पाकिस्तान /टेरर फंडिंग रोकने के लिए एफएटीएफ के दिए 27 में से 25 पॉइंट्स पर कार्रवाई नहीं कर सकी इमरान सरकार
आतंकी संगठनों की फंडिंग पर नजर रखती है एफएटीएफ, माना जा रहा है कि अंतरराष्ट्रीय कर्जदाता पाक की वित्तीय साख को और नीचे रख गिरा सकते हैं
इस्लामाबाद. पाकिस्तान एक बार फिर टेरर फंडिंग रोकने के मामले में नाकाम साबित हुआ है। अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, जमाद-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत जैसे आतंकी सगंठनों को हो रही फंडिंग को चेक करने के लिए 27 बिंदु दिए थे, लेकिन पाकिस्तान इनमें से 25 बिंदुओं पर काम करने में नाकाम साबित रहा।
इसके चलते अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष, विश्व बैंक और यूरोपीय संघ पाकिस्तान की वित्तीय साख को और नीचे रख गिरा सकते हैं। ऐसे में वित्तीय संकट में जूझ रहे पाकिस्तान की स्थिति और खराब हो सकती है। एफएटीएफ ने पाकिस्तान से जवाब मांगा है कि क्या वह आतंकी संगठनों द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों, मदरसों, अस्पतालों को अलॉट हुए 7 मिलियन अमेरिकन डॉलर के मामले में जांच कर रहा है या नहीं।
पाक को लगातार ग्रे लिस्ट में रखा
एफएटीएफ आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों की फंडिंग पर नजर रखती है। एफएटीएफ ने पाक को लगातार ग्रे लिस्ट में रखा है। इस लिस्ट में जिस भी देश को रखा जाता है, उसे कर्ज देने में बड़ा जोखिम समझा जाता है। इसके कारण अंतरराष्ट्रीय कर्जदाताओं ने पाक को आर्थिक मदद और कर्ज देने में कटौती की है। इस कारण पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति लगातार खराब हुई है।
जैश ने पुलवामा में फिदायीन हमला कराया था
अंतरराष्ट्रीय आतंकी हाफिज सईद ने जमात-उद-दावा तथा फलाह-ए-इंसानियत की स्थापना की थी। आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने भारत में 2008 मुंबई हमला कराया था। लश्कर ने 1999 में एक भारतीय विमान का अपहरण भी किया था। हाल ही में पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले की बस पर फिदायीन हमला हुआ था। इसमें 40 जवान शहीद हुए थे। हमले की जिम्मेदारी जैश ने ली थी।