कोरोना: US में बीते 24 घंटे में 2500 की मौत, ट्रंप के सलाहकार ने वुहान लैब को दिए करोड़ों!

अमेरिका (US) में पिछले 24 घंटे में कोरोना संक्रमण से 2502 लोगों की मौत हो गयी है. जॉन्स हॉप्किन्स विश्वविद्यालय के मुताबिक बुधवार को यहां संक्रमण (Coronavirus) के 28,500 से ज्यादा नए केस सामने आए जिसके बाद कुल मामले बढ़कर 10,64,000 से भी ज्यादा हो गए हैं. फिलहाल कुल मौतों का आंकड़ा बढ़कर 61,600 से ज्यादा हो गया है

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वाशिंगटन. अमेरिका (US) में चार दिनों की राहत के बाद कोरोना संक्रमण (Coronavirus) ने एक बार फिर कहर बरपाना शुरू कर दिया है. अमेरिका में पिछले 24 घंटे में कोरोना संक्रमण से 2502 लोगों की मौत हो गई है. जॉन्स हॉप्किन्स विश्वविद्यालय के मुताबिक बुधवार को यहां संक्रमण (Covid-19) के 28,500 से ज्यादा नए केस सामने आए, जिसके बाद कुल मामले बढ़कर 10 लाख 64 हजार से भी ज्यादा हो गए हैं. फिलहाल कुल मौतों का आंकड़ा बढ़कर 61,600 से ज्यादा हो गया है, ये दुनिया भर में संक्रमण से हुई मौतों का एक चौथाई है. हालांकि मामले बढ़ने के बावजूद भी अमेरिका के दो सबसे प्रभावित राज्यों न्यूयॉर्क (New York) और न्यू जर्सी (New Jersey) में संक्रमण के नए मामलों में लगातार कमी दर्ज की जा रही है.

उधर चीन पर लगातर हमलावर बने हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मुख्य सलाहकार डॉक्टर एंथनी फॉसी की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ गयी है. इस तरह की रिपोर्ट्स सामने आई हैं जिनमें दावा किया गया है कि ट्रंप वुहान की जिस लैब को कोरोना वायरस का जन्मस्थान बता रहे हैं उसे तो एंथनी ही फंड कर रहे थे. फॉसी अमेरिका की नैशनल इंस्टिट्यूट फॉर एलर्जी ऐंड इन्फेक्शस डिसीज (एनआईएआईडी) के अध्यक्ष हैं और इसी संस्था ने वुहान की लैब को बीते कुछ सालों में करोड़ों रुपए का फंड भी दिया है. सिर्फ वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ही नहीं चीन की कई अन्य सस्थाओं को ये अमेरिकी संस्था लगातार करोड़ों का फंड दे रही थी.

संस्था ने कहा- रिसर्च के लिए देते हैं फंड
एनआईएआईडी पर सवाल उठने के बाद संस्था की तरफ से एक ब्यान जारी कर बताया गया है कि ये फंड सिर्फ रिसर्च के लिए दिया गया था. हालांकि संस्था ने जिस रिसर्च के लिए फंड देने की बात कही है वही सवालों के घेरे में है. कई वैज्ञानिकों के मुताबिक ‘गेन ऑफ फंक्शन रिसर्च’ अपने आप में काफी खतरनाक है और इसके तहत कई गैरकानूनी कामों को भी अंजाम दिया जा रहा है.

यही वो रिसर्च है जिसके तहत वायरस को ताकतवर बनाया जाता है और बाद में इसी का एक रूप बायोवेपन के रूप में सामने आता है. ऐसी ही एक रिसर्च के दौरान कोरोना संक्रमण के गलती से बाहर आ जाने के दावे खुद अमेरिका की तरफ से किए जा रहे हैं. हालांकि ट्रंप के लाख दावों के बावजूद भी अमेरिका के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) ने कहा है कि ज्यादातर वायरस जंगली जानवरों से ही फैलते हैं और अभी तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं है कि कोरोना वायरस किसी लैब से फैला है.

पहले भी रहे हैं विवादों में
डॉ. फॉसी पहले भी बर्ड फ्लू के सामने आने के दौरान विवादों से घिर गए थे. ‘गेन ऑफ फंक्शन रिसर्च’ के दौरान ही इस फ्लू को जानवरों में डालकर टेस्ट किया जा रहा था कि ये किस तरह से कोशिकाओं पर असर डालता है. बाद में इस फ्लू ने दुनिया के कई देशों में संकट उत्पन्न किया. हालांकि फॉसी ने बर्ड फ्लू की रिसर्च पर सफाई दी थी कि इस तरह के प्रयोग महामारी के दौरान एंटी वायरल दवाएं बनाने में मददगार होते हैं.

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