बजट 2020: आम नहीं खास बजट पेश करें वित्त मंत्री, युवा वर्ग को आस और उम्मीद

इस बजट से शिक्षार्थी और शिक्षकों दोनों की उम्मीदें भी बंधी हुई है। शिक्षा पर बजट बढ़ाया जाना चाहिए तथा  शैक्षणिक सुविधाओं में सुधार हो। स्कूलों के हालात में भी काफी सुधार करने की जरूरत है। व्यवसायिक शिक्षा पर विशेष बिल हो।ऑनलाइन शिक्षा के लिए उपकरणों पर जीएसटी दरों को कम करने पर जोर देना चाहिए। केंद्र सरकार को प्रत्येक जिले में एक नवोदय और केंद्रीय विद्यालय खोलना चाहिए।

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म बजट 2020-21 की तैयारियां जोरों पर है।1 फरवरी, 2020 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना दूसरा बजट पेश करेंगी। देशभर के लोगों की नजर एक फरवरी को पेश होने वाले बजट पर टिकी है। पिछले साल यानी 2019-20 के लिए 27 लाख 86 हजार 349 करोड़ रुपए का बजट पेश किया गया था, जो 2018-19 के बजट से 13.4% ज्यादा था।
इस बार के बजट से देश को बहुत आशाएं जुड़ी है खासकर विद्यार्थी वर्ग और युवा वर्ग को। अलग-अलग क्षेत्र से जुड़े लोग वित्त मंत्री के सामने अपनी अपेक्षाएं साझा कर रहे हैं। ऐसे में देश के हर नागरिक के चेहरे पर मुस्कान बिखेरने के लिए वित्त मंत्री को आम नहीं खास बजट पेश करना होगा।
इस बजट से शिक्षार्थी और शिक्षकों दोनों की उम्मीदें भी बंधी हुई है। शिक्षा पर बजट बढ़ाया जाना चाहिए तथा  शैक्षणिक सुविधाओं में सुधार हो। स्कूलों के हालात में भी काफी सुधार करने की जरूरत है। व्यवसायिक शिक्षा पर विशेष बिल हो।ऑनलाइन शिक्षा के लिए उपकरणों पर जीएसटी दरों को कम करने पर जोर देना चाहिए। केंद्र सरकार को प्रत्येक जिले में एक नवोदय और केंद्रीय विद्यालय खोलना चाहिए।
शिक्षा के बजट में वृद्धि –शिक्षा पर मौजूदा बजट महज 3 फीसदी  है। अगर यह बजट बढ़ाकर 10 फीसद कर दिया जाए तो एजुकेशन अपनी लाइन पर आ सकती है।1968 से अब तक केंद्र सरकार की तीन एजुकेशन पॉलिसी आ चुकी है। तीनों ही पॉलिसी में एजुकेशन बजट जीडीपी का 6 फीसद करने की सिफारिश की है। इसलिए शिक्षा पर बजट बढ़ाया जाए।
नई शिक्षा नीति लागू हो- बजट में नई शिक्षा नीति को भी लागू किया जाए। मानव संसाधन विकास पर खर्च बढ़ाने के इलावा शोध और विकास पर भी निवेश पर भी ध्यान दिया जाए। नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना हो।
वोकेशनल शिक्षा का बजट बढे- स्कूलों की वोकेशनल शिक्षा के बजट में वृद्धि करनी चाहिए। और इसे सभी स्कूलों में अनिवार्य करने की जरूरत है। यूजीसी की ओर से यूनिवर्सिटीयो की ग्रांट भी बढे। कॉन्ट्रैक्ट पॉलिसी खत्म होनी चाहिए।
आयुष्मान का मिले लाभ- बजट में अध्यापकों के लिए भत्ते बढ़ाएं जाएँ। इसके अलावा पिछले करीब 6 सालों से अध्यापकों की डीए की किश्त रुकी हुई है इसे जल्द से जल्द जारी किया जाए। आयुष्मान सरबत बीमा योजना का लाभ मिले।
स्कूलों को बनाया जाए आधुनिक– सरकारी स्कूलों में स्मार्ट काउंसलर आधुनिक प्रयोगशालाओं पुस्तकालय की स्थापना के माध्यम से संस्थानों में इन स्कूलों को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित होना चाहिए। बजट में खेलों के सामान पर भी विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। इसके अलावा सातवां पे कमीशन केंद्र सरकार द्वारा लागू किया जा चुका है लेकिन पंजाब में इसे लागू नहीं किया गया, इसे भी लागू करना चाहिए।2004 के बंद की गई पेंशन को भी पुनर्जीवित किया जाए। ताकि पूरा जीवन शिक्षा को समर्पित करने वाले अध्यापकों का भी भविष्य सुरक्षित हो सके।
  • रोजगार के मोर्चे पर भी सरकार बजट में नई घोषणाएं कर सकती हैं। नई नौकरियां पैदा करने के लिए कंपनियों के लिए कई तरह के प्रोत्साहन का ऐलान भी करना चाहिए। नौकरियों के लिए कंपनी को इंसेंटिव्स देने पर भी विचार करना चाहिए। रोजगार सृजन करने वाला बजट हो। मोदी सरकार द्वारा शुरू स्टार्टअप इंडिया का लाभ अभी 18 फ़ीसदी लोगों को ही मिल रहा है इसकी फीसदी बढ़त ज्यादा होनी चाहिए।
  • सरकार प्रत्येक बजट में नई स्वरोजगार योजना लेकर आती है। इसलिए सरकारी मशीनरी द्वारा सरकारी योजना का सही क्रियान्वयन भी होना चाहिए। इस बजट में सरकार का पूरा ध्यान आर्थिक सुस्ती दूर करने पर होना चाहिए। इसे दूर करने के लिए मांग बढ़नी चाहिए मांग बढ़ेगी तो युवाओं को रोजगार भी मिलेगा और देश के युवा को रोजगार के तलाश में विदेश भी नहीं जाना पड़ेगा।
  • विशाल देश का बजट जारी करने के लिए व्यापक चर्चा और मशक्कत की जरूरत होती है जो इस समय वित्त मंत्री के नेतृत्व में जारी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने सबसे बड़ी चुनौती अर्थव्यवस्था के जाम हुए चक्के को गति देने की है। आर्थिक सुस्ती काम के कारण आर्थिक खपत में आई सुस्ती है। ऐसे में जरूरी होता है कि सरकार लोगों के हाथों में ज्यादा पैसा दे।
  • इसका सरल और तेज तरीका होता है आयकर में कटौती। वैसे खपत बढ़ाने के लिए लोगों की कमाई का बड़ा हिस्सा उसके पास रहने देने का विचार किया जा रहा है। अत्यधिक कमाई वालों के लिए नई टैक्स दरें, कॉरपोरेट टैक्स की तरह निजी आयकर में कटौती की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। इसके अलावा जो जो अलग किस्म की छूट और डिडक्शन है, उनमें भी वृद्धि की जा सकती है। इसे आयकर देने वालों के हाथों में ज्यादा पैसा आएगा।बजट 2020 सरकार के पास देश के आर्थिक फ्रंट पर अपनी संजीदगी को साबित करने का बेहतरीन मौका है, इसका हम सबको इंतजार है।

          लेखक – सौरभ कपूर

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( विद्यार्थी संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पंजाब के पूर्व प्रदेश मंत्री व वर्तमान में विभाग संगठन मंत्री के तौर पर कार्य कर रहे हैं। )

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