जजों की अवमानना का केस:सुप्रीम कोर्ट ने कहा- प्रशांत भूषण को अभिव्यक्ति की आजादी है, लेकिन वे माफी नहीं मांगना चाहते, व्यक्ति को गलती का अहसास होना चाहिए

भूषण ने सोमवार को कहा था- माफी दबाव या उकसावे में नहीं, ईमानदारी से मांगी जानी चाहिए

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प्रशांत भूषण की अवमानना मामले पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा, ‘‘भूषण को अभिव्यक्ति की आजादी है, लेकिन वे अवमानना पर माफी नहीं मानना चाहते। व्यक्ति को गलती का अहसास होना चाहिए। हमने उन्हें समय दिया। लेकिन उनका (प्रशांत भूषण) कहना है कि वे माफी नहीं मांगेंगे।’’ कोर्ट ने यह भी साफ किया कि उनकी (कोर्ट की) तरफ से सिर्फ ऑर्डर के जरिए ही बात की जा सकती है।

प्रशांत भूषण को माफ कर दें: अटॉर्नी जनरल
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को प्रशांत भूषण को चेतावनी देते हुए दया दिखानी चाहिए। कोर्ट ने वेणुगोपाल से पूछा कि भूषण ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट खत्म हो गया है, क्या यह आपत्तिजनक नहीं है?

एक अन्य मामला दूसरी बेंच के पास भेजा

सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण के 2009 के अवमानना मामले को दूसरी बेंच के पास भेज दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह केवल सजा का नहीं, बल्कि संस्थाओं में विश्वास का भी मामला है। 11 साल पहले तहलका मैगजीन को दिए इंटरव्यू में भूषण ने न्यायपालिका के खिलाफ टिप्पणी की थी। इस मामले अब सुनवाई 10 सितंबर को होगी।

जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने भूषण की तरफ से पेश हुए वकील राजीव धवन से कहा कि लोग कोर्ट में राहत के लिए आते हैं, लेकिन जब उनका भरोसा ही हिला हुआ हो तो समस्या खड़ी हो जाती है। कपिल सिब्बल जर्नलिस्ट तरुण तेजपाल की तरफ से पेश हुए थे। उन्होंने बेंच से कहा कि लोग तो आएंगे और जाएंगे, लेकिन संस्थाएं हमेशा बनी रहेंगी। इनका सुरक्षित रहना जरूरी है।

प्रशांत ने सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगने से इनकार कर दिया था
सोमवार को प्रशांत ने अदालतों और जजों की अवमानना के मामले में सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगने से इनकार कर दिया। भूषण ने कहा था, ‘मैंने जो कहा, वह हकीकत है। अब शर्त के साथ या बिना शर्त माफी मांगी तो यह गलत होगा। अगर बेमन से माफी मांगी तो अंतरात्मा की अवमानना हो जाएगी। जिसका मैं सबसे अधिक सम्मान करता हूं।’

दो पेज के हलफनामे में भूषण ने कहा था कि उन्होंने ट्वीट भली नीयत से और संस्था की बेहतरी के लिए किए थे। ऐसे में माफी मांगना सही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने 20 अगस्त को सजा पर बहस के बाद भूषण को बिना शर्त माफी मांगने पर विचार करने के लिए दो दिन दिए थे। इसका उन्होंने सोमवार को जवाब दिया।

भूषण ने कहा था- माफी दबाव या उकसावे में नहीं, ईमानदारी से मांगी जानी चाहिए
सुप्रीम कोर्ट का आदेश पढ़कर अफसोस हुआ। अदालत ने कोर्टरूम में दिए बयान पर पुनर्विचार के लिए दो दिन का समय दिया था। मगर आदेश में लिखा कि बिना शर्त माफीनामा दायर करने के लिए 2 दिन दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट के प्रति मेरे मन में सर्वोच्च सम्मान है। मैं मानता हूं कि यह कोर्ट मौलिक अधिकारों, प्रहरी संस्थाओं और संवैधानिक लोकतंत्र की रक्षा के लिए आखिरी उम्मीद है। माफी दबाव या उकसावे में नहीं, ईमानदारी से मांगी जानी चाहिए।

प्रशांत भूषण के इन 2 ट्वीट को कोर्ट ने अवमानना माना
पहला ट्वीट: 27 जून- जब इतिहासकार भारत के बीते 6 सालों को देखते हैं तो पाते हैं कि कैसे बिना इमरजेंसी के देश में लोकतंत्र खत्म किया गया। इसमें वे (इतिहासकार) सुप्रीम कोर्ट, खासकर 4 पूर्व सीजेआई की भूमिका पर सवाल उठाएंगे।
दूसरा ट्वीट: 29 जून- इसमें वरिष्ठ वकील ने चीफ जस्टिस एसए बोबडे की हार्ले डेविडसन बाइक के साथ फोटो शेयर की। सीजेआई बोबडे की बुराई करते हुए लिखा कि उन्होंने कोरोना दौर में अदालतों को बंद रखने का आदेश दिया था।

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