पाकिस्तान में गहराते कोरोना संकट के बीच सेना और सत्ता केे बीच तेज होने लगा है संघर्ष, जनता बेहाल

पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति दिनों दिन गिरती ही जा रही है साथ ही साथ इमरान खान के सेना की सहायता से सत्ता में आने के बाद, सेना के शासन पर प्रभाव और उसकी शक्ति में अत्याधिक वृद्धि कर दी है और जिसका प्रभाव सत्ता पर स्पष्ट दखल के रूप में अनेकों अवसरों पर देखा जाता रहा है.

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पाकिस्तान की नीति निर्माण और उसके कार्यपालन में हमेशा से एक द्वैध देखने में आता रहा है. पाकिस्तान की सरकार और सेना के बीच प्रधानता को लेकर सतत चलने वाले संघर्ष में अक्सर इस देश की जनता के हितों को दरकिनार होते देखा गया है. कोरोना वायरस एक वैश्विक आपदा है इससे दुनिया के साधनहीन देशों से लेकर सर्वाधिक सम्पन्न और शक्तिशाली राष्ट्र समान रूप से जूझ रहे हैं, इनमें से एक पाकिस्तान भी है. विगत वर्षों में पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति दिनों दिन गिरती ही जा रही है साथ ही साथ इमरान खान के सेना की सहायता से सत्ता में आने के बाद, सेना के शासन पर प्रभाव और उसकी शक्ति में अत्याधिक वृद्धि कर दी है और जिसका प्रभाव सत्ता पर स्पष्ट दखल के रूप में अनेकों अवसरों पर देखा जाता रहा है. और इस वैश्विक महामारी के प्रसार के काल में पाकिस्तान के अन्दर एक बार फिर सत्ता के लिए संघर्ष में तेजी आ गई है.

  • कोरोना वायरस संकट पर निर्णायक कार्रवाई करने और इसके बढ़ते मामलों के प्रसार को रोकने के प्रयासों के तहत लाये गए लॉकडाउन के बाद प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी सरकार को पाकिस्तान की शक्तिशाली सेना द्वारा दरकिनार कर दिया गया है. उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री खान लम्बे समय तक इसी ऊहापोह की स्थिति में रहे कि लॉकडाउन लाया जाना चाहिए या नहीं.
  • पिछले महीने की 22 मार्च को, प्रधानमंत्री खान ने देश के नाम संबोधन में स्पष्ट कर दिया कि उनकी सरकार एक व्यापक लॉकडाउन नहीं करेगी, जिसके पीछे यह तर्क दिया गया कि ऐसा करने से देश की आबादी रोजगार से वंचित हो जायेगी, और पहले ही गरीबी से संघर्ष कर रहे परिवारों के सामने अस्तित्व का संकट उत्पन्न हो जाएगा.
  • पाकिस्तान की नीति निर्माण और उसके कार्यपालन में हमेशा से एक द्वैध देखने में आता रहा है. पाकिस्तान की सरकार और सेना के बीच प्रधानता को लेकर सतत चलने वाले संघर्ष में अक्सर इस देश की जनता के हितों को दरकिनार होते देखा गया है. कोरोना वायरस एक वैश्विक आपदा है इससे दुनिया के साधनहीन देशों से लेकर सर्वाधिक सम्पन्न और शक्तिशाली राष्ट्र समान रूप से जूझ रहे हैं, इनमें से एक पाकिस्तान भी है.
  • विगत वर्षों में पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति दिनों दिन गिरती ही जा रही है साथ ही साथ इमरान खान के सेना की सहायता से सत्ता में आने के बाद, सेना के शासन पर प्रभाव और उसकी शक्ति में अत्याधिक वृद्धि कर दी है और जिसका प्रभाव सत्ता पर स्पष्ट दखल के रूप में अनेकों अवसरों पर देखा जाता रहा है. और इस वैश्विक महामारी के प्रसार के काल में पाकिस्तान के अन्दर एक बार फिर सत्ता के लिए संघर्ष में तेजी आ गई है.

कोरोना वायरस संकट पर निर्णायक कार्रवाई करने और इसके बढ़ते मामलों के प्रसार को रोकने के प्रयासों के तहत लाये गए लॉकडाउन के बाद प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी सरकार को पाकिस्तान की शक्तिशाली सेना द्वारा दरकिनार कर दिया गया है. उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री खान लम्बे समय तक इसी ऊहापोह की स्थिति में रहे कि लॉकडाउन लाया जाना चाहिए या नहीं. पिछले महीने की 22 मार्च को, प्रधानमंत्री खान ने देश के नाम संबोधन में स्पष्ट कर दिया कि उनकी सरकार एक व्यापक लॉकडाउन नहीं करेगी, जिसके पीछे यह तर्क दिया गया कि ऐसा करने से देश की आबादी रोजगार से वंचित हो जायेगी, और पहले ही गरीबी से संघर्ष कर रहे परिवारों के सामने अस्तित्व का संकट उत्पन्न हो जाएगा.

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