यूजर प्रोफाइल को आधार से जोड़ने के खिलाफ फेसबुक पहुंचा SC, कहा- सभी लंबित याचिकाओं पर एक साथ हो सुनवाई

फेसबुक के खिलाफ मद्रास, बॉम्बे और मध्य प्रदेश में कुल 4 याचिकाएं लंबित हैं. फेसबुक इन मामलों की सुनवाई एक साथ सुप्रीम कोर्ट में चाहता है.

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नई दिल्ली: फेसबुक प्रोफाइल को आधार से लिंक करने से जुड़ी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. अलग अलग हाई कोर्ट में चल रहे मुकदमों को सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करने की याचिका खुद फेसबुक ने लगाई है. फेसबुक का कहना है कि मामला न सिर्फ उसकी प्राइवेसी पॉलिसी से जुड़ा है, बल्कि लोगों की निजता को भी प्रभावित करने वाला है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट खुद इस पर सुनवाई करे.

 

 

फेसबुक और उसकी सहयोगी कंपनी व्हाट्सऐप की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में कहा, “अलग-अलग हाई कोर्ट में अलग फैसले आने से दुविधा भरी स्थिति हो सकती है यह संभव नहीं है कि किसी राज्य में यूजर प्रोफाइल को आधार से लिंक किया जाए और बाकी देश में ऐसा न किया जाए. वैसे भी सोशल मीडिया को आधार से लिंक करना निजता के अधिकार का हनन होगा. खुद सुप्रीम कोर्ट आधार का इस्तेमाल सिर्फ आवश्यक सरकारी सेवाओं में करने का फैसला दे चुका है.”

 

4 याचिकाएं हैं लंबित

 

दरअसल, इस मामले में मद्रास, बॉम्बे और मध्य प्रदेश में कुल 4 याचिकाएं लंबित हैं. मद्रास हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई अंतिम दौर में है. तमिलनाडु सरकार मद्रास हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता जननी कृष्णमूर्ति और एंटनी क्लेमेंट का समर्थन कर चुकी है. सुप्रीम कोर्ट में भी आज तमिलनाडु सरकार ने याचिका को ट्रांसफर किए जाने की मांग का विरोध किया.

 

तमिलनाडु सरकार के लिए एटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल पेश हुए. उन्होंने कहा, “सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे लोगों की सही पहचान कर पाना मुश्किल होता है. कई बार इसका लाभ अपराधियों को मिल जाता है. पिछले दिनों ब्लू व्हेल नाम के खेल को सोशल मीडिया पर फैलाया गया. इस गेम के चलते आत्महत्या की कई घटनाएं हुईं. लेकिन यह पता नहीं लग पाया कि इस गेम को किसने लॉन्च किया और फैलाया.”

 

फेसबुक के वकील रोहतगी ने कहा, “सोशल मीडिया प्रोफाइल को आधार से लिंक करना सीधे-सीधे निजता के अधिकार का हनन होगा. हमारी कंपनी दुनिया भर में काम करती है. हर जगह हमारी एक जैसी प्राइवेसी पॉलिसी है. अगर व्हाट्सएप की बात करें तो इसके सभी मैसेज एंड टू एंड इंक्रिप्टेड होते हैं. खुद व्हाट्सएप के अधिकारी भी दो लोगों के बीच हुई बातचीत को नहीं पढ़ सकते हैं. इस हद तक यूजर्स को प्राइवेसी देने वाली कंपनी सभी अकाउंट को आधार से लिंक करने को सही नहीं मानती. इससे दुनिया भर में हमारे कारोबार पर असर पड़ेगा.”

 

वेणुगोपाल ने जवाब दिया, “व्हाट्सएप मैसेज के इंक्रिप्टेड होने का दावा किया जाता है. लेकिन IIT के विशेषज्ञ प्रोफेसर का कहना है कि कोई मैसेज कहां से शुरू हुआ, इसका पता लगाया जा सकता है. जब ऐसी तकनीक उपलब्ध है तो क्यों न व्हाट्सएप प्रोफाइल को आधार से लिंक किया जाए. इससे पुलिस को सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वालों, समाज विरोधी या देश विरोधी बातें करने वालों को पहचानने में मदद मिल सकेगी.”

 

एटॉर्नी जनरल ने यह भी कहा कि मद्रास हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई अंतिम दौर में है. सुप्रीम कोर्ट मद्रास हाई कोर्ट के फैसले की प्रतीक्षा करे. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपक गुप्ता की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा,”ये ज़रूरी है कि आपराधिक मामलों की जांच में पुलिस की ज़रूरतों और लोगों की निजता के बीच सही संतुलन बनाया जाए. हम केंद्र और 3 राज्यों को नोटिस जारी कर रहे हैं. हम तय करेंगे कि सभी याचिकाओं की एक साथ सुनवाई करें या नहीं. तब तक हाई कोर्ट सुनवाई जारी रखें, लेकिन फैसला न दें.”

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