Oxygen Crisis: पंजाब में आयरन व स्टील इंडस्ट्री प्लांटों में औद्योगिक गतिविधियां बंद करने के आदेश

अमृतसर में ऑक्सीजन की कमी के कारण छह मौतों के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राज्य की आयरन व स्टील इंडस्ट्री में औद्योगिक गतिविधियां बंद करने के निर्देश दिए हैं। इसका उद्देश्य इस इंडस्ट्री को मेडिकल के तौर पर प्रयुक्त करना है।

चंडीगढ़। पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शनिवार को राज्य में लौह और इस्पात उद्योगों की गतिविधियां बंद करने के आदेश दिए हैं, जिससे मेडिकल इस्तेमाल के लिए ऑक्सीजन को प्रयोग में लाया जा सके। उन्होंने इसके साथ ही राज्य में ऑक्सीजन की कमी के कारण पैदा हुए संकट के मद्देनज़र तुरंत राज्य और ज़िला स्तर पर ऑक्सीजन कंट्रोल रूम स्थापित करने के भी आदेश दिए। बता दें, आज ही अमृतसर में एक निजी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के कारण छह मरीजों की मौत हो गई।

मुख्यमंत्री ने अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर को शहर के अस्पताल में घटित दर्दनाक हादसे की गहराई के साथ जांच शुरू करने के भी आदेश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि अलग-अलग अस्पतालों से आ रही ऑक्सीजन की कमी की खबरों के कारण पैदा हुई स्थिति के मद्देनज़र और पंजाब को मौजूदा समय में अलॉट की जाती ऑक्सीजन की थोड़ी मात्रा को देखते हुए, उन्होंने केंद्र सरकार के समक्ष पहले ही यह मुद्दा उठाते हुए तत्काल तौर पर कोटा बढ़ाने की मांग की है।

उन्होंने यह भी कहा कि मुख्य सचिव विनी महाजन इस मुद्दे की पैरवी कर रही हैं। उन्होंने बताया कि पड़ोसी राज्यों से अचानक ही मरीजों की बढ़ी संख्या के कारण पंजाब को ऑक्सीजन की बड़ी मात्रा में ज़रूरत पैदा हो गई है। लौह और इस्पात के प्लांटों में औद्योगिक गतिविधियां बंद करने का हुक्म देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा अपने फ़ैसले के बारे में केंद्र सरकार को अवगत करवा दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने बिजली विभाग से मेडिकल इस्तेमाल के लिए ऑक्सीजन उपलब्ध करवाने के लिए थर्मल प्लांटों को इस्तेमाल किए जाने सम्बन्धी व्यावहारिकता रिपोर्ट भी मांगी है।

पंजाब में बीते कुछ दिनों के दौरान ऑक्सीजन की मांग में काफ़ी वृद्धि हुई है। यह मांग मौजूदा समय के दौरान 250 टन पर खड़ी है और कोविड मामलों की बढ़ती संख्या के मद्देनज़र आने वाले दिनों में यह मांग 300 टन तक पहुंच सकती है। मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि निजी अस्पतालों के अंतर्गत अनुबंधित ऑक्सीजन सप्लाई की भी समीक्षा की जाए, जिससे यह यकीनी बनाया जा सके कि ऑक्सीजन की सप्लाई ज़रूरत के अनुसार राज्यभर में व्यावहारिक और तर्कसंगत ढंग के साथ की जा सके।

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