पद्मनाभस्वामी मंदिर पर फैसला / सुप्रीम कोर्ट ने कहा- त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार के पास ही रहेगा मंदिर का मैनेजमेंट, जाने-कितना खजाना है उस धनी मंदिर में
केरल हाईकोर्ट के फैसले को त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार ने दी थी चुनौती मंदिर की प्रॉपर्टी पर भी कोर्ट फैसला देगा, मंदिर के पास करीब दो लाख करोड़ की संपत्ति
कोच्चि. केरल के ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन और उसकी संपत्तियों पर अधिकार को लेकर सुप्रीम काेर्ट में सुनवाई हो रही है। कोर्ट ने कहा है कि मंदिर के मैनेजमेंट का अधिकार त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार के पास बरकरार रहेगा। मंदिर की संपत्ति पर भी कोर्ट फैसला देगा। मंदिर के पास करीब दो लाख करोड़ रुपए की संपत्ति है।
कोर्ट इस बात का फैसला भी करेगा कि क्या यह मंदिर सार्वजनिक संपत्ति है और इसके लिए तिरुपति तिरुमला, गुरुवयूर और सबरीमला मंदिरों की तरह ही देवस्थानम बोर्ड की स्थापना की जरूरत है या नहीं? अदालत इस बात पर भी फैसला दे सकती है कि मंदिर के सातवें तहखाने को खोला जाए या नहीं?
सुप्रीम कोर्ट में 8 साल से अधिक समय तक मामले की सुनवाई हुई
केरल हाईकोर्ट ने 2011 के फैसले में राज्य सरकार को पद्मनाभस्वामी मंदिर की तमाम संपत्तियों और मैनेजमेंट पर नियंत्रण लेने का आदेश दिया था। इस आदेश को पूर्व त्रावणकोर शाही परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट में 8 साल से ज्यादा समय तक सुनवाई हुई। जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की बेंच ने पिछले साल अप्रैल में इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
कोर्ट के निर्देश पर मंदिर के सातवें तहखाने को नहीं खोला गया था। मान्यता है कि तहखाने के दरवाजे को सिर्फ कुछ मंत्रों के उच्चारण से ही खोला जा सकता है। इस पर दो सांपों की आकृति बनी है। ये सांप दरवाजे की रक्षा करते हैं। कहा जाता है कि इस दरवाजे को ‘नाग बंधम’ या ‘नाग पाशम’ मंत्रों से बंद किया है। इसे केवल ‘गरुड़ मंत्र’ का स्पष्ट और सटीक मंत्रोच्चार करके ही खोला जा सकता है। अगर इसमें कोई गलती हो गई तो मौत तय मानी जाती है। फिलहाल सातवें तहखाने की गुत्थी अनसुलझी ही है।
उत्राटम तिरुनाल के वंशज ट्रस्ट बनाकर मंदिर का संचालन कर रहे हैं
पद्मनाभ मंदिर को 6वीं शताब्दी में त्रावणकोर के राजाओं ने बनवाया था। 1750 में मार्तंड वर्मा ने खुद को भगवान का सेवक यानी ‘पद्मनाभ दास’ बताते हुए अपना जीवन और संपत्ति उन्हें सौंप दी। 1947 तक त्रावणकोर के राजाओं ने केरल में राज किया। 2013 में उत्राटम तिरुनाल मार्तण्ड वर्मा के निधन के बाद उनका परिवार और उनके प्राइवेट ट्रस्ट मंदिर की देखरेख कर रहे हैं।
कितना खजाना है उस धनी मंदिर में, जिसपर SC ने पलटा केरल हाईकोर्ट का फैसला
केरल (Kerala) के श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर (Sree Padmanabhaswamy Temple) के प्रशासन और उसकी संपत्तियों के अधिकारी को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फैसला सुना दिया. मंदिर के प्रबंधन का अधिकार त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार को दिया है. बता दें कि इससे पहले केरल हाईकोर्ट ने मंदिर पर राज्य सरकार का अधिकार बताया था. माना जाता है कि ये मंदिर देश के सबसे धनी मंदिरों में से है, जिसके पास दो लाख करोड़ के आसपास की प्रॉपर्टी है. साथ ही मंदिर के चारों ओर रहस्यों का भी घेरा है. इसके सातवें दरवाजे के पीछे भारी खजाना होने की बात है. लेकिन कई कारणों से अब तक ये दरवाजा खुल नहीं सका. जानिए, क्या है पद्मनाभस्वामी मंदिर की दौलत का रहस्य.
मंदिर कब बना, इसपर कोई पक्का प्रमाण नहीं मिलता है. इतिहासकार Dr. L.A. Ravi Varma के अनुसार मंदिर लगभग 5000 साल पुराना है, जब मानव सभ्यता कलियुग में पहुंची थी. वैसे मंदिर के स्ट्रक्चर के लिहाज से देखें तो माना जाता है कि केरल के तिरुअनंतपुरम में बने पद्मनाभस्वामी मंदिर की स्थापना सोलहवीं सदी में त्रावणकोर के राजाओं ने की थी. इसके बाद से ही यहां के राजा इस मंदिर को मानते रहे. साल 1750 में महाराज मार्तंड वर्मा ने खुद को पद्मनाभ दास घोषित कर दिया. इसके साथ ही पूरा का पूरा राजघराना मंदिर की सेवा में जुट गया. अब भी शाही घराने के अधीन एक प्राइवेट ट्रस्ट मंदिर की देखरेख कर रहा है.
पद्मनाभस्वामी मंदिर की स्थापना सोलहवीं सदी में त्रावणकोर के राजाओं ने की थी
मंदिर पर आस्था रखने वालों की मान्यता है कि TP Sunder Rajan जिनकी याचिका के कारण दरवाजे खोलने का फैसला हुआ, उनकी एकाएक मौत भी इन्हीं दरवाजों का शाप है. बता दें कि इस रिटायर्ड पुलिस अफसर ने सबसे पहली बार कहा था कि मंदिर के तहखानों में अथाह संपत्ति हो सकती है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि मौजूदा ट्रस्ट इतने अमीर मंदिर की देखभाल करने लायक नहीं है और इसे राज्य सरकार के हाथ में चला जाना चाहिए. इसके बाद ही कोर्ट में मामला पहुंचा लेकिन इसी बीच सुंदर राजन की मौत हो गई. परिजनों ने उनकी मौत के बारे में इंडिया टुडे से कहा था कि ज्यादा तनाव के कारण उनकी मौत हुई.
माना जाता है कि इस दरवाजे की रक्षा खुद भगवान विष्णु के अवतार नाग कर रहे हैं
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक के बाद एक तहखानों के दरवाजे खोलने की बात कही. छह तहखाने खोल दिए गए. इनमें आभूषण, हीरे-जवाहरात, सोने के सिक्के और भारी मात्रा में तांबे-कांस के बर्तन मिले. माना जा रहा है कि इनकी कीमत लगाना काफी मुश्किल है. हालांकि कईयों का कहना है मिल चुकी सामग्री की कीमत 20 बिलियन डॉलर से ज्यादा ही होगी. इस खोज के बाद बहुत से लोगों ने ये भी कहा कि मंदिर की संपत्ति जनता की भलाई में लगनी चाहिए. कोरोना को लेकर कुछ समय पहले महाराष्ट्र (Maharashtra) के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने ट्वीट किया था कि मंदिरों का सोना इमरजेंसी में काम आना चाहिए. लिस्ट में इस मंदिर का भी नाम था. इसपर काफी बखेड़ा उठा था कि मंदिर ही क्यों, दूसरे धार्मिक स्थलों की प्रॉपर्टी भी काम में लाई जाए.
सैलानी एमिली हैच ने अपनी किताब Travancore: A guide book for the visitor में इस मंदिर के दरवाजे से जुड़ा संस्मरण लिखा
कैसा है वो दरवाजा, जो अब तक रहस्य है?
ये सातवां दरवाजा लकड़ी का बना हुआ है. इसे खोलने या बंद करने के लिए कोई सांकल, नट-बोल्ट, जंजीर या ताला नहीं है. ये दरवाजा कैसे बंद है, ये वैज्ञानिकों के लिए अब तक एक रहस्य है. माना जाता है सदियों पहले इसे कुछ खास मंत्रों के उच्चारण से बंद किया गया था और अब कोई भी इसे खोल नहीं सकता.
दरवाजे पर दो सांपों की आकृति को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि इसे नाग पाशम जैसे किसी मंत्र से बांधा गया होगा और अब गरुड़ मंत्र के उच्चारण से इसे खोला जा सकेगा लेकिन ये भी माना जाता है कि ये मंत्र इतने मुश्किल हैं कि इनके उच्चारण या विधि में थोड़ी भी चूक से जान जा सकती है. यही वजह है कि अब तक इसे खोलने की हिम्मत नहीं की गई.