पहलू खान लिंचिंग केस: जानिए वो 7 कारण जिनकी वजह से बरी हो गए सभी आरोपी

पहलू खान मॉब लिंचिंग केस में अलवर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने 6 आरोपियों को बरी कर दिया है. सरकारी वकील ने कहा है कि इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देंगे. वहीं बचाव पक्ष के वकील का कहना है कि अदालत ने इस मामले में ऐतिहासिक फैसला दिया है. बचाव पक्ष के वकील हुकुम चंद ने कहा कि जो लोग इस मामले को संसद में उठाकर सियासी रोटियां सेंक रहे थे उन्हें जवाब मिल गया है. गाय लेकर लौट रहे पहलू खान पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया था

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जयपुर। पहलू खान मॉब लिंचिंग केस में अलवर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने 6 आरोपियों को बरी कर दिया है. सरकारी वकील ने कहा है कि इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देंगे. वहीं बचाव पक्ष के वकील का कहना है कि अदालत ने इस मामले में ऐतिहासिक फैसला दिया है. बचाव पक्ष के वकील हुकुम चंद ने कहा कि जो लोग इस मामले को संसद में उठाकर सियासी रोटियां सेंक रहे थे उन्हें जवाब मिल गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में सरकारी पक्ष अदालत में सबूतों को साबित करने में नाकाम रहा, वहीं कुछ गवाह भी पलट गए. पहलू खान मामले में आरोपियों के बरी होने की मुख्य वजहों को इन बिंदुओं में समझा जा सकता है.

1. कोर्ट ने घटनास्थल के वीडियो को ऐडमिसेबल सुबूत नहीं माना है.

2. कोर्ट ने यह भी कहा है कि पुलिस ने वीडियो की एफएसएल जांच नहीं करवाई है. ऐसे में वीडियो को सुबूत के तौर पर नहीं रखा जा सकता है.

3. कोर्ट ने यह कहा कि वीडियो बनाने वाले शख्स ने वीडियो बनाने के बारे में सही-सही जानकारी नहीं दी.

4. कोर्ट ने जजमेंट में कहा कि आरोपियों की शिनाख्त परेड जेल में नहीं कराई गई है ऐसे में गवाहों पर पूरी तरह से भरोसा नहीं किया जा सकता है.

5. मोबाइल की सीडीआर को भरोसेमंद सुबूत के तौर पर नहीं माना जा सकता है.

6. कैलाश अस्पताल के पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पिटाई की बात स्पष्ट नहीं थी.

7. पहलू खान ने जिन 6 लोगों का नाम डाईंग डिक्लेरेशन में बताया था वे लोग आरोपियों में शामिल नहीं थे. इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा कि पहलू खान का बेटा कोर्ट के अंदर भी आरोपियों की पहचान नहीं कर सका.

बता दें कि हरियाणा के नूंह के रहने वाले पहलू खान पर राजस्थान के अलवर जिले में 1 अप्रैल 2017 को हमला किया गया था. पहलू खान अपने दो बेटों के साथ उमर और ताहिर के साथ जयपुर के पशु बाजार से गाय और दूसरे दुधारू जानवर खरीदकर लौट रहे थे. इस दौरान अलवर में नेशनल हाई वे 8 पर कुछ लोगों ने उन पर हमला कर दिया था और उन्हें पीट दिया था. इस हमले में पहलू खान घायल हो गए थे. 4 अप्रैल 2017 को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी. राजस्थान के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव स्वरुप ने कहा है कि राज्य सरकार इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील करेगी.

पहलू खान केस में आए फैसले को HC में चुनौती देगी गहलोत सरकार

राजस्थान के अलवर में 1 अप्रैल, 2017 को हुई मॉब लिंचिंग (mob lynching case) की घटना में शिकार हुए हरियाणा के नूंह मेवात निवासी पहलू खान (Pahalu khan) की मौत के करीब सवा दो साल बाद बुधवार को कोर्ट ने 6 आरोपियों को बरी कर दिया. निचली अदालत के इस फैसले को गहलोत सरकार (Gehlot government) ने हाईकोर्ट (High Court) में चुनौती देने का फैसला किया है. राज्य सरकार जल्द ही फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेगी.

गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव स्वरूप ने कहा कि महलू खान मॉब लिंचिंग मामले में निचली अदालत का जो फैसला आया है, उसका अध्ययन किया जा रहा है. इसके बाद सरकार हाईकोर्ट में अपील करेगी. राजीव स्वरूप ने बताया कि राज्य सरकार ने अविलंब अपील करने का निर्णय लिया है. वहीं पहलू खान के मामले में शुरू से कानूनी लड़ाई लड़ने वाले समाज सेवी और वकील एस हयात ने कोर्ट के फैसले को निराशाजनक बताया है. उन्होंने कहा कि हम इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करेंगे.

बता दें, एडीजी प्रथम अदालत ने पहलू खान मॉब लिंचिंग मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया. अदालत ने अपने आदेश में वीडियो फुटेज को सबूत नहीं माना है.

वीडियो फुटेज की एफएसएल जांच नहीं कराई
मुख्य सचिव ने कहा कि कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पुलिस ने वीडियो फुटेज की एफएसएल जांच नहीं कराई. इसके साथ ही मृतक के बच्चे आरोपियों की पहचान नहीं कर सके. इस आधार पर कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है.

बता दें, आरोपियों के वकील हुकुम सिंह ने निचली अदालत के फैसले को ऐतिहासिक बताया. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने तथ्यों के आधार पर सभी को बरी किया है.

पीड़ित पक्ष की ओर से FIR में निर्दोष लोगों के नाम: कटारिया
वहीं पहलू खान मामले पर न्यायालय के फैसले पर तत्कालीन गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनकी सरकार ने पहलू खान के हत्यारों को सजा दिलाने की कोशिश की. मगर पीड़ित पक्ष की ओर से एफआईआर में निर्दोष लोगों के नाम लिखवा दिए गए. जिसकी वजह से इस तरह का फैसला आया.

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