LIVE / निर्भया के दुष्कर्मियों के डेथ वॉरंट पर फैसला थोड़ी देर में, सरकारी वकील ने कहा- क्यूरेटिव पिटीशन मामले को लंबा खींचने की कोशिश

कोर्ट 3.30 बजे तय करेगा कि आज डेथ वॉरंट जारी किया जाए या क्यूरेटिव याचिका दाखिल करने के लिए समय दिया जाए, चार में से तीन दोषियों ने क्यूरेटिव पिटीशन दायर करने की बात कही थी, चारों दोषियों की पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से होगी अगर कोर्ट डेथ वाॅरंट जारी करने की मंजूरी देता है तो दोषियों को इसके खिलाफ अपील करने के लिए 14 दिन का वक्त मिलेगा

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नई दिल्ली. निर्भया केस के चारों गुनहगारों के डेथ वारंट पर कोर्ट थोड़ी देर में फैसला सुना सकता है। पटियाला हाउस कोर्ट निर्भया के माता-पिता ने अपनी याचिका में चारों दोषियों को फांसी पर लटकाए जाने की मांग की है। साथ ही चारों के खिलाफ डेथ वारंट जारी करने की अपील भी की है। इससे पहले पटियाला हाउस कोर्ट में निर्भया के माता-पिता और 3 दोषियों पवन, विनय और अक्षय की तरफ से वकील एपी सिंह और चौथे दोषी मुकेश की तरफ से वकील एमएल शर्मा पहुंचे।

डेथ वॉरंट में फांसी का समय, जगह और तारीख का जिक्र होता है
डेथ वॉरंट को ब्लैक वॉरंट भी कहते हैं। इसमें फॉर्म नंबर-42 होता है, जिसमें फांसी का समय, जगह और तारीख का जिक्र होता है। इसमें फांसी पाने वाले सभी अपराधियों के नाम भी लिखे जाते हैं। इसमें ये भी लिखा होता है कि अपराधियों को फांसी पर तब तक लटकाया जाएगा, जब तक उनकी मौत नहीं हो जाती। अगर कोर्ट डेथ वॉरंट जारी करने की मंजूरी दे देता है तो दोषियों को इसके खिलाफ अपील करने के लिए 14 दिन का वक्त मिलेगा। अपील हाईकोर्ट में करनी होगी। अगर अपील नहीं की तो 14 दिन बाद फांसी दे दी जाएगी।

कोर्ट में पेश की गईं दलीलें

  • बचाव पक्ष- हमें क्यूरेटिव याचिका दायर करने के लिए समय दिया जाए।
  • जज- जेल प्रशासन का क्या जवाब है?
  • सरकारी वकील- जेल प्रशासन का कहना है कि नोटिस पीरियड में कोई याचिका दायर नहीं हुई और कोई याचिका कोर्ट में लंबित नहीं है।
  • शर्मा ने कहा- मैं मुकेश का वकील हूं। वकालतनामा शाम तक दायर कर दूंगा।
  • जज- उसका वकील तो पहले से कोर्ट में है।
  • शर्मा- अगर शाम तक वकालतनामा नहीं आया तो मुझे डिस्चार्ज कर दीजिएगा केस से।
  • मुकेश के वकील ने कहा- मिस्टर शर्मा अभी तक जेल में मुकेश से मिले तक नहीं है तो ये उनके वकील कैसे हो सकते हैं।
  • सरकारी वकील- कोई भी याचिका दोषियों की लंबित नहीं है, इसलिए डेथ वारंट जारी किया जाए।
  • सरकारी वकील- ये याचिका 2018 से लंबित है। ऐसे में बचाव पक्ष ये नहीं कह सकता कि उन्हें बचाव का मौका नहीं मिला। अब ये अचानक से जागते हैं और कहते हैं कि उन्हें क्यूरेटिव याचिका दायर करनी है। ये मामले को लंबा खींचना चाहते हैं। बीच मे बोलने पर जज ने वकील एमएल शर्मा को फटकारा।
  • सरकारी वकील की दलील- चूँकि किसी दोषी की पुनर्विचार याचिका सर्कुलेशन में यानी इन चैंबर डिसमिस नहीं हुई है। पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई ओपन कोर्ट में हुई है, इसलिए इस मामले में क्यूरेटिव पिटीशन नहीं बनता।
  • एमिकस क्यूरी वृंदा ग्रोवर- हमें कुछ दस्तावेज नहीं मिले हैं इसलिए क्यूरेटिव दायर नहीं की जा सकी। हमें कुछ वक्त चाहिए। मैं जेल में मुकेश और विनय से मिली थी। मुझे कोर्ट ने दोषियों के वकील नियुक्त किया है। मुझे दोषियों के बचाव का पूरा मौका मिलना चाहिए। अगर कोर्ट ऐसा नहीं करती है तो मुझे केस से डिस्चार्ज कर दिया जाए।
  • जज ने वृंदा ग्रोवर से पूछा कि क्यूरेटिव पिटीशन फाइल करने के लिए कितना समय चाहिए।
  • वृंदा ग्रोवर ने कहा- क्यूरेटिव दायर करने और मर्सी पिटीशन दायर करने के लिए कई दस्तावेजों की जरूरत है, जो उपलब्ध नहीं करवाया जा रहा है।
  • राजीव मोहन- क्यूरेटिव याचिका दायर करने का कोई ग्राउंड नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के एक जजमेंट का हवाला दिया गया। अगर पुनर्विचार याचिका खारिज की जाती है तो क्यूरेटिव याचिका एक निश्चित समय में ही दायर की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने ओपन कोर्ट में पुनर्विचार याचिका खारिज की थी। दोषियों को कानूनी विकल्प अपनाने का भरपूर मौका दिया जा चुका है।
  • दोषियों की ओर से वृंदा ग्रोवर ने आपत्ति जाहिर की। इस मामले में एमिकस वृंदा ग्रोवर ने कहा- यह कहना कि इनके पास क्यूरेटिव पेटिशन का विकल्प नहीं है, सही नहीं है। अभी भी इनके पास क्यूरेटिव का विकल्प है। जब तक क्यूरेटिव पर फैसला नहीं हो जाता, डेथ वारंट जारी नहीं किया जाना चाहिए।
  • सरकारी वकील- ये कहते हैं कि क्यूरेटिव फाइल करेंगे, कब करेंगे ये नहीं पता। इन्हें अब तक याचिका दायर कर देनी चाहिए थी। अगर बचाव पक्ष को समय चाहिए तो कोर्ट डेथ वारंट जारी कर 14 दिन का टाइम दे दे। अगर बचाव पक्ष को समय चाहिए तो वे हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट से समय सीमा बढ़ाने की मांग कर सकते हैं। लेकिन, कोर्ट को डेथ वारंट जरूर जारी करना चाहिए।
  • कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा। कोर्ट 3.30 बजे सुनाएगा अपना फैसला। कोर्ट 3.30 बजे ये तय करेगा कि आज डेथ वारंट जारी किया जाए या क्यूरेटिव याचिका दाखिल करने के लिए समय दिया जाए।

    वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये होगी चारों आरोपियों की पेशी।

कोर्ट ने कहा था- कैदियों को फिर नोटिस दिया जाए

पिछले महीने कोर्ट ने तिहाड़ प्रशासन को निर्देश दिया था कि कैदियों को एक बार फिर नोटिस दिया जाए। इसके बाद जेल प्रशासन ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर करने के लिए इन्हें दाेबारा से 7 दिन का नोटिस दिया था। इसमें से तीन दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन भी दायर करने की बात कही थी।

तिहाड़-प्रशासन ने फांसी की सभी तैयारी पूरी की

तिहाड़-प्रशासन ने फांसी की सभी तैयारी पूरी कर ली है। चारों दोषियों को एक साथ फांसी पर लटकाने के लिए तिहाड़ जेल में करीब 25 लाख रुपए की लागत से एक नया फांसी घर तैयार किया गया है। तिहाड़-प्रशासन ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि चारों दोषियों को एक साथ ही फांसी पर लटकाया जाएगा।

तिहाड़ जेल के महानिदेशक संदीप गोयल ने भी कहा था कि एक साथ अब चारों दोषियों मुकेश, पवन, विनय और अक्षय को फांसी देने की व्यवस्था कर ली गई है। अदालत के आदेश के बाद जेल स्तर पर फांसी देने में किसी तरह की देरी नहीं होगी।

3 दोषी फांसी से बचने के लिए जेल में वारदात की साजिश रच रहे
इससे पहले खबर आई थी कि निर्भया के गुनहगार जेल में आपराधिक वारदात की साजिश रच रहे हैं। उनकी काेशिश खुद पर नया आपराधिक केस दर्ज करवाने की है, ताकि फांसी की सजा को टाला जा सके। नया केस दर्ज हुआ तो उसके लंबित रहने तक इन्हें फांसी नहीं दी जा सकेगी। जेल नंबर 2 में बंद तीन दोषियाें अक्षय, मुकेश और पवन की इस साजिश की भनक जेल प्रशासन काे लग चुकी है। जेल नंबर दो के अधीक्षक ने जेल मुख्यालय को पत्र भेजकर इससे अवगत करवाया है। साथ ही उन्हाेंने तीनाें दाेषियाें काे हाई सिक्योरिटी सेल में शिफ्ट करने की इजाजत मांगी है।

निर्भया के साथ 6 लोगों ने बस में दरिंदगी की थी
16 दिसंबर, 2012 की रात दिल्ली में पैरामेडिकल छात्रा (निर्भया) से 6 लोगों ने चलती बस में दरिंदगी की थी। गंभीर जख्मों के कारण 26 दिसंबर को सिंगापुर में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। इस मामले में पवन, अक्षय, विनय और मुकेश को फांसी की सजा सुनाई गई है। ट्रायल के दौरान मुख्य दोषी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। एक अन्य दोषी नाबालिग होने की वजह से 3 साल में सुधार गृह से छूट चुका है।

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