कर्नाटक: विधानसभा स्पीकर बोले- विधायकों ने अपनी मर्ज़ी से नहीं दिया इस्तीफा, पब्लिक सब जानती है
स्पीकर के.आर. रमेश ने तीन कांग्रेस विधायकों को दलबदल कानून के तहत अयोग्य घोषित ठहराया.
नई दिल्ली। कर्नाटक में विश्वास मत के बाद कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर की सरकार गिर जाने के बाद भी अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि अगला सीएम कौन से दल का होगा. एक ओर भारतीय जनता पार्टी की कर्नाटक इकाई, केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी मिलने का इंतजार कर रही है तो वहीं कांग्रेस और जेडीएश भी हालिया घटनाक्रम पर अपनी नजर बनाए हुए हैं.
गुरुवार को विधानसभा के स्पीकर के.आर. रमेश ने तीन कांग्रेस विधायकों को दलबदल कानून के तहत अयोग्य घोषित ठहराते हुए कहा कि ये अगले विधानसभा चुनाव तक यानी साल 2023 से पहले चुनाव नहीं लड़ सकते.
वहीं अभी भी करीब 13 विधायकों के इस्तीफे पर अटकलों का दौर जारी है. समाचार चैनल NDTV की एक रिपोर्ट के अनुसार बाकी विधायकों के इस्तीफों पर के.आर. रमेश ने कहा कि वह कुछ दिन में फैसला करेंगे. NDTV की रिपोर्ट के अनुसार रमेश ने कहा कि बाकी इस्तीफों पर वह कुछ दिनों में फैसला करेंगे. रिपोर्ट के अनुसार, रमेश ने कहा कि ‘अभी तक इस्तीफे स्वीकार नहीं किए गए हैं. इस्तीफे 100 फीसदी स्वेच्छा से नहीं दिए गए हैं, वास्तविक नहीं हैं.. यह पूरी दुनिया जानती है.’
23 जुलाई को विधानसभा में हुए शक्ति-परीक्षण में कुमारस्वामी सरकार अल्पमत में आ गई थी. कुमारस्वामी द्वारा पेश विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 99 और विरोध में 105 मत पड़े थे. इस तरह कुमारस्वामी सरकार के विश्वासमत हारने के बाद तीन सप्ताह से चले आ रहे सियासी नाटक का पटाक्षेप हो गया था.
बाकियों के लिए नजीर है फैसला!
कांग्रेस और जद (एस) की अयोग्यता की मांग वाली याचिकाओं और विधायकों के इस्तीफे पर कुमार के फैसले को अन्य बागियों को कड़े संदेश के रूप में देखा जा रहा है. अन्य बागी विधायक अब भी मुंबई में डेरा डाले हुए हैं और उनका कहना है कि वे विधानसभा सदस्यता छोड़ने के अपने फैसले से पीछे नहीं हटेंगे. कांग्रेस के बागी विधायकों रमेश जारकीहोली, महेश कुमातल्ली और शंकर को स्पीकर के कड़े फैसले का सामना करना पड़ा.
कुमार ने स्पष्ट किया है कि दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य करार दिए गए सदस्य ना तो चुनाव लड़ सकते हैं, ना ही सदन का कार्यकाल खत्म होने तक विधानसभा के लिए निर्वाचित हो सकते हैं.
भाषा इनपुट के साथ