जम्मू-कश्मीर में एनकाउंटर / कुलगाम के निपोरा इलाके में सुरक्षा बलों ने 2 आतंकियों को मार गिराया; 13 दिन में 25 आतंकी ढेर

10 जून को शोपियां के सुगू इलाके में 5 आतंकी मारे गए थे, 11 जून को पाकिस्तान स्पॉन्सर्ड नार्को-टेरर रैकेट भी पकड़ा गया

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कुलगाम. जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले के निपोरा इलाके में सुरक्षा बलों ने शनिवार को हिज्बुल मुजाहिदीन के 2 आतंकियों को मार गिराया। 2 पिस्टल और 3 ग्रेनेड भी बरामद हुए हैं। आतंकियों के छिपे होने की सूचना पर सिक्योरिटी फोर्सेज ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया था, इस बीच आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी।

बांदीपोरा में संदिग्ध आईईडी विस्फोटक मिला
इरिन नदी पर बने ब्रिज के पास मिले इस विस्फोटक के आईईडी होने का शक है। इसे गैस सिलेंडर में फिट किया गया था। बॉम्ब डिस्पोजल स्क्वॉयड इसे न्यूट्रिलाइज (निष्क्रिय) कर रहा है। ट्रैफिक रोककर पूरे इलाके को सैनिटाइज भी किया जा रहा है।

विस्फोटक को टाइमर के साथ कनेक्ट किया गया था।

13 दिन में 8 एनकाउंटर

1 जून: नौशेरा सेक्टर में घुसपैठ की कोशिश करते हुए 3 पाकिस्तानी आतंकियों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया।

2 जून: पुलवामा के त्राल इलाके में 2 आतंकी मारे गए।

3 जून: पुलवामा के ही कंगन इलाके में सुरक्षा बलों ने 3 आतंकियों को ढेर कर दिया।

5 जून: राजौरी जिले के कालाकोट में एक आतंकवादी मारा गया।

7 जून: शोपियां के रेबन गांव में 5 आतंकी मारे गए।

8 जून: शोपियां के पिंजोरा इलाके में 4 आतंकी ढेर।

10 जून: शोपियां के सुगू इलाके में 5 आतंकी ढेर

13 जून: कुलगाम के निपोरा इलाके में 2 आतंकी मारे गए।

पिछले 2 हफ्ते में आतंकी संगठनों के 6 टॉप कमांडर ढेर
पिछले दिनों हुए एनकाउंटर में रियाज नायकू समेत 6 टॉप कमांडर मारे गए। जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह के मुताबिक कश्मीर इलाके में लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पर आतंकी ठिकानों में 150-250 आतंकी हो सकते हैं। जम्मू इलाके में 125-150 आतंकियों के होने का अनुमान है।

साल के पहले छह महीने में 100 आतंकवादी मार गिराने का लगातार तीसरा साल

कश्मीर में इस साल सुरक्षाबलों ने अब तक 100 से ज्यादा आतंकवादियों को मार गिराया है। पिछले 4 दिनों में 14 आतंकवादी मारे गए हैं। लेकिन ये कोई पहला मौका नहीं है जब कश्मीर में साल के पहले छह महीनों में 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए हों। पिछले तीन साल से ये सिलसिला बदस्तूर जारी है। जनवरी से जून के बीच मारे गए आतंकवादियों का आंकड़ा हर बार 100 पार गया है, फिर चाहे वह 2018 हो, 2019 हो या इस साल। क्योंकि कश्मीर में बर्फ पिघलने के साथ ही शुरू हो जाता है एनकाउंटर का मौसम।

पिछले तीन सालों में जनवरी से जून के बीच मारे गए आतंकवादियों का आंकड़ा हर बार 100 पार गया है।

2019 में छह महीने में 128 आतंकी मारे
पिछले साल 2019 में जनवरी से जून के बीच 128 आतंकवादी मारे गए थे, जबकि 100 का आंकड़ा तो मई में ही पूरा हो गया था। सेना ने पहले पांच महीने में 100 आतंकवादी मार गिराए थे, जिसमें से 23 विदेशी थे और 78 लोकल थे। मारे गए आतंकियों की लिस्ट में टॉप कमांडर जाकिर मूसा भी शामिल था। मूसा अलकायदा समर्थित आतंकी संगठन का हिस्सा था।

खास बात ये भी थी कि इस साल जिन आतंकियों को मार गिराया गया था उनमें 25 शोपियां में मारे गए थे। इनमें से भी 16 वहीं के रहने वाले थे। शोपियां के बाद 15 आतंकवादी पुलवामा, 14 अवंतीपोरा और 12 कुलगाम में मारे गए थे।

2018 में जून तक मार गिराए 108 आतंकी
केंद्रीय मंत्री हंसराज अहिरवार ने जो राज्यसभा को जानकारी दी उसके मुताबिक साल 2018 के पहले छह महीनों में 108 आतंकवादी मारे गए थे। जबकि 43 सैनिकों ने इन आतंकियों से लड़ते हुए अपनी जान कुर्बान की थी। इस साल जनवरी से जून के बीच 256 हिंसक वारदातें भी देखने को मिली थीं। इसी साल जुलाई में सुरक्षाबलों ने लश्कर के आतंकी अबु दुजाना को मार गिराया था।

2017 में जनवरी से जून के बीच आतंकवादियों को मार गिराने का आंकड़ा 90 पहुंच गया था, जबकि 2016 में ये 77 पर था। हालांकि इसके पहले इस दौरान मारे गए आतंकवादियों की संख्या बेहद कम थी, लेकिन ये लगातार बढ़ती गई।

शोपियां में पिछले 4 दिनों में 14 आतंकी मार गिराए
डीजीपी ने इसी हफ्ते की शुरुआत में दिए बयान में कहा था- ‘9 ऑपरेशन में 22 आतंकवादी मारे हैं, जिसमें 6 टॉप कमांडर थे।’ 1 जून से 10 जून के बीच कश्मीर में 19 आतंकवादी मार गिराए हैं। जिसमें पिछले चार दिन में शोपियां में मारे गए 14 आतंकवादी शामिल हैं।सुरक्षाबलों के मुताबिक सिर्फ दक्षिण कश्मीर में 125 आतंकवादी एक्टिव हैं, जिसमें से 100 स्थानीय हैं और बाकी विदेशी।

एक्सपर्ट – रिटायर्ड ले.जन हसनैन – इंटेलिजेंस बता रहा है कि अलगाववादी और आतंकवादियों का प्रभाव कम होता जा रहा है

देश को भारतीय जवानों का शुक्रिया अदा करना चाहिए कि हमारे जाबांजों ने साल 2020 के 6 महीने पूरे होने से पहले 100 आतंकवादियों को मार गिराया है। इससे भी बढ़कर पिछले 48 से 72 घंटे के बीच सेना ने दक्षिण कश्मीर के शोपियां में 14 आतंकवादियों का खात्मा किया है। हालांकि यह इस बात का संकेत है कि हमारे जवान कितने चौकस हैं और हमारा इंटेलिजेंस कितना प्रभावी तरीके से काम कर रहा हैं।

लेकिन इस कामयाबी के बीच आतंकियों ने हाल ही में एक कश्मीरी पंडित सरपंच अजय पंडिता और एक कथित स्थानीय पुलिस मुखबिर की हत्या कर दी। यह बताता है कि कश्मीर में सबकुछ सामान्य होने का आखिरी मील अब भी दूर है। दोनों ही ट्रेंड, उपलब्धि और नुकसान के अपने-अपने मायने हैं।

इसमें कोई शक नहीं और इंटेलिजेंस बता रहा है कि अलगाववादी और आतंकवादियों का प्रभाव कम होता जा रहा है। कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन से उनकी आवाजाही में बंदिशें लगी हैं और सुरक्षित ठिकाने भी नहीं मिल पा रहे हैं। सुरक्षाबल इसका भरपूर फायदा भी उठा रहे हैं। लेकिन इंटेलिजेंस के इस खेल में सोर्स की सुरक्षा भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा।

जैसे-जैसे आतंकवादियों का दायरा घटता जाएगा और बेसब्री का स्तर बढ़ेगा तो उनके टारगेट सिमटते जाएंगे। तब अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए दोगुने प्रयास करने होंगे। और जिस दिल और दिमाग को जीतने की हम बात करते हैं, उस पर और ज्यादा बात करनी होगी। लोगों के पास जाना और उनका समर्थन हासिल करना ही ऐसी किसी मुहिम को सफलतापूर्वक पूरा करता है।

हमने हासिल करने से ज्यादा खोया है, ध्यान रहे ये मौसम घुसपैठ का है, हल यही होगा कि कम से कम घुसपैठ हो और ज्यादा से ज्यादा आतंकी मारे जाएं

अप्रैल-मई का मौसम है, जब पाकिस्तान सबसे ज्यादा घुसपैठ की कोशिशें करता है ताकि ज्यादा से ज्यादा आतंकियों को भारतीय सीमा में भेज सके। ये इसलिए क्योंकि इस मौसम में एंटी इन्फिल्ट्रेशन ऑब्स्टकल सिस्टम को ढंकने वाली बर्फ पिघलने लगती है और बर्फ के नीचे दबी फेंस में टूट फूट हो चुकी होती है। आतंकी इसका फायदा उठाकर आसानी से एलओसी पार कर लेते हैं।

यूं तो इस तरह के मूवमेंट रोकने के लिए एम्बुश लगाए जाते हैं, लेकिन जहां भी कुछ दरारें रह जाती हैं, आतंकी उसी का बेजा फायदा उठाते हैं। कल हंदवाडा में हुए एनकाउंटर में संभवत: आतंकी राजवार जंगल से घुसपैठ कर आबादी वाले इलाके में आ गए, जहां उन्हें ठहरने को सुरक्षित घर मिल सकें। वहां तैनात 21 राष्ट्रीय राइफल्स को इलाके में आतंकियों की मौजूदगी का इंटेलिजेंस अलर्ट मिला था। यूनिट की कंपनी, जिसमें कमांडिंग ऑफिसर भी शामिल थे को जब पता चला कि आतंकियों ने गांव के किसी घर को बंधक बना लिया है तो वे उस जगह पर पहुंच गए और आतंकियों के साथ मुठभेड़ शुरू हो गई।

इस तरह के ऑपरेशन्स में हर पल कुछ बदलता रहता है। इसके लिए सेना की एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर भी होती है। लेकिन ग्राउंड पर मौजूद हालातों के मुताबिक उन्हें बदलना पड़ता है। दो आतंकवादियों को मार गिराया था। जिन्हें बंधक बनाया गया था, उस घर के लोगों को सुरक्षित बाहर ले आए थे। लेकिन कमांडिंग ऑफिसर और उनकी टीम उस घर में फंस गई, जहां कुछ और आतंकी भी मौजूद थे।

किसी भी ऑपरेशन में हाउस क्लीनिंग ड्रिल सबसे चुनौतीपूर्ण और खतरनाक होती है। ये वह ड्रिल है, जो राष्ट्रीय राइफल्स की यूनिट इस तरह के ऑपरेशन में पूरी करती है। यही वजह थी कि दो आतंकियों के मारे जाने के बाद भी ऑपरेशन चलता रहा, बाकी आतंकियों को ढूंढने और मार गिराने के लिए।

हालांकि काउंटर टेरेरिस्ट ऑपरेशन में यह एक बड़ा नुकसान है, जिसमें हमने एक कमांडिंग ऑफिसर, एक दूसरे ऑफिसर, दो जवान और एक पुलिसवाले को खोया है। जो खोया, वो पाने से कहीं ज्यादा था। इसके बावजूद जो फिलहाल हुआ और जो आंकड़ें हैं, उसका असर कॉम्बैट जोन के हालात पर नहीं पड़ना चाहिए।  जम्मू-कश्मीर में 1 अप्रैल से अब तक 30 आतंकी मारे गए हैं। दो घटनाओं में हमने 10 सैनिकों को खोया है। अब जब मौसम खुला है तो ऐसे कई एनकाउंटर होंगे और उम्मीद करते हैं आंकड़े भी सुधरेंगे।

लगातार इंटेलिजेंस रिपोर्ट मिल रही हैं कि आतंकवादियों के नेटवर्क की भारी तबाही हुई है और ओवर ग्राउंड वर्कर जो आतंकियों के मददगार होते हैं, उन पर दबाव है। रिपोर्ट ये भी है कि पाकिस्तान साउथ कश्मीर से ले जाकर नॉर्थ कश्मीर में आतंकवादियों को एक्टीवेट करना चाहता है। इसके लिए वह घुसपैठ की कोशिशें लगातार नॉर्थ से कर रहा है।

अफसोस है कि हमने अपने सैनिकों को खोया लेकिन इससे कोरोना के बीच भी जारी हमारे ऑपरेशन पर किसी तरह का असर नहीं पड़ना चाहिए। हल यही है कि कम से कम घुसपैठ हो और ज्यादा से ज्यादा आतंकवादियों और उनके आकाओं का खात्मा हो। अब कोरोना के चलते आतंकवादियों के जनाजों को बैन कर दिया गया है और अलगाववादियों की सड़कों पर आतंक फैलाने की राजनीति भी कंट्रोल में है तो बस यह ध्यान रखना होगा कि इस तरह के ऑपरेशन का फायदा कोई उठा न ले। उन अफसरों ने जो किया, वहां के हालात के मुताबिक सही किया। वरना घरों में बैठकर उस परिस्थिति के बारे में किसी को भी कमेंट करने का हक नहीं है।

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