राम मंदिर के भूमि पूजन में खास होंगे 32 सेकेंड, पीएम मोदी को भी रखना होगा ध्यान, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

भूमि पूजन अनुष्ठान की तैयारी देख रहे काशी विद्वत परिषद के महामंत्री और बीएचयू (BHU) के धर्म विज्ञान संकाय के प्रोफेसर राम नारायण दि्ववेदी ने बताया कि भाद्र पक्ष और अस्थिर तुला लग्न दोष के असर को खत्म करने के लिए इन 32 सेकेंड के मुहूर्त की अहमियत है.

0 85
वाराणसी. राम की नगरी अयोध्या (Ayodhya) में 5 अगस्त को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) भव्य राम मंदिर (Ram Mandir) की आधारशिला रखेंगे. इस दौरान भूमि पूजन में तीन चरणों में विधि विधान से पूरी पूजा संपन्न कराई जाएगी. तमाम वेदोक्त मंत्र गूंजेंगे. इन सबके बीच भूमिपूजन में 32 सेकेंड (32 Seconds) ही सबसे अहम होंगे. जी हां, 32 सेकेंड में भूमिपूजन का सार छिपा है.

दरअसल, 5 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 15 मिनट 15 सेकंड के ठीक बाद के ये 32 सेकेंड अहम होंगे. इन्हीं 32 सेकेंड के भीतर भव्य और दिव्य राम मंदिर की पहली ईंट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रखेंगे. बताया जा रहा है 35 से 40 किलोग्राम चांदी की यह ईंट होगी. ज्योतिष शास्त्र के लिहाज से ये जरूरी है. राहु और केतु समेत अन्य दोष मिटाने के लिए चांदी की ईंट रखी जाएगी.

भूमि पूजन अनुष्ठान की तैयारी देख रहे प्रोफेसर ने बताया राज

प्रोफेसर बताते हैं कि राममंदिर के गर्भगृह में भूमिपूजन के लिए लग्न, ग्रह, तिथि-वार को लेकर संतों के बीच बहस छिड़ी है. खुद शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने मुहूर्त को गलत बताते हुए सवाल खड़े किए हैं. लेकिन प्रोफेसर राम नारायण बताते हैं कि इस दोष के निवारण के लिए 32 सेकंड का खास सर्वार्थ सिद्धि योग शोधित हुआ है.

vns bhu proffesor

भूमिपूजन अनुष्ठान की तैयारी देख रहे बीएचयू के धर्म विज्ञान संकाय के प्रोफेसर राम नारायण दि्ववेदी

भूमि पूजन में 5 का महत्व

भूमि पूजन के लिए गर्भगृह वाले स्थान पर साढ़े तीन गुणे तीन फीट की नींव खोदी जाएगी. इस नींव में ही नंदा, भद्रा, जया, रिक्ता और पूर्णा नाम की पांच ईटों को पूजा अर्चना कर रखा जाएगा. फिर मंत्रोच्चारण के बीच गर्भगृह वाले स्थान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नींव के अंदर तांबे का एक कलश स्थापित करेंगे. इस कलश में गंगाजल के साथ-साथ सभी तीर्थों के जल को भरा जाएगा.

ये भी पांच नदियों का बताया जा रहा है. इस कलश में औषधि डाली जाएगी. इसके अलावा पांच रत्न भी शामिल होंगे. जिसमे हीरा, पन्ना, मलिक, सोना और चांदी शामिल हो सकते हैं. हालांकि महंगे रत्न की कोई अनिवार्यता नहीं है लेकिन खुद ब्रह्मांड नायक का मंदिर है, इसलिए सबकुछ ऐतिहासिक और भव्य करने की तैयारी है. इसके बाद धरती को अपने सिर पर उठाए शेषनाग की पूजा अर्चना करते हुए चांदी के नाग नागिन का जोड़ा और भगवान विष्णु के अवतार के प्रतीक चांदी के कछुए को भी नींव में स्थापित किया जाएगा.

 

Leave A Reply

Your email address will not be published.