निजामुद्दीन के मरकज / अब तक 1548 लोगों को हॉस्पिटल पहुंचाया गया, 441 में कोरोना के लक्षण मिले; मस्जिद प्रशासन ने कहा- लॉकडाउन के कारण लोग फंसे रह गए

दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में लॉकडाउन के पहले तब्लीगी जमात का मरकज लगा हुआ था; देश-विदेश से 5 हजार से ज्यादा लोग आए थे

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  • 24 मार्च से हुए लॉकडाउन के बाद यहां करीब 2000 लोग ठहरे हुए थे, रविवार से इन्हें यहां से निकाला जा रहा है
  • डीटीसी की बसों के जरिए 32-32 लोगों को अलग-अलग हॉस्पिटल पहुंचाया गया; अधिकारियों के मुताबिक, रात 8 बजे तक सभी को निकाल लिया जाएगा

नई दिल्ली. दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में इस्लामिक धार्मिक आयोजन (मरकज) के बाद करीब 2000 लोग उसी जगह पर ठहरे हुए थे। पिछले तीन दिनों से इन्हें यहां से निकाला जा रहा है। मंगलवार शाम 5 बजे तक 1548 लोगों को डीटीसी बसों के जरिए अलग-अलग हॉस्पिटल्स ले जाया गया। इनकी जांच की जा रही है। रविवार के दिन 200 लोगों को यहां से हॉस्पिटल ले जाया गया था, इनमें से 24 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। वहीं अब तक 1500 से ज्यादा लोगों की शुरुआती जांच में 441 लोगों में कोरोना के लक्षण पाए गए हैं, हालांकि इनकी फाइनल रिपोर्ट का इंतजार है।

 

अभी भी यहां 100 से 200 लोग मौजूद हैं, जिन्हें 32-32 की खेप में बसों के जरिए हॉस्पिटल ले जाया जा रहा है। बसों में इन लोगों को दूर-दूर ही बैठाया जा रहा है।

 

यहां मौजूद प्रशासन, एनडीएमसी और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बस में बैठाए जाने से पहले ही लोगों की स्क्रिनिंग की जा रही है। ऐसे में एक बस को रवाना करने में 40 से 45 मिनट लग रहे हैं। रात 8 बजे के पहले-पहले सभी लोगों को यहां से निकाल लिया जाएगा।

देश में लॉकडाउन के ऐलान के बाद इस तरह लोगों का इकट्ठा होना अपराध है। लेकिन, मरकज आयोजित करने वाले मस्जिद प्रशासन का कहना है कि उन्होंने किसी तरह के नियमों का उल्लंघन नहीं किया है। इनका कहना है, ‘यह आयोजन हर साल एक बार होता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने जब जनता कर्फ्यू की घोषणा की थी, उसी दिन से मरकज को बंद कर दिया गया, लेकिन ट्रेनें न चलने के कारण मरकज में आए लोग यहीं फंसे रह गए। जनता कर्फ्यू के एक दिन पहले ही रेलवे ने देशभर की कई ट्रेनों को रद्द कर दिया था। 22 तारीख को रात 9 बजे तक कहीं नहीं निकला जा सका।

इसी दिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 23 तारीख को सुबह 6 बजे से 31 मार्च राज्य में लॉकडाउन का ऐलान कर दिया और फिर 25 मार्च से पूरे देश को ही लॉकडाउन कर दिया गया। ऐसे में मरकज में आए लोगों कहीं नहीं जा पाए। हालांकि 1500 से ज्यादा लोगों को किसी तरह निजी वाहनों के जरिए घरों तक पहुंचाया गया। लेकिन करीब इतने ही लोग यहां फंसे रह गए।’

डीटीसी की बसों से 32-32 लोगों को चेकअप के लिए हॉस्पिटल ले जाया गया।

बुजुर्ग को तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल ले गए तो हुआ जमावड़े का खुलासा
यहां तमिलनाडु के 64 साल के बुजुर्ग को तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल ले जाना पड़ा था, जहां रविवार को उनकी मौत हो गई। मौत की सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासन ने सक्रियता दिखाते हुए मरकज में जांच की। यहां एक-एक कमरे में 8-10 लोग ठहरे थे। इनमें से कई को हल्की खांसी और जुकाम की शिकायत भी थी। इतनी तादाद में संदिग्ध मिलने पर प्रशासन ने डीटीसी की बसें लगाकर लोगों को अस्पतालों में पहुंचाना शुरू किया।

तेलंगाना में मरकज से गए 6 लोगों की मौत
सोमवार देर शाम तेलंगाना के मुख्यमंत्री कार्यालय ने बताया कि दिल्ली के मरकज में गए उनके राज्य के 6 लोगों की मौत हो गई है। कश्मीर के सोपोर से यहां पहुंचे एक अन्य 65 साल बुजुर्ग ने भी पिछले हफ्ते श्रीनगर में कार्डियक अरेस्ट के बाद दम तोड़ दिया था। देश के अलग-अलग राज्यों ने तब्लीगी जमात में गए लोगों को चिह्नित करना शुरू कर दिया है। पिछले दिनों यहां से करीब 800 लोग बाहर जा चुके हैं। पुलिस इन्हें ढूंढ़ रही है। आशंका जताई जा रही है कि ये लोग अन्य राज्यों में भी पहुंच चुके हैं। यूपी सरकार ने 18 जिलों की पुलिस को इन्हें ढूंढ़ने के आदेश दिए हैं।

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