कोरोना के चलते शिक्षा संस्थानों को बंद करने का विरोध, हजारों प्राइवेट स्कूलों से जुड़े कर्मी निकले सड़कों पर

-सरकार से जारी फरमान को जल्द वापिस लेने व स्कूलों को खोलने की अनुमति देने की रखी मांग, प्रदर्शन में स्कूल के अध्यापक, कर्मचारी, स्कूल प्रबंधन के साथ अभिभावक व ट्रांसपोर्टरों ने लिया हिस्सा।

बठिंडा। निजी स्कूलों की एसोसिएशन और समूह कर्मचारी संगठनों के आह्वान पर, निजी स्कूलों के छात्रों के अभिभावकों, बस चालकों, कंडक्टरों, शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों ने शहर में भारी विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान हजारों की तादाद में प्राइवेट स्कूलों के अध्यापकों, प्रबंधकों, स्कूल कर्मियों व बस आपरेटरों ने शहर के विभिन्न हिस्सों में रोष रैली निकाली व पंजाब सरकार से स्कूलों को जल्द खोलने की मांग की गई। बठिंडा में आयोजित  विशाल विरोध रैली में सरकार विरोधी नारे लगाने के साथ सरकार को प्राइवेट स्कूलों का विरोधी करार दिया। कोरोना को लेकर पंजाब सरकार ने स्कूलों को 10 अप्रैल तक बंद रखने की हिदायत दी है जबकि प्राइवेट स्कूल सरकार के इस फैसले पर नाखुशी जाहिर कर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि एक तरफ जहां स्कूलो को दाखिला प्रक्रिया शुरू होने वाली है वही सरकार ने पहले साल 2020 व अब फिर इस सेशन में स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया है जिससे स्कूलों के साथ छात्रों व अभिभाावकों का नुकसान हो रहा है।  फेडरेशन के अध्यक्ष जगजीत सिंह धूरी के मार्गदर्शन में, फेडरेशन से जुड़े निजी स्कूलों और अन्य संघों के स्कूलों ने इसमें भाग लिया। पावर हाउस रोड से शुरू हुई यह रैली शहीद नंद सिंह चौक, हनुमान चौक, बस स्टैंड के पास से होकर गुजरी और मिनी सचिवालय होते हुए उपायुक्त, बठिंडा को मांग पत्र  सौंपने के बाद समाप्त हुई।

विरोध रैली में भाग लेने वाले छात्रों के माता-पिता, शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारी ने  , “कोरोना एक बहाना है, असली और बहाना   है” जैसे नारे लगाते हुए स्कूलों को जल्द से जल्द पूरे अनुशासन और संयम के साथ फिर से शुरू करने की कोशिश की।

इस अवसर पर महासंघ के जिला प्रतिनिधि सुखचैन सिंह सिद्धू ने कहा कि अब सभी गतिविधियाँ सुचारू रूप से चल रही हैं, स्कूलों के बंद होने से बच्चों की शिक्षा को बहुत नुकसान हो रहा है। पिछले साल स्कूल बंद होने के कारण, भले ही ऑनलाइन शिक्षा आयोजित की गई थी, लेकिन इसके सार्थक परिणाम नहीं आए। उन्होंने आगे कहा कि हालांकि कोरोना वायरस एक खतरनाक वायरस है लेकिन स्कूलों को बंद करना कोई समाधान नहीं है क्योंकि बच्चे लगातार बाजारों, खुशी के अवसरों, रिश्तों आदि का दौरा कर रहे हैं। उन्होंने सरकार से पूछा कि क्या गारंटी थी कि कुछ समय के लिए स्कूलों को बंद करने से वायरस ठीक हो जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि सरकार covid – 19 के प्रसार पर उसी तरह से अंकुश लगाने के लिए कुछ प्रतिबंध लगाकर स्कूलों को फिर से खोलने की अनुमति देनी चाहिए कि बाकी सब कुछ शर्तों के साथ खुला हो।
इस अवसर पर रैली को संबोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता वीनू  गोयल ने कहा कि बच्चे देश का भविष्य हैं। इस भविष्य की नींव लगातार रखी जा रही है। स्कूलों के बंद होने से छात्रों के मानसिक विकास पर हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है। covid  19 के निर्देशों का पालन करते हुए, स्कूलों में प्रशासक छात्रों को बहुत ही कुशल तरीके से शिक्षा प्रदान कर सकते हैं। अंत में, PASA के प्रधानाचार्य जगदीश सिंह घई, मनीष अरोड़ा, नरिंदरपाल सिंह, शारदा चोपड़ा, सभी भाग लेने वाले छात्रों के माता-पिता, शिक्षण और गैर-शिक्षण स्टाफ और परिवहन कर्मियों ने विरोध प्रदर्शन में भाग लिया।

Leave A Reply

Your email address will not be published.