Panjshir vs Taliban: लंबी जंग की तैयारी और वार्ता को भी तैयार… जानें तालिबान के खिलाफ पंजशीर का प्लान

Panjshir vs Taliban in Afghanistan: रिपोर्ट्स में कहा गया है कि मसूद ने 9,000 लड़ाकों की फौज इकट्ठी कर ली है और ये लड़ाके पंजशीर में तालिबान के खिलाफ मोर्चा संभाले हुए हैं.

0 1,000,186

नई दिल्ली. अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) के खिलाफ संघर्ष का केंद्र पंजशीर बना हुआ है. इस बीच नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट (NRF) के प्रवक्ता अली मैसम नजारी (Ali Maisam Nazary) ने कहा है कि वे तालिबान के साथ लंबे युद्ध की तैयारी में हैं. बता दें कि नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट में पंजशीर के शेर कहे जाने वाले लेजेंड्री मुजाहिद्दीन कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद, खुद को अफगानिस्तान का केयर टेकर घोषित करने वाले पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह और पूर्व रक्षा मंत्री जनरल बिस्मिल्लाह मोहम्मदी भी शामिल हैं. खबरों के मुताबिक काबुल पर कब्जा करने वाले तालिबान ने अब तक अजेय रहे पंजशीर को जीतने के लिए अपने लड़ाके भेजे हैं.

बिस्मिल्लाह मोहम्मदी ने रविवार को ट्वीट किया कि पंजशीर तालिबान के खिलाफ सरेंडर नहीं करेगा और प्रतिरोध का संघर्ष जारी रहेगा. खबरों के मुताबिक हिंदू कुश इलाके में स्थित पंजशीर घाटी में तालिबान के खिलाफ मोर्चा मजबूती हासिल कर रहा है और नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट ने पुल हेसार, देह सलाह और बानू पर कब्जा हासिल कर लिया है. रिपोर्ट्स में कहा गया है कि मसूद ने 9,000 लड़ाकों की फौज इकट्ठी कर ली है और ये लड़ाके पंजशीर में तालिबान के खिलाफ मोर्चा संभाले हुए हैं.

जानिए क्या हैं NRF की तैयारियां और प्लान

 

लंबे युद्ध के लिए तैयार, लेकिन तालिबान के साथ वार्ता को भी तैयार; अफगानिस्तान की पूर्व सरकार की फौजें पंजशीर में तालिबान के साथ युद्ध के लिए तैयार हैं, लेकिन वे तालिबान के साथ वार्ता को भी इच्छुक हैं, फ्रंट के प्रवक्ता ने एएफपी को एक इंटरव्यू में बताया.

 

पंजशीर की ओर चले हजारों लड़ाके, फौजी तैयारियां तेज; अली मैसम नजारी ने कहा कि जब से तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया, हजारों लोग पंजशीर की ओर पलायन कर गए हैं. इनमें बहुत सारे लोग तालिबान के खिलाफ लड़ाई में हिस्सा लेना चाहते हैं, जबकि सैकड़ों लोग सुरक्षित पंजशीर घाटी में अपना जीवन यापन करना चाहते हैं. एएफपी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पंजशीर घाटी में दर्जनों की संख्या में नए रिक्रूट ट्रेनिंग ले रहे हैं, जबकि काबुल के पूर्वोत्तर में हमवी पर सवार एनआरएफ के लड़ाके लगातार मार्च कर रहे हैं.

NRF का मुख्य उद्देश्य; खून खराबे को टालना और काबुल में नई सरकार के लिए नया सिस्टम बनाने पर दबाव बनाना है. हालांकि नजारी ने कहा कि एनआरएफ जंग के लिए भी तैयार है, और अगर तालिबान बातचीत के लिए तैयार नहीं होता है, तो उसे पूरे देश में विरोध का सामना करना पड़ेगा. नजारी ने एएफपी से कहा कि तालिबान के साथ शांति वार्ता के मुख्य बिंदु विकेंद्रीकरण, एक व्यवस्था जो सामाजिक न्याय को चरितार्थ करें, सबको बराबरी का हक दें, अधिकार दे और सबको आजादी हासिल हो. नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट के विदेश विभाग के प्रमुख ने कहा कि अगर तालिबान उनके प्रस्तावों पर तैयार नहीं होता है, तो संघर्ष लंबा चलेगा.

NRF को मिला स्थानीय लड़ाकों का सहयोगः नजारी ने कहा कि उत्तरी अफगानिस्तान के स्थानीय नेताओं और पाकिस्तान सरकार के बीच कुछ दिनों पहले बातचीत चल रही थी, जब तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा हासिल कर लिया. लेकिन अब स्थिति बदल रही है. नजारी ने कहा कि स्थानीय लड़ाके तालिबान का विरोध कर रहे हैं और तालिबान के खिलाफ मसूद के नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट के साथ हाथ मिला रहे हैं. उन्होंने कहा कि मसूद ने इस बारे में कोई आदेश नहीं दिया है, लेकिन वे हमारे साथ जुड़े हैं. नजारी ने कहा, “तालिबान के संगठन पर बहुत दबाव है. वे हर जगह एक ही समय पर मौजूद नहीं रह सकते. उनके संसाधन सीमित हैं. अफगानिस्तान की बहुसंख्यक आबादी का समर्थन उनके पास नहीं है.”

मसूद और सालेह के विचार अलगः नजारी ने कहा कि मसूद का विचार अमरुल्लाह सालेह से अलग हैं. उन्होंने कहा कि सालेह पंजशीर में हैं. उन्होंने देश में रहना चुनाव और भागे नहीं. सालेह के पाकिस्तान विरोधी विचारों के बारे में नजारी ने कहा कि अमरुल्लाह एंटी ताबिलान और एंटी पाकिस्तानी हैं, इसका मतलब ये नहीं है कि वे इस आंदोलन का हिस्सा हैं. वे पंजशीर में हैं और उनका सम्मान है. बता दें कि अमरुल्लाह सालेह जहां पाकिस्तान का विरोध करते हैं, वहीं अहमद मसूद पाकिस्तान के साथ अच्छे रिश्ते की वकालत करते हैं. अशरफ गनी की सरकार को उखाड़ फेंकने में पाकिस्तान ने तालिबान का समर्थन किया है.

पंजशीर में शरण लेने वालों में बुद्धिजीवी, महिला एक्टिविस्ट और राजनेता भी; अहमद मसूद के लड़ाकों के अलावा अफगानिस्तान के विभिन्न इलाकों से पलायन करने वाले कम से कम 1 हजार से ज्यादा लोग पंजशीर में शरण लिए हुए हैं. नजारी ने कहा, “हमने देखा है कि देश के अलग-अलग प्रांतों में खुद को असुरक्षित महसूस करने वाले लोगों के लिए पंजशीर सुरक्षित ठिकाना बन गया है.” उन्होंने कहा कि तालिबान से असुरक्षित महसूस करने वाले बुद्धिजीवियों, महिला एक्टिविस्टों और राजनेताओं ने पंजशीर में शरण ले रखी है.

मसूद ने अमेरिका से मांगे हथियारः अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट में गुरुवार को प्रकाशित एक लेख में अहमद मसूद ने अमेरिका से हथियार मांगे हैं. नजारी ने कहा कि उन्होंने मानवीयता के आधार पर अपने लोगों को खिलाने और उनकी देखभाल के लिए भी सहायता की मांग की है. मसूद ने पंजशीर के लोगों का साथ देने का निर्णय किया और अपने पिता की लीगेसी को बरकरार रखने का भी. नजारी ने कहा कि अफगानिस्तान को एक फेडरल सरकार चाहिए ताकि देश में चल रहे हिंसक संघर्षों का अंत हो सके.

नजारी ने कहा कि अफगानिस्तान में युद्ध की स्थिति एक बायप्रोडक्ट की तरह है. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में अलग-अलग एथनिक समुदाय के लोग हैं. बहुत सारे एथनिक माइनॉरिटी हैं. और ऐसे देश में आप नहीं चाहेंगे कि एक समूह राजनीति में दबदबा रखे और अन्य वर्गों को नाममात्र का प्रतिनिधित्व मिले. नजारी ने कहा कि अफगानिस्तान में मसूद का प्रतिरोध और अन्य स्थानीय लड़ाकों का प्रतिरोध बदलाव को हासिल करने के लिए हैं. पंजशीर हमेशा से उम्मीद की किरण रहा है.

Leave A Reply

Your email address will not be published.