बठिंडा में नए स्टांप पेपरों पर पुराने एग्रीमेंट कर नगर निगम से एनओसी हासिल की, विजिलेंस जांच शुरू

-विवादित एनओसी की चल रही विजिलेंस जांच, फिर भी की जा रही तहसील दफ्तरों में रजिस्ट्रियां, निगम कमिश्नर की शिकायत के बावजूद पुलिस ने दर्ज नहीं किया केस

बठिडा. सरकार की तरफ से अवैध कालोनियों के मामले में बिना एनओसी के रजिस्ट्री नहीं करने के फऱमान को लेकर लाखों लोग सरकारी दफ्तरों में परेशान हो रहे हैं। वही दूसरी तरफ कुछ प्रापर्टी डीलर निगम व तहसील दफ्तरों में तैनात एजेंटों व अधिकारियों के साथ मिलकर गलत दस्तावेजों के आधार पर एनओसी हासिल कर बिना किसी दिक्कत के रजिस्ट्रियां करवाने में जुटे हैं। मामला केवल बठिंडा नगर निगम के साथ नहीं जुड़ा है बल्कि विभिन्न कौंसिलों, बीडीए व पुडा दफ्तरों में मोटी राशि वसूल कर बैकडोर से रजिस्ट्रियां करवाने का सिलसिला बे-रोकटोक चल रहा है। इस मामले में अधिकारियों की मिलीभगत का खुलासा इस बात से होता है कि इस तरह के घपलों को लेकर भेजी गई शिकायत पर विजिलेंस विभाग ने जांच भी शुरू कर रखी है लेकिन इस जांच के दौरान ही तहसील दफ्तरों में नियम कायदों को ताक पर रखकर रजिस्ट्रियां हो रही है। वही दूसरी तरफ सैकड़ों ऐसे लोग है जो अपनी जीवन भर की पूंजी से जोड़ी गई प्रापर्टी की जायज एनओसी हासिल करने के लिए दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उन्हें कर्मी एक से दूसरे व तीसरे दफ्तरों में भेजकर परेशान कर रहे हैं। फिलहाल हाल में हुए भ्रष्टाचार के एक केस में खुलासा हुआ है कि कालोनाइजरों की तरफ से नए स्टांप पेपरों पर पुराने एग्रीमेंट कर नगर निगम से रेगुलाइजेशन सार्टिफिकेट (एनओसी) हासिल कर लिया गया। इसमें पुराने स्टांप कहां से हासिल किए गए व इस पूरे खेल में निगम से लेकर तहसील दफ्तरों कर्मियों व अधिकारियों की मिलीभगत को जानने के लिए चंडीगढ़ विजिलेंस विभाग ने जांच शुरू कर दी। इस मामले का खुलासा होने के बाद भी बठिडा तहसील के अधिकारियों व कर्मचारियों की तरफ से विवादित एनओसी के आधार पर रजिस्ट्रियां की जा रही है। गलत दस्तावेज के आधार पर निगम की तरफ से जारी की गई एक दर्जन से ज्यादा एनओसी की जांच विजिलेंस विभाग चंडीगढ़ की तरफ से की जा रही। इसके बाद भी बठिडा तहसील के कुछ कर्मचारी शहर के प्रापर्टी डीलर के साथ मिलकर उक्त एनओसी को आधार बनाकर पर जमीन की रजिस्ट्री कर रहे है। वहीं एनओसी की जांच करवाने वाले शिकायतकर्ता ने बीते दिन बठिडा के सब रजिस्ट्रार को मिलकर उक्त सभी एनओसी नंबर के आधार पर रजिस्ट्री नहीं करने और विजिलेंस जांच चलने की लिखित शिकायत भी दी है।
क्या है मामला
बीती छह सितंबर 2021 को ह्यूमन राइट्स कौंसिल पंजाब के डिप्टी डायरेक्टर चौधरी कृष्ण लाल ने सब रजिस्ट्रार बठिडा को एक लिखित शिकायत सौंपकर बताया था कि कुछ कालोनाइजरों ने गलत दस्तावेज के आधार पर नगर निगम से कुछ एनओसी जारी करवाई है। इसमें एनओसी नंबर 13260, 13303,13362,13323,13318,14309,13324,13247,132899,13249,13298,13317,13995,13996 शामिल है। यह सभी एनओसी बठिडा की दो कालोनियों को जारी किए है। इसमें एक कालोनी परसराम नगर में है, जिसका खसरा नंबर 4895 (8-7) खाता नंबर 1681-8873 रकबा पत्ती झुटीके और दूसरी कालोनी गली नंबर एक सुर्खपीर रोड जिसका खसरा नंबर 4660 खेवट नंबर 2464 खतोनी नंबर 12603 और 12617 रकबा पत्ती झुटीके बठिडा है। निगम द्वारा जारी इन सभी एनओसी की शिकायत मुख्यमंत्री पंजाब, विजिलेंस विभाग के अलावा संबंधित विभाग के अधिकारियों के पास की गई है और इन सभी एनओसी नंबर की डीजीपी विजिलेंस की तरफ से जांच की जा रही है। इसलिए इन एनओसी नंबर अधीन पड़ती कोई भी जमीन की रजिस्ट्री जांच पूरी होने तक ना की जाए।
निगम कमिश्नर के पत्र के बाद भी पुलिस नहीं दर्ज कर रही एफआईआर
निगम कमिश्नर बठिडा विक्रमजीत सिंह शेरगिल ने एक शिकायत के आधार पर निगम की बिल्डिग ब्रांच की तरफ से जारी की गई एनओसी की जांच पड़ताल की थी। इसके बाद यह सामने आया था कि कालोनाइजर ने एनओसी हासिल करने के लिए साल 2021 के स्टांप पेपर खरीदकर उसपर 2017 से पहले के एग्रीमेंट लिखे गए और उसे ही आधार पर बनाकर यह एनओसी हासिल किए गए। इतना ही नहीं यह सभी स्टांप पेपर बठिडा रामपुरा फूल और श्री मुक्तसर साहिब से खरीदे गए थे। निगम कमिश्नर की तरफ की गई जांच में यह क्लीयर हो गया था कि उक्त स्टांप पेपर साल 2021 में खरीदे गए थे। जांच पूरी करने के बाद निगम कमिश्नर ने उक्त मामले में केस दर्ज करने के लिए एसएसपी बठिडा को पत्र भी लिखा था। हैरानी वाली बात यह है कि निगम कमिश्नर की तरफ से लिखे गए पत्र को तीन माह से ज्यादा समय बीत चुका है, लेकिन बठिडा पुलिस की तरफ से एफआइआर दर्ज नहीं करना कई बड़े सवाल खड़े कर रहा है। वही बठिडा तहसील के सब रजिस्ट्रार विनय बांसल का कहना है कि वह उक्त मामले के बारे में दफ्तर में दस्तावेज चेक करने के बाद ही कुछ बता सकते है। इसके बारे में उन्हें अभी कोई भी जानकारी नहीं है।
अवैध कालोनियों को वैध करने की चार बार बन चुकी पालसी
अवैध कालोनियों को वैध करने के लिए स्थानीय निकाय विभाग पिछले सात साल में चार बार पॉलिसी तैयार कर चुका है। सरकार की तरफ से चार बार पॉलिसी के तहत लोगों से मांगे गए आवेदन कॉलोनी संचालकों के साथ प्लाट होल्डरों को पसंद नहीं आए। यही कारण है कि शहर में 70 कालोनाइजरों में से तीन हजार से अधिक प्लाट होल्डरों में से 485 प्लाट होल्डरों ने ही सरकार की पॉलिसी का फायदा उठाया और रेगुलराइजेशन फीस भरी। वहीं जिले में 250 अवैध कालोनी है। कॉलोनी को रेगुलर करवाने की तरफ दिलचस्पी नहीं दिखाने के पीछे बनने वाली नीति प्रभावी नहीं होना रहा। निकाय विभाग इन कालोनियों में सड़कें व जल आपूर्ति व सीवरेज के लिए पर्याप्त जगह छोड़े जाने की शर्तों पर भी बल दे रहे हैं। यही कारण है कि सरकार के पास 31 जनवरी 2018 तक ऑनलाइन व लिखित एतराज दिए गए लेकिन मसले का स्थायी हल नहीं निकल सका। बीडीए की ओर से शहर में लोकल प्लानिंग एरिया के तहत जारी अप्रूव्ड कालोनियों के एक दर्जन प्रमोटरों ने लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन किया और बाहरी विकास शुल्क (ईडीसी) फीस जमा नहीं कराई। लिहाजा बीडीए प्रशासन ने ऐसी कालोनियों के सेल परचेज पर रोक लगा दी व इनके बाहर चेतावनी बोर्ड भी लगा दिए।
2012 में सर्वे के बाद बठिंडा में 250 कॉलोनियों को किया अवैध चिन्हित, पिछले तीन साल में 50 से ऊपर नही कालोनी भी अवैध की श्रेणी में है। सरकार ने विभिन्न कंपनियों के माध्यम से साल 2012 में करवाए सर्वे के बाद बठिंडा में करीब 250 अवैध कालोनियों को चिन्हित किया था। इसमें करीब 70 कॉलोनी बठिंडा नगर निगम के अधीन आती थी। अनुमानित तौर पर शहर का 50 फीसदी हिस्सा अवैध कॉलोनियों से बना है। इसमें प्रापर्टी संचालक सुनील सिंगला, राहुल कुमार का कहना है कि सरकार ने लंबे समय से आबाद कॉलोनियों को वैध करने के लिए मोटी फीस निश्चित की थी। इसे भर पाना किसी के बस की बात नहीं थी। अब सरकार ने ऐसी कालोनियों की रजिस्ट्री पर रोक लगा दी व एनओसी की शर्त लागू कर दी जिससे प्रापर्टी डीलरों को दिकक्तों का सामना करना पड़ रहा है।

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