Pfizer Vaccine: इंडिया में हो सकती है इतनी कीमत, स्टोरेज भी होगा बड़ी चुनौती!

फाइजर और बायोनटेक (pfizer and biontech) की कोरोना वायरस वैक्सीन को लेकर काफी उम्मीदें की जा रही है, लेकिन इस वैक्सीन की कीमत काफी ज्यादा हो सकती है.

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नई दिल्ली: फाइजर और बायोनटेक (pfizer and biontech) की कोरोना वायरस वैक्सीन को लेकर काफी उम्मीदें की जा रही है, लेकिन इस वैक्सीन की कीमत काफी ज्यादा हो सकती है. विशेषज्ञों के कहना है कि फाइजर वैक्सीन सबसे पहली वैक्सीन होगी, जिसको कोरोना वायरस पर सफलता मिलेगी. फाइजर ने अपने वैक्सीन की कीमत 39 डॉलर (प्रति खुराक 19.5 डॉलर) रखी है. इसी तरह के mRNA वैक्सीन पर काम करने वाले मॉडर्ना ने कीमत 37 डॉलर आंकी है. अब देखना ये होगा कि इंडिया में इस वैक्सीन की कितनी कीमत होगी क्योंकि भारत के लिए प्राइस और लॉजिस्टिक्स दोनों ही बड़ी चुनौती हो सकते हैं

इन देशों ने वैक्सीन के लिए कर समझौता
आपको बता दें यूरोपियन संघ, जापान, अमेरिका और ब्रिटेन के साथ फाइजर ने अग्रिम समझौता किया है जिससे उन्हें 2021 तक 1.3 बिलियन डोज मिलने की संभावना है. वहीं, भारत सरकार या भारतीय वैक्सीन निर्माता कंपनियों या सप्लाई टाई-अप के लिए फाइजर की फ़िलहाल कोई बात नहीं हुई है.

साधारण तापमान में खराब हो जाएगी वैक्सीन

WHO की वैक्सीन विकसित करने वाली COVAX के साथ भी कोई समझौता नहीं किया गया है. लागत से ज्यादा फाइजर की अल्ट्रा कोल्ड वैक्सीन के लिए बड़ी चुनौती लोजिस्टिक्स होगी. फाइजर mRNA वैक्सीन को माइनस 70 से 80 डिग्री तापमान में ट्रांसपोर्ट किया जाना चाहिए. साधारण फ्रीज के तापमान में यह 24 से 48 घंटों में खराब हो जाएगी.

इन सभी वैक्सीन के लिए भी चाहिए कम तापमान
बता दें इसी तरह के mRNA प्लेटफॉर्म पर मॉडर्ना का टीका परिवहन और भंडारण के लिए माइनस 20 डिग्री की आवश्यकता के साथ आ रहा है. अन्य टीके ज्यादातर ऐसे हैं जो 2 से 8 डिग्री की सामान्य वैक्सीन प्रशीतन आवश्यकता को पूरा कर सकते हैं. रूस के एसपीटिनिक V को माइनस 15 डिग्री से कम तापमान की आवश्यकता नहीं होगी.

भारत को चाहिए होंगे अल्ट्रा कोड चेन
फाइजर का टीका इस हिसाब से भारत की गर्म जलवायु में ज्यादा उपयुक्त नहीं होगा. ऐसे में विकसित देशों को अल्ट्रा कोल्ड चेन में भारी निवेश की जरूरत होगी. भारत के पास अब कथित तौर पर 27000 कोल्ड चेन पॉइंट्स हैं, जो 2 से 8 डिग्री तक प्रशीतन प्रदान करते हैं. कुछ कोल्ड चेन इन्फ्रास्ट्रक्चर विशिष्ट दवाओं या टीकों के लिए माइनस 30 डिग्री तक काम करते हैं. कुल कोल्ड चेन इन्फ्रा का 90% कृषि भंडारण और परिवहन के लिए और केवल 10 फीसदी दवा की ज़रूरतों के लिए उपयोग किया जा रहा है.

जुलाई 2021 तक भारत को 300-400 मिलियन वैक्सीन खुराक के लिए कोल्ड चेन के व्यापक विस्तार की आवश्यकता है. यदि फाइजर के टीके का उपयोग किया जाता है, तो यह आवश्यकता कई गुना बढ़ जाती है.

सरकार ने कहा है कि वे इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क का उपयोग मनुष्य के लिए करेंगे और टीके की आपूर्ति का प्रबंधन वास्तविक समय में होगा. इसका उपयोग वर्तमान में यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम के लिए किया जा रहा है, यह प्रणाली अब तक केवल 32 राज्यों में है.

 

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