मास्क को लेकर क्यों है इतना कंफ्यूजन, कुछ देशों में पहनते हैं कुछ में नहीं

कोरोना वायरस (Coronavirus) का संक्रमण फैलने के बावजूद मास्क (Mask) को लेकर कई तरह के कंफ्यूजन हैं. किसी देश में लोग मास्क लगा रहे हैं तो कहीं नहीं.

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कोरोना वायरस (Coronavirus) का संक्रमण फैलने के बाद कई जगहों से मास्क (Mask) की किल्लत की खबरें आईं. संक्रमण से बचने के लिए लोगों ने मास्क पहनना शुरू कर दिया. हमारे यहां भी कई जगहों पर मास्क की किल्लत हुई. कई जगहों से शिकायतें आईं कि मास्क की ब्लैक मार्केटिंग हो रही है. मौजूदा वक्त में लोग संक्रमण से बचने के लिए मास्क लगाकर घूम रहे हैं. लेकिन ऐसा हर देश में नहीं हो रहा है. कई देश ऐसे हैं, जहां संक्रमण के बावजूद लोग मास्क नहीं पहन रहे हैं. एक सवाल ये भी है कि मास्क पहनने से संक्रमण से बचने की कितनी गारंटी है?

मास्क को लेकर कई तरह के कंफ्यूजन हैं. किसी देश में लोग मास्क लगा रहे हैं तो कहीं नहीं. यूके, अमेरिका, सिडनी और सिंगापुर में अभी भी लोग बिना मास्क लगाए घूम रहे हैं, जबकि इन देशों में भी वायरस का संक्रमण फैल चुका है. तो क्या इन देशों के लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर सतर्क नहीं हैं?

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक मास्क का पहनना या न पहनना सिर्फ सरकार के गाइडलाइन और मेडिकल सलाह पर निर्भर नहीं करता है. इसमें इतिहास और संस्कृति का भी मसला है. सवाल ये भी है कि जब संक्रमण अपने सबसे खराब रूप में होगा तो क्या इसको लेकर कुछ बदल जाएगा?

मास्क को लेकर क्या हैं विश्व स्वास्थ्य संगठन के गाइडलाइन
कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मास्क को लेकर साफ दिशा निर्देश जारी किए. उसके मुताबिक सिर्फ दो तरह के लोगों को ही मास्क पहनना चाहिए. पहला- ऐसे लोग जो बीमार हैं और जिनमें बीमारी के लक्षण हैं. दूसरा- ऐसे लोग जो संक्रमित लोगों की देखभाल कर रहे हैं. इसके अलावा किसी को मास्क पहनने की जरूरत नहीं है. इसके कई कारण हैं.

कोरोना वायरस पर मौजूदा रिसर्च के मुताबिक मास्क लगाना संक्रमण से बचने के लिए भरोसेमंद उपाय नहीं है. क्योंकि वायरस का संक्रमण पानी के अंश और संक्रमित सतह से भी फैल सकता है. मास्क आपको संक्रमण से बचा सकता है लेकिन सिर्फ कुछ परिस्थितियों में ही. मसलन वायरस से संक्रमित व्यक्ति अगर आपके चेहरे के पास जाकर खांस या छींक दे तो मास्क आपको संक्रमण से बचा सकता है. इसलिए एक्सपर्ट कहते हैं कि साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोना ज्यादा कारगर है.

मास्क हटाने पर हाथों के जरिए संक्रमण फैलने से रोकने पर ज्यादा ध्यान देना होगा और इससे एक असुरक्षा की भावना भी जुड़ी हुई है. इसलिए एशिया के लोग आमतौर पर मास्क पहनते हैं. यहां ये सुरक्षा के नजरिए से ज्यादा सेफ माना जाता है.

कई जगहों पर संस्कृति का हिस्सा है मास्क पहनना
चीन, हांगकांग, जापान, थाईलैंड और जापान के लोगों का मानना है कि कोई भी वायरस से संक्रमित हो सकता है, स्वस्थ दिखने वाला व्यक्ति भी. इसलिए ऐसे लोगों से संक्रमण से बचने के लिए लोग मास्क पहनते हैं.

कई जगहों पर सरकारों ने मास्क पहनना जरूरी कर दिया है. चीन के कई हिस्सों में मास्क नहीं पहनने पर गिरफ्तार तक किया जा सकता है, सजा हो सकती है.

कई देशों में मास्क पहनना उनकी संस्कृति का हिस्सा रहा है. इससे कोरोना वायरस के संक्रमण का कोई लेना-देना नहीं है. यहां तक की कई जगहों पर मास्क पहनना फैशन स्टेटमेंट है. हांगकांग में इसी तरह का चलन है.

पूर्वी एशिया में कई लोग उस वक्त मास्क पहनते हैं, जब वो बीमार होते हैं, उन्हें हाईफीवर की समस्या होती है. इन इलाकों में सार्वजनिक जगहों पर खांसना या छींकना खराब माना जाता है. 2003 में जब सार्स की महामारी फैली, तब लोगों को मास्क के महत्व का पता चला. सार्स ने कई देशों को अपनी चपेट में लिया था. हांगकांग में इस महामारी की वजह से कई मौतें हुई थीं.

कई देशों में अब भी मास्क नहीं पहन रहे लोग
एक बड़ा मुद्दा ये है कि कई देशों ने संक्रमण के दौर को झेला है. उनमें पश्चिमी के देश भी शामिल हैं. उनमें संक्रमण की दर्दनाक याद अब भी बाकी है. जबकि दक्षिणी पूर्वी एशिया में लोगों में प्रदूषण की वजह से मास्क लगाने का चलन है. ये घनी आबादी वाले देश हैं. लेकिन ऐशिया के सभी देशों में ऐसा नहीं है. सिंगापुर में सरकार ने पब्लिक को मास्क पहनने से मना कर दिया है ताकि हेल्थ वर्कर्स को इसकी कमी नहीं हो. सिंगापुर में ज्यादातर लोग बिना मास्क लगाए घूम रहे हैं. यहां लोगों में सरकार के ऊपर भरोसा है, इसलिए वो उनकी बात मानते हैं.

कई इलाकों में मास्क लगाना आदत बन जाता है. ये पर्सनल हाईजीन का मामला हो जाता है. जानकार बताते हैं कि ये नहीं कहा जा सकता है कि मास्क लगाने से कोई फायदा नहीं होता. मास्क का असर होता है, इसलिए इसे हेल्थ वर्कर्स को दिया जाता है. जानकार मानते हैं कि भीड़भाड़ वाले इलाके में अगर ज्यादातर लोग मास्क पहनते हैं तो वायरस के संक्रमण पर इसका असर पड़ता है. ऐसे माहौल में वायरस के संक्रमण से बचने के लिए हर छोटी से छोटी चीज आजमाई जाती है.

लेकिन इसका एक उलटा असर ये है कि मास्क के ज्यादा इस्तेमाल से जरूरतमंद लोगों के बीच उसकी किल्लत हो जाती है. जापान, इंडोनेशिया और थाईलैंड में मास्क की कमी है. साउथ कोरिया को मास्क की राशनिंग करनी पड़ी.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन पर भी उठे हैं सवाल
ये डर ये भी है कि मास्क को ज्यादा प्रचारित करने से लोग एक ही मास्क को बार-बार इस्तेमाल करने लगते हैं. ये अनहाईजेनिक और समस्या को बढ़ाने वाला है. ब्लैक मार्केट से खरीदे गए मास्क या फिर खराब क्वालिटी के घर में बनाए मास्क से कोई फायदा नहीं होता.

कई देशों में मास्क पहनने का चलन नहीं है. खासकर पश्चिमी देशों में. यहां मास्क पहनने पर लोग घूरकर देखते हैं, कई जगहों पर ऐसे लोगों पर हमले तक हुए हैं. एशिया में मास्क ज्यादा चलन में है.

मास्क की पहनने की वकालत करने वालों के भी अपने तर्क हैं. कुछ एक्सपर्ट ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन की भी आलोचना की है. ऐसे लोग कोरोना वायरस के साइलेंट कैरियर का उदाहरण देते हैं, ऐसे लोग जो वायरस से संक्रमित थे लेकिन उनमें बीमारी के लक्षण नहीं दिखाए दिए. चीन की सरकार की आधिकारिक रिपोर्ट भी कहती है कि सभी संक्रमित लोगों में से करीब एक तिहाई में संक्रमण के लक्षण नहीं दिखाई दिए थे. ऐसे लोगों ने वायरस का संक्रमण दूसरे स्वस्थ लोगों में तेजी से फैलाया. अगर सभी लोग मास्क लगाते तो साइलेंट कैरियर इतने ज्यादा लोगों को संक्रमित नहीं कर पाते.

 

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