बठिंडा में पीजी संचालकों ने करोड़ों का टैक्स देने वाले एजुकेशन इंस्टीच्यूट खोलने की रखी मांग
-पीजी संचालकों को नगर निगम की तरफ से पानी सीवरेज व प्रापर्टी टैक्स तो बिजली निगम की तरफ से बिजली के बिल भेजे जा रहे हैं लेकिन उनके पास इंकम के कोई साधन नहीं। अब सरकार व प्रशासन ने उन्होंने शहर के 150 से अधिक इंस्टीच्यूटों को खोलने की मांग रखी है ताकि उनका रोजी रोटी का साधन बन सके व हजारों लोगों को फिर से रोजगार मिले।
बठिंडा. बठिंडा के पीजी संचालकों ने प्रशासन ने जिले में स्थित इंस्टीच्यूट को खोलने की मांग की है। उनका कहना है कि बठिंडा शहर एजुकेशन हब के तौर पर पहचान बना चुका है व यहां सैकड़ों शिक्षा संस्थानों में जहां हजारों छात्र शिक्षा हासिल करते हैं वही इससे सैकड़ों परिवारों की रोजी रोटी भी चल रही है। वर्तमान में अजीत रोड पर 150 के करीब पीजी है जिसमें बाहर से आने वाले छात्र ठहरते हैं व आसपास के इलाके में स्थित दुकानदार व व्यापारिक प्रतिष्ठानों का रोजगार भी इनके सहारे चल रहा है। शिक्षा संस्थान बंद होने से हजारों घरों में रोजी रोटी की समस्या पैदा हो रही है क्योंकि इन संस्थानों में पढ़ाने के लिए जहां सैकड़ों शिक्षक बेरोजगार हो रहे हैं वही दूसरे सहयोगी कामकाज भी बंद हो रहे हैं। इस स्थिति में प्रशासन शहर में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को मनवाने के साथ सरकार की तरफ से जारी गाइडलाइनों को मानना लाजमी कर इन एजुकेशन संस्थानों को खोलने की अनुमति प्रदान करे। पीजी संचालकों का कहना है कि उनके पीजी पिछले तीन माह से बंद है लेकिन बिजली के बिल, सीवरेज पानी व प्राप्रटी टैक्स उन्हें पूर्व की तरह भेजे जा रहे हैं जिसमें सरकार व प्रशासन की तरफ से कोई छूट नहीं दी जा रही है। इस स्थिति में उनके लिए समस्या निरंतर बढ़ रही है।
गौरतलब है कि बठिंडा में एजुकेशन हब्ब होने के साथ इक्नामी का बड़ा स्त्रोत भी है जिसमें शिक्षा संस्थानों से सरकार को करोड़ों रुपए का रैविन्यू हर साल मिलता है। वर्तमान में लाक डाउन व कर्फ्यू के कारण शहर में जहां सैकड़ों स्कूल व कालेज बंद है वही 150 से अधिक इंस्टीच्यूट भी बंद पड़े हैं। इन संस्थानों में पांच हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है जबकि स्कूल कालेजों से भी 50 हजार से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार मिल रहा है। इस स्थिति मेें अब सरकार पर इन संस्थानों को खोलने की प्रैसर पड़ने लगा है।