साल का पहला सूर्यग्रहण 10 जून को, कब से कब तक रहेगा ग्रहण और ये भारत में दिखेगा या नहीं, जानें सबकुछ

इस साल के दूसरे और आखिरी सूर्य ग्रहण की बात करें तो ये 4 दिसंबर को पड़ेगा। इसकी शुरुआत सुबह 10:59 बजे होगी और ये दोपहर 3:07 बजे खत्म होगा। ये सूर्यग्रहण ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका, साउथ अमेरिका, प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर, हिंद महासागर और अंटार्कटिका में देखा जा सकेगा।

10 जून को साल का पहला सूर्यग्रहण है। वेबसाइट टाइम एंड डेट के मुताबिक, इस साल 2 चंद्रग्रहण और 2 सूर्यग्रहण देखने को मिलेंगे। 26 मई को साल का पहला चंद्रग्रहण था। इस दौरान कई जगहों पर सुपर ब्लडमून भी देखा गया। सूर्यग्रहण 10 जून को होने वाला है।

जानिए सूर्यग्रहण होता क्या है, किस वजह से होता है, भारत में देखा जा सकेगा या नहीं और इसका आप पर क्या प्रभाव होगा…

सूर्य ग्रहण होता क्या है?
जब पृथ्वी और सूर्य के बीच चांद आ जाता है तो इसे सूर्यग्रहण कहते हैं। इस दौरान सूर्य से आने वाली रोशनी चांद के बीच में आ जाने की वजह से धरती तक नहीं पहुंच पाती है और चांद की छाया पृथ्वी पर पड़ती है। दरअसल सूर्य के आसपास पृथ्वी घूमती रहती है और पृथ्वी के आसपास चंद्रमा। इसी वजह से तीनों कभी न कभी एक दूसरे के सीध में आ जाते हैं। इन्ही वजहों से सूर्य और चंद्र ग्रहण होता है।

क्या भारत में नजर आएगा?
नहीं। भारत के लोग इस ग्रहण को नहीं देख पाएंगे। उत्तरी अमेरिका, यूरोप और एशिया में ये सूर्यग्रहण आंशिक रूप से नजर आएगा। वहीं उत्तरी कनाडा, ग्रीनलैंड और रूस में पूर्ण रूप से दिखाई देगा। जब सूर्यग्रहण पीक पर होगा तब ग्रीनलैंड के लोगों को रिंग ऑफ फायर भी नजर आ सकती है।

रिंग ऑफ फायर क्या होती है?
चांद पृथ्वी के आसपास एक अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाता है। इस वजह से पृथ्वी से चांद की दूरी हमेशा घटती-बढ़ती रहती है। जब चांद पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूर होता है, उसे एपोजी (Apogee) कहते हैं और जब सबसे नजदीक होता है तो उसे पेरिजी (Perigee) कहते हैं।

10 जून को जब सूर्यग्रहण होगा तब चांद लगभग एपोजी पर होगा। यानी पृथ्वी से सबसे दूर। इस वजह से चांद का आकार सामान्य के मुकाबले कुछ छोटा दिखाई देगा। अपने इस छोटे आकार की वजह से चांद सूर्य को पूरी तरह ढंक नहीं पाएगा और चांद की सतह के किनारों से कुछ रोशनी धरती पर आती रहेगी। धरती से देखने पर ये लाल गोले जैसी दिखाई देगी। इसे ही रिंग ऑफ फायर कहते हैं।

कब से कब तक रहेगा ग्रहण?
वेबसाइट टाइम एंड डेट के मुताबिक भारतीय समय के अनुसार दोपहर 1 बजकर 42 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 41 मिनट तक सूर्य ग्रहण का समय रहेगा। भारत में सूर्यग्रहण की कुल अवधि करीब 5 घंटे की होगी।

क्या सूतक काल लगेगा?
नहीं। अगर भारत में ये सूर्यग्रहण दिखाई देता तो सूतक काल लगता, लेकिन ये ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा इसलिए न तो यहां सूतक काल मान्य होगा और नहीं धार्मिक आयोजनों में किसी तरह की रुकावट आएगी।

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले से सूतक काल की गणना की जाती है। इस दौरान कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता। इस दौरान खाना बनाना और खाना भी अच्छा नहीं माना जाता। यहां तक कि सूतक काल के दौरान मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं।

एक साल में कितनी बार सूर्य ग्रहण हो सकता है?
ज्यादातर एक साल में दो बार सूर्य ग्रहण होता है। अधिक से अधिक ये संख्या 5 तक जा सकती है, लेकिन ऐसा बहुत कम होता है। नासा के मुताबिक पिछले 5 हजार साल में सिर्फ 25 साल ऐसे रहे हैं जब 5 बार सूर्यग्रहण पड़ा। आखिरी बार 1935 में सालभर के अंदर 5 बार सूर्यग्रहण पड़ा था। अगली बार ऐसा 2206 में होगा। वैसे कोई भी सूर्य ग्रहण पृथ्वी के केवल कुछ इलाकों में ही दिखता है।

इस साल के दूसरे और आखिरी सूर्य ग्रहण की बात करें तो ये 4 दिसंबर को पड़ेगा। इसकी शुरुआत सुबह 10:59 बजे होगी और ये दोपहर 3:07 बजे खत्म होगा। ये सूर्यग्रहण ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका, साउथ अमेरिका, प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर, हिंद महासागर और अंटार्कटिका में देखा जा सकेगा।

सूर्यग्रहण देखते हुए क्या-क्या सावधानियां रखना जरूरी है?

हालांकि भारत में ये सूर्यग्रहण नहीं दिखेगा, लेकिन फिर भी कभी भी आप सूर्यग्रहण को देखें तो इन बातों का खास ख्याल रखें

  • नग्न आंखों से सूर्यग्रहण को न देखें। सूर्य की किरणें आपकी आंखों को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
  • सूर्यग्रहण को देखने के लिए विशेष तौर पर बने चश्मों का ही प्रयोग करें। साधारण चश्मों से सूर्यग्रहण कभी न देखें।
  • कैमरा, दूरबीन या टेलीस्कोप की मदद से भी सूर्यग्रहण को देखने की कोशिश न करें।
  • आप पिनहोल प्रोजेक्टर की मदद से सुरक्षित तरीके से सूर्यग्रहण देख सकते हैं। इंटरनेट पर पिनहोल प्रोजेक्टर बनाने के आसान तरीके आपको मिल जाएंगे।

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