामले सामने आए हैं, जबकि 7,745 लोग इस बीमारी से अपनी जान गंवा चुके हैं.

अप्रैल में ही बनने लगे थे हालात

संक्रामक बीमारियों के एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत में कम्युनिटी ट्रांसमिशन के हालात अप्रैल महीने से ही बनने लगे थे. लोगों को इसकी जानकारी न दिए जाने की वजह से महामारी के बारे में भ्रम बना रहा. साथ ही टेस्टिंग की रफ्तार भी नहीं उतनी नहीं बढ़ पाई, जितनी जरूरत थी. टेस्टिंग की रफ्तार कम होने की वजह से सरकार को भी लॉकडाउन लंबा खींचने का कारण मिल गया. गौरतलब है कि कम्युनिटी ट्रांसमिशन किसी महामारी की ऐसी अवस्था मानी जाती है, जब ये न पता लगाया जा सके कि आखिर किसी व्यक्ति को संक्रमण कैसे हुआ.

शुरू हो चुका है कम्युनिटी ट्रांसमिशन
वेल्लोर के क्रिस्चियन मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल जयप्रकाश मुलियिल के मुताबिक-हम ये जानते हैं कि कम्युनिटी ट्रांसमिशन पिछले कुछ समय में शुरू हो चुका है. तो इसलिए अप्रोच ये होना चाहिए कि इसे किसी तरह कम किया जाए. अब कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की प्रक्रिया ज्यादा काम नहीं आने वाली क्योंकि इस स्टेज में हर व्यक्ति को ट्रेस करना बेहद मुश्किल काम है. मैं पहले भी इस बात को कह चुका हूं कि सरकार को दृढ़तापूर्वक ये स्वीकार करना चाहिए कि कम्युनिटी ट्रांसमिशन की स्थित आ चुकी है. और ऐसा स्वीकार करने में कोई बुराई नहीं है.

स्वीकार करने से बदलेगी रणनीति
National Health Systems Resource Centre से पूर्व डायरेक्टर डॉ. टी. सुंदररमन के मुताबिक कम्युनिटी ट्रांसमिशन की बात से इंकार कर सरकार हठधर्मिता दिखा रही है. अगर आप किसी इलाके को पूरी तरह सील कर रहे हैं इसका मतलब है कि आप बीमारी का वास्तविक सोर्स नहीं खोज पा रहे हैं. कम्युनिटी ट्रांसमिशन की बात से इंकार किए जाने की वजह से वो लोग अपना टेस्ट नहीं करवा पा रहे हैं जो हॉटस्पॉट जोन के बाहर हैं. इससे महामारी और ज्यादा फैलेगी ही.

गौरतलब है कि भारत में सरकार द्वार नकारे जाने के बावजूद आईसीएमआर के एक सर्वे में कम्युनिटी ट्रांसमिशन के हालात अप्रैल में ही दिखने लगे थे. इस स्टडी में कई ऐसे मरीज मिले थे जिनकी कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं थी. यानी इनकी कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग नहीं की जा सकी. एक्सर्ट्स का मानना है कि कम्यनिटी ट्रांसमिशन की बात लोगों तक पहुंचना जरूरी है जिससे आम जनता में भी इस महामारी को लेकर सावधानी और बढ़े.

Leave A Reply

Your email address will not be published.