लखनऊ. कोरोना वायरस (COVID-19) की वजह से चल रहे लॉक डाउन (Lockdown) के चलते इस नवरात्र में कन्या भोजन और कन्या पूजन संभव नहीं हो पाएगा. मान्यता के अनुसार अष्टमी या नवमी के दिन कम से कम 9 कन्याओं को भोजन और उनका पूजन किया जाना जरूरी है लेकिन इस बार यह संभव नहीं होगा. ऐसे में इस कमी को पूरा करने के लिए क्या किया जाना चाहिए? इस सवाल के जवाब के लिए News18 ने देश के कई मशहूर ज्योतिषाचार्य और कर्मकांडियों से बात की.
‘आपत्तिकाले मर्यादा नास्ति’
मशहूर ज्योतिषाचार्य पंडित शंकर चरण त्रिपाठी कहते हैं कि ‘आपत्तिकाले मर्यादा नास्ति’- यानी जब आपत्तिकाल हो और परंपराओं का पालन संभव न हो, ऐसे समय में मर्यादाओं का 100 फ़ीसदी पालन करना आवश्यक नहीं है. पंडित शंकर चरण त्रिपाठी ने बताया कि लॉक डाउन की वजह से यदि कोई कन्या पूजन और कन्या भोजन नहीं करा पा रहा है तो इससे बिल्कुल भी विचलित होने या इसके बारे में नकारात्मक सोचने की जरूरत नहीं है. हमारे शास्त्रों में ही यह विधान किया गया है कि विपरीत परिस्थितियों में सभी कर्मकांडों का पालन आवश्यक नहीं है.
पूरी प्रक्रिया को मानसिक तौर पर करना होगा: पंडित राजेश
वहीं मध्य प्रदेश के भोपाल में रहने वाले पंडित राजेश ने बताया कि हिंदू धर्म में मानसिक पूजा की भी बड़ी मान्यता है और उसका फल भी उतना और उसका फल भी उतना उसका फल भी उतना ही है. उन्होंने बताया कि अब जबकि हम कन्या पूजन पूजन और कन्या भोजन नहीं करा पा रहे हैं. ऐसे में इस पूरी प्रक्रिया को मानसिक तौर पर करना होगा. जिस तरह से हम पूजा और भोग की थाली सजाते हैं, उसे वैसे ही घर में सजाएं. जिन कन्याओं को आप बुलाना चाहते हैं. उन कन्याओं का ध्यान करके मानसिक तौर पर उन्हें आसन बिछाकर बिठाएं.
लॉक डाउन खत्म होने के बाद कन्याओं को दें दक्षिणा
मन में ध्यान करें कि आप उनके पैर धोए धो रहे हों. उसके बाद आलता लगा रहे हों, चुनरी बांध रहे हो, उन्हें दान दक्षिणा दे रहे हों और फिर उन्हें भोजन करा रहे हों. ऐसा सब कुछ मन में मन में ही सोचना होगा और वास्तव में कन्याओं की गैरमौजूदगी में भी पूजा की थाल और प्रसाद की थाल सजाना होगा. उन्होंने कहा कि जब लॉक डाउन खत्म हो जाए तो जिन कन्याओं के होने का आपने ध्यान किया हो उन्हें प्रसाद और दक्षिणा पहुंचा दें.
बता दें नवरात्र का कल आठवां दिन है. इस दिन घर-घर में छोटी लड़कियों की पूजा की जाती है. साथ ही उनके पैर पूजन के बाद उन्हें दक्षिणा भी दी जाती है. कुछ लोग इसे अष्टमी और कुछ नवमी के दिन करते हैं, लेकिन इस बार lockdown के कारण एक दूसरे से मिलना खतरनाक है. ऐसे में कन्या पूजन संभव नहीं है.
1 अप्रैल को चैत्र मास की नवरात्रि और बुधवार का योग है। इस दिन देवी दुर्गा के साथ ही गणेशजी की भी विशेष पूजा जरूर करें। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार गणेशजी की पूजा में सभी जरूरी चीजें रखी जाए और सही तरीके से पूजा की जाए तो सकारात्मक फल जल्दी मिल सकते हैं।
पूजा के लिए सामग्री
चावल, कुमकुम, दीपक, धूपबत्ती, दूध, दही, घी, शहद, शकर, साफ जल, श्रीगणेश और देवी दुर्गा के लिए वस्त्र-आभूषण, फूल, प्रसाद के लिए मिठाई और फल, जनेऊ, सुपारी, पान, मोदक के लड्डू, सिंदूर, इत्र, दूर्वा, केले, कर्पूर आदि। अगर ये चीजें घर में न हों तो जो चीजें हैं, उनसे ही पूजा कर सकते हैं।
सरल पूजा विधि
घर के मंदिर में पूजा की व्यवस्था करें। सबसे पहले मूर्तियों में श्रीगणेश और देवी दुर्गा का आवाहन करें। आवाहन यानी देवी-देवता को अपने घर आमंत्रित करें। आसन दें। मूर्तियों को स्नान कराएं। दूध, दही, घी, शहद और शकर मिलाकर पंचामृत बनाएं और इससे स्नान कराएं। इसके बाद जल से स्नान कराएं।
मूर्तियों को वस्त्र और आभूषण अर्पित करें। गणेशजी को जनेऊ पहनाएं। माताजी और गणेशजी को हार पहनाएं। इत्र अर्पित करें। तिलक लगाएं। धूप, कर्पूर और दीप जलाएं। आरती करें। परिक्रमा करें। भोग लगाएं, पान चढ़ाएं। गणेशजी को दूर्वा और माताजी को लाल चुनरी अर्पित करें। दक्षिणा अर्पित करें। गणेश के मंत्र श्री गणेशाय नम: और दुर्गा मंत्र दुं दुर्गायै नम: मंत्र का जाप करें। पूजा के अंत में अनजानी भूल के लिए क्षमा याचना करें। प्रसाद दें और स्वयं भी लें।