आम आदमी को मिलेगी राहत?: लोन मोराटोरियम बढ़ाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा- जनता इस समय मुश्किल दौर से गुजर रही है

केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा था- 2 साल तक के लिए लोन मोराटोरियम बढ़ाया जा सकता है सुप्रीम कोर्ट में 6 महीने की मोराटोरियम अवधि की ब्याज माफी को लेकर भी याचिका दायर की गई है

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नई दिल्ली. मोराटोरियम बढ़ाने की मांग को लेकर बुधवार को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश हुए वकील राजीब दत्ता ने कहा कि जनता इस समय दौर से गुजर रही है। ये योजना सभी के लिए दोहरी मार की तरह है। इससे पहले केंद्र ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि लोन मोराटोरियम की सुविधा को 2 साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है।

लोन मोराटोरियम की अवधि बढ़ाने की मांग वाले दो याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच सुनवाई कर रही है। मंगलवार को केंद्र सरकार की ओर से बेंच के सामने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए थे। केंद्र की ओर से मोराटोरियम मामले को लेकर सोमवार को ही हलफनामा जमा कर दिया गया है। इस पर बेंच ने कहा कि उसे अभी हलफनामा नहीं मिला।

‘लोग मुश्किल हालात से गुजर रहे’

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव दत्ता ने कोर्ट में कहा है कि लोग मुश्किल हालात से गुजर रहे हैं और यह स्कीम सभी के लिए दोहरी मार देने वाली है। उन्होंने तर्क दिया कि ब्याज लेना प्रथम दृष्टया में गलत है और बैंक इसे चार्ज नहीं कर सकते। सीआरईडीएआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आर्यमन सुंदरम ने कहा कि लंबे समय तक उधारकर्ताओं पर दंडात्मक ब्याज वसूलना अनुचित है, इससे एनपीए बढ़ सकता है।

दूसरी तरफ, शॉपिंग सेंटर एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से पेश हुए रंजीत कुमार ने कहा कि फार्मा, एफएमसीजी और आईटी सेक्टर के विपरीत शॉपिंग सेंटर्स और मॉल ने बंद के दौरान अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है।

ब्याज माफी मामले पर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में 6 महीने की मोराटोरियम अवधि की ब्याज माफी को लेकर भी याचिका दायर की गई है। इस मामले की सुनवाई भी जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच कर रही है। इस मामले में भी बेंच ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। मंगलवार को इस मामले में कोई सुनवाई नहीं हुई।

31 अगस्त को खत्म हुई है लोन मोराटोरियम की सुविधा
कोरोना संक्रमण के आर्थिक असर को देखते हुए आरबीआई ने मार्च में तीन महीने के लिए मोराटोरियम सुविधा दी थी। यह सुविधा 1 मार्च से 31 मई तक तीन महीने के लिए लागू की गई थी। बाद में आरबीआई ने इसे तीन महीनों के लिए और बढ़ाते हुए 31 अगस्त तक के लिए कर दिया था। यानी कुल 6 महीने की मोराटोरियम सुविधा दी गई है। 31 अगस्त को यह सुविधा खत्म हो गई है।

क्या है मोराटोरियम?
जब किसी प्राकृतिक या अन्य आपदा के कारण कर्ज लेने वालों की वित्तीय हालत खराब हो जाती है तो कर्ज देने वालों की ओर से भुगतान में कुछ समय के लिए मोहलत दी जाती है। कोरोना संकट के कारण देश में भी लॉकडाउन लगाया गया था। इस कारण बड़ी संख्या में लोगों के सामने रोजगार का संकट पैदा हो गया था। इस संकट से निपटने के लिए आरबीआई ने 6 महीने के मोराटोरियम की सुविधा दी थी। इस अवधि के दौरान सभी प्रकार के लोन लेने वालों को किस्त का भुगतान करने की मोहलत मिल गई थी।

मोराटोरियम नहीं बढ़ा तो सितंबर से देनी होगी लोन की किस्त
आरबीआई की ओर से दी गई मोराटोरियम सुविधा 31 अगस्त को समाप्त हो गई है। अब इसकी अवधि बढ़ाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट पर सबकी निगाहें हैं। यदि सुप्रीम कोर्ट की ओर से मोराटोरियम की अवधि नहीं बढ़ाई जाती है तो इस सुविधा का लाभ लेने वाले सभी लोगों को सितंबर से अपने लोन की किस्त का भुगतान करना होगा। हालांकि, कई बैंकरों ने आरबीआई से मोराटोरियम नहीं बढ़ाने की अपील की है।

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