अमेरिका को 3 साल पहले ही मिली थी कोरोना की चेतावनी, ट्रंप ने नहीं की तैयारी

पेंटागन (Pentagon) की एक रिपोर्ट से इस बात का खुलासा हुआ है कि व्हाइट हाउस (White House) को 2017 में ही कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर चेतावनी जारी की गई थी.

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वाशिंगटन. एक नई रिपोर्ट के मुताबिक व्हाइट हाउस (White House) और ट्रंप प्रशासन (Trump Authority) को आज से 3 साल पहले ही कोरोना वायरस को लेकर चेतावनी मिल गई थी लेकिन अमेरिका ने इससे लड़ने की कोई तैयारी नहीं की. डेली मेल की एक रिपोर्ट के मुताबिक व्हाइट हाउस को 6 जनवरी 2017 को ही पहली बार कोरोना वायरस को लेकर चेतावनी जारी की गई थी.

डेली मेल की एक रिपोर्ट के मुताबिक द नेशन के हाथ पेंटागन के कुछ ऐसे डॉक्यूमेंट्स मिले हैं, जिनमें व्हाइट हाउस को कोरोना वायरस को लेकर चेतावनी जारी करने की बात लिखी है. ये रिपोर्ट 2012 में फैले मर्स की बीमारी का अध्ययन करने के बाद तैयार की गई थी. मर्स भी एक तरह के वायरस के संक्रमण से ही फैला था.

पेंटागन की रिपोर्ट में कोरोना वायरस को लेकर चेतावनी
डॉक्यूमेंट्स में लिखा गया है कि मौजूदा हालात में सबसे बड़ा खतरा सांस की बीमारी के संक्रमण फैलने का है. ये नोवल इंफ्लूऐंजा जैसी बीमारी हो सकती है. डॉक्यूमेंट्स में लिखा गया है कि कोरोना वायरस जैसा इंफेक्शन पूरी दुनिया में फैल सकता है.

103 पन्नों के इस दस्तावेज में चेतावनी दी गई है कि वायरस का संक्रमण महामारी का रूप ले सकता है. इसके लिए कई फैक्टर्स को जिम्मेदार ठहराया गया है. मसलन- मौजूदा जीवन शैली, भीड़भाड़ वाले वर्क प्लेस, इंटरनेशनल एयरपोर्ट का भारी ट्रैफिक.

दस्तावेज में इस बात का जिक्र है कि ये इतनी बुरे हालात में पहुंचा सकता है कि जरूरी चीजों की कमी हो सकती है. इसमें मेडिकल उपकरणों की किल्लत भी शामिल है. जैसे- प्रोटेक्टिव सूट, मास्क और ग्लव्स जैसे जरूरी मेडिकल उपकरण. दस्तावेज में चेतावनी दी गई थी कि इससे पूरी दुनिया के वर्क फोर्स पर असर पड़ सकता है.

चेतावनी के बावजूद ट्रंप प्रशासन ने नहीं की कोई तैयारी
दस्तावेज में ये भी चेतावनी दी गई थी कि महामारी की वजह से हॉस्पिटल में बेड की संख्या तक कम पड़ सकती है. इसमें कहा गया है कि यहां तक कि सबसे ज्यादा उद्योग धंधों वाले देशों में भी हॉस्पिटल के बेड, स्पेशलाइज्ड इक्वीपमेंट- जैसे वेंटिलेटर्स जैसे उपकरणों की कमी हो सकती है. इस महामारी से निपटने और इतनी बड़ी आबादी को संक्रमण से बचाने में फॉर्मास्यूटकल कंपनियां नाकाम हो सकती हैं.

ये दस्तावेज उस वक्त सामने आए हैं, जब न्यूयॉर्क और कैलिफोर्निया जैसे राज्यों में मरीजों के लिए हॉस्पिटल के बेड कम पड़ गए हैं. यहां के गवर्नर्स ने फेडरल गवर्नमेंट से लगातार मदद की गुहार लगाई है. न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी जैसे शहरों का बुरा हाल हो गया है. यहां कोरोना वायरस के संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं.

बुधवार तक अमेरिका में कोरोना के चलते मरने वालों की संख्या में 908 का इजाफा हुआ. संक्रमण के नए 25,676 मामले सामने आए हैं. अमेरिका में कोरोना संक्रमण के 40 फीसदी मामले सिर्फ न्यूयॉर्क से आए हैं. यहां संक्रमण की वजह से होने वाली मौत का आंकड़ा 391 से बढ़कर 1,941 हो गया है. 7,917 संक्रमण के नए मामले सामने आए हैं और कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 83,712 हो गई है.

अमेरिका में मरने वालों के लिए कम पड़ गए कफन, ऑर्डर किए 1 लाख बॉडी बैग

वाशिंगटन. कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण और उससे होने वाली मौतों को देखते हुए पेंटागन (Pentagon) ने एक लाख डेड बॉडी (dead body) के लिए कफन (body bag) के ऑर्डर दिए हैं. कुछ न्यूज रिपोर्ट्स के हवाले से कहा जा रहा है कि अमेरिका में कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से कुल 2 लाख मौतें हो सकती हैं. एक नई रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप प्रशासन को तीन साल पहले ही कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर चेतावनी दी गई थी लेकिन अमेरिका ने इससे लड़ने के लिए कोई तैयारी नहीं की.

डेली मेल की एक रिपोर्ट के मुताबिक द नेशन के हाथ पेंटागन के कुछ ऐसे डॉक्यूमेंट्स मिले हैं, जिनमें व्हाइट हाउस को कोरोना वायरस को लेकर तीन साल पहले चेतावनी जारी करने की बात लिखी है. ये रिपोर्ट 2012 में फैले मर्स की बीमारी का अध्ययन करने के बाद तैयार की गई थी. मर्स भी एक तरह के वायरस के संक्रमण से ही फैला था.

डेली मेल की ही एक रिपोर्ट के मुताबिक बुधवार शाम तक अमेरिका में कोरोना वायरस के चलते मरने वालों का आंकड़ा 4,770 के पार चला गया. अमेरिका के करीब 90 फीसदी इलाके लॉकडाउन हैं लेकिन वायरस का संक्रमण फैलता ही जा रहा है.

न्यूयॉर्क में कम पड़ गई लाशों के रखने की जगह
अमेरिका में कोरोना वायरस के संक्रमण के अब तक 2 लाख 15 हजार मामले सामने आ चुके हैं. अमेरिकी सरकार ने अपने स्टॉक से डेड बॉडी के लिए 50 हजार कफन का इंतजाम कर लिया है. लेकिन वायरस के संक्रमण की वजह से मरने वालों का आंकड़ा देखते हुए इससे तीन गुना डेड बॉडी के लिए कफन का इंतजाम किया जा रहा है. कैलिफोर्निया और न्यूयॉर्क जैसे राज्यों में लाशों को रखने के लिए जगह तक कम पड़ गई है.

मंगलवार को न्यूयॉर्क में ब्रुकलिन के एक हॉस्पिटल के बाहर एक रेफ्रीजेरेटेड ट्रक खड़ा किया गया था. हॉस्पिटल में कोरोना वायरस की वजह से मरने वालों की लाशों को ट्रक में भरा जा रहा था. न्यूयॉर्क में कोरोना वायरस की वजह से 1,139 मौतें हुई हैं. यहां संक्रमण के 47,439 मामले सामने आए हैं. हॉस्पिटल के पास डेड बॉडी के लिए बॉडी बैग कम पड़ गए हैं. डेड बॉडी को बेडशीट में लपेट कर काम चलाया जा रहा है.

फेमा कर रही है डेड बॉडी के लिए बॉडी बैग का इंतजाम
फेडरल इमरजेंसी मैनेजमेंट एजेंसी डेड बॉडी के लिए बॉडी बैग का इंतजाम कर रही है. लेकिन उन्हें भी नहीं पता है कि बॉडी बैग कब तक मिल पाएंगे. अमेरिका में लाशों को हरे रंग की नायलोन के बॉडी बैग में रखा जाता है. अक्सर इसका इस्तेमाल वार जोन में किया जाता है. ये बॉडी बैग 7.8 फीट लंबा और 3.2 फीट चौड़ा होता है.

डेली मेल ने अपने एक सूत्र के हवाले से कहा है कि बॉडी बैग के ऑर्डर नहीं किए गए हैं बल्कि डिफेंस लॉजिसटिक्स एजेंसी ट्रूप सपोर्ट यूनिट को अपने स्टॉक से बॉडी बैग भेजने की प्रार्थना की गई है.

अमेरिका के सामने सबसे मुश्किल घड़ी आ पड़ी है. अमेरिका में कोरोना के चलते 2 लाख मौतों का अंदेशा जताने के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने देश को मुश्किल घड़ी के लिए तैयार रहने को कहा है. मंगलवार को एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान ट्रंप ने कहा कि अगले दो हफ्ते काफी दर्दनाक रहने वाले हैं. ट्रंप ने कहा कि हमारी ताकत और धैर्य की परीक्षा होगी.

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