बठिंडा ब्लड बैंक मामले में सात दिन बीतने के बाद भी पंजाब ड्रग अथारिटी को नहीं दिया अधिकारियों ने जबाव
-समय पर जबाव नहीं देने पर हो सकती है ब्लड बैंक का लाइसेंस सस्पेंड व रद्द करने की कारर्वाई
बठिंडा. ड्रग कंट्रोलर की तरफ से सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक को 2 दिसंबर को नोटिस निकालकर 8 दिसंबर तक इसका जबाव देने के लिए कहा था। इसमें हैरानी वाली बात यह है कि ड्रग अथार्टी को ब्लड बैंक व सिविल अस्पताल प्रबंधन की तरफ से आज तक किसी तरह का जबाव नहीं दिया गया है जबकि इसमें सिविल सर्जन की तरफ से नोटिस निकालने के बाद चार बार ब्लड बैंक का दौरा कर रिकार्ड की जांच की जा चुकी है। तीन अक्टूबर व सात नवंबर को थैलेसीमिया समेत एक महिला को एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ाने के मामले में बठिडा सिविल अस्पताल के सरकारी ब्लड बैंक को शोकाज नोटिस जारी किया गया था। यह शोकाज नोटिस असिस्टेंट कमिश्नर ड्रग पंजाब की तरफ से गत दो दिसंबर को सीनियर मेडिकल आफिसर व ब्लड बैंक इंचार्ज बठिडा को जारी किया गया है। एसएमओ व बीटीओ को सात दिनों के भीतर जवाब देना था। ऐसा नहीं करने पर सरकारी ब्लड बैंक का लाइसेंस सस्पेंड या रद करने की कार्रवाई अमल में लाई जा सकती है।
शोकाज नोटिस में ब्लड बैंक की व्यवस्था से लेकर सही तरीके से रिकार्ड मेनटेन करने, ब्लड सही नहीं रखने समेत कई पहलुओं पर जवाब मांगा है। बता दें कि 3 अक्टूबर के पहले केस में ड्रग अथारिटी द्वारा की जांच रिपोर्ट में बताया था कि ब्लड टेस्ट नहीं हुआ, वहीं दूसरे केस में ब्लड टेस्ट करने को मैक एलाइजा टेस्ट नहीं किया गया जिसके कारण यह दोनों घटनाओं में लापरवाही दिखाई गई। ड्रग कंट्रोलर एंड लाइसेंसिग अथारिटी दो बार जांच कर चुकी है। इस मामले में पंजाब सरकार की ओर से गठित की एक अन्य टीम भी अलग से जांच कर रही है।
ड्रग कंट्रोल अथारिटी की कारगुजारी पर भी किए गए सवाल खड़े मामले में स्थानीय ड्रग कंट्रोल अथारिटी की कारगुजारी पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। पहला सवाल बैंक में ब्लड टेस्ट करने के लिए एलाइजा टेस्ट मशीन 6 माह तक खराब होने के बावजूद इसे ठीक करवाने को प्राथमिकता नहीं दी गई। इसमें लोकल अथारिटी ने तय समय में ब्लड बैंक की जांच नहीं की। अनट्रेड स्टाफ के बारे में भी अधिकारियों से रिपोर्ट तलब नहीं की। अधिकारी ब्लड बैंक में मनमाने ढंग से अपनी सुविधा अनुसार कर्मियों की नियुक्ति करते रहे जिसका नतीजा यह रहा कि अनट्रेड कर्मचारी सामन्य जांच कर ब्लड बैंक के बैग में अप्रूव व एचआईवी नेगेटिव की मोहर लगाकर खून का आबंटन करते रहे हैं।