लाहौर: पाकिस्तान ने सोमवार को घोषणा की कि करतारपुर गलियारा (कॉरिडोर) नौ नवंबर को भारतीय सिख श्रद्धालुओं के लिये खोल दिया जाएगा. पाकिस्तान ने यह एलान जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लेने के भारत सरकार के फैसले के बाद नयी दिल्ली के साथ बीच उपजे विवाद के बीच किया है.
स्थानीय और विदेशी पत्रकार पहली बार लाहौर से लगभग 125 किलोमीटर दूर नरोवाल में प्रस्तावित करतारपुर गलियारे की यात्रा पर गए, इस दौरान यह घोषणा की गई. परियोजना के निदेशक आतिफ माजिद ने दौरे पर आए पत्रकारों को बताया कि अब तक गलियारे का 86 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है और इसे नौ नवंबर को खोल दिया जाएगा. माजिद ने कहा कि विकास कार्य अगले महीने तक पूरा कर लिया जाएगा.
यह गलियारा पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब और भारत के गुरदासपुर में डेरा बाबा नानक साहिब को जोड़ेगा. करतारपुर साहिब गुरुद्वारा की स्थापना सिखों के संस्थापक गुरु गुरुनानक देव जी ने 1522 में की थी. इससे भारतीय श्रद्धालुओं को बिना वीजा के सिर्फ परमिट हासिल कर आवाजाही की सुविधा मिलेगी.
पाकिस्तान करतारपुर में गुरुद्वारा दरबार साहिब के लिए भारतीय सीमा तक गलियारे का निर्माण कर रहा है, जबकि पंजाब के गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक से दूसरे हिस्से तक का निर्माण भारत द्वारा किया जाएगा.
दोनों देश इस बात पर सहमत हुए थे कि पाकिस्तान गलियारे के जरिये प्रतिदिन पांच हजार श्रद्धालुओं को अपने यहां आने की अनुमति देगा. यह भारत-पाकिस्तान के बीच 1947 के बाद से अब तक का पहला वीजा मुक्त गलियारा होगा.
परियोजना निदेशक माजिद ने कहा कि हर दिन भारत से 5,000 सिख तीर्थयात्रियों के आगमन के लिये लगभग 76 आव्रजन केन्द्र स्थापित किए गए हैं और यहां प्रतिदिन आने वाले 10,000 तीर्थयात्रियों के लिए 152 आव्रजन केन्द्र स्थापित किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि शुरू में भारत से रोजाना 5,000 सिख श्रद्धालु आएंगे और बाद में यह संख्या बढ़कर 10,000 हो जाएगी.
करतारपुर कॉरिडोर: पाकिस्तान वीजा फीस वसूलने की बात पर अड़ा, भारत ने कहा- आवाजाही निःशुल्क हो
नई दिल्ली: करतारपुर कॉरिडोर पर पाकिस्तान और भारतीय अधिकारियों के बीच तीसरे दौर की बातचीत हुई. जिसमें कुछ बातों पर दोनों में रजामंदी नहीं दिखी. भारत श्रद्धालुओं की आवाजाही पूरी तरह निःशुल्क चाहता है, लेकिन पाकिस्तान वीजा फीस वसूलने की बात पर अड़ा है. करतारपुर साहिब कॉरिडोर को लेकर भारत और पाकिस्तान के अधिकारियों के बीच कल भारत के बॉर्डर इलाके अटारी में बातचीत हुई थी.
दोनों देशों के बीच किन मुद्दों पर बनी सहमति?
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- करतारपुर कॉरिडोर से हर रोज बिना वीजा के 5 हजार यात्री करतारपुर साहिब का दर्शन करने जा सकेंगे.
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- करतारपुर कॉरिडोर पूरे साल खुला रहेगा.
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- पाकिस्तान जाने वाले श्रद्धालुओं को उसी दिन लौटना होगा.
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- श्रद्धालुओं को पोर्टल पर अप्लाई करना होगा.
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- 4 दिन पहले इसकी अनुमति मिल जाएगी.
भारत की तरफ से दावा किया गया कि टर्मिनल और 4 लेन सड़क का निर्माण कार्य जारी है और वक्त रहते सारा काम पूरा कर लिया जाएगा. गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव एस सी एल दास ने कहा, “पाकिस्तान के लगातार अड़ियल रवैये की वजह से आज समझौते को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका.” उन्होंने उम्मीद जताई कि पाकिस्तान दो “वाजिब मांगों” पर अपने रुख पर फिर से विचार करेगा. साथ ही बताया कि अन्य बैठक की भी योजना है.
किन मुद्दों पर फंसा पेंच?
ननकाना साहिब गुरुद्वारा जाने वाले श्रद्धालुओं से पाकिस्तान वीजा की फीस वसूलना चाहता है. पाकिस्तान 20 डॉलर की फीस लेने पर अड़ा है. पाकिस्तान फीस के लिए कॉरिडोर पर आए खर्च का हवाला दे रहा है, लेकिन भारत ने इस पर अपना विरोध जता दिया है.
इसके अलावा भारत सुरक्षा के लिहाजा से जत्थे के साथ एक प्रोटोकॉल अधिकारी भेजना चाहता है. लेकिन पाकिस्तान इस मांग पर सहमत नहीं है.
बता दें कि नवंबर 2018 में भारत और पाकिस्तान ने करतारपुर में गुरुद्वारा दरबार साहिब को जोड़ने वाला गलियारा बनाने पर सहमति जताई थी. करतारपुर पाकिस्तान के नोरोवाल जिले में रावी नदी के पास और डेरा बाबा नानक से करीब चार किलोमीटर पर स्थित है. दोनों पक्षों ने नवंबर में गुरु नानक की 550वीं जयंती के साल भर चलने वाले समारोह से पहले गलियारा खोलने की योजना बनाई है.