क्या हुआ था ताशकंद में जिसके बाद भारत लौटा लाल बहादुर शास्त्री का शव

ताशकंद समझौते के 12 घंटे के भीतर ही देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मौत हो गई थी. उनकी मौत स्वाभाविक थी या उन्हें जहर देकर मारा गया, इसे लेकर आज भी कई सवाल कायम हैं.

0 990,516

नई दिल्ली. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ-साथ आज देश के देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की भी जयंती है. एक बेहद साधारण से घर में जन्मे लाल बहादुर शास्त्री देश के सबसे शीर्ष पद तक पहुंचे. सार्वजनिक जीवन में भी लाल बहादुर शास्त्री ने तमाम मिसालें पेश कीं. अपने कार्यकाल में रेल दुर्घटना की जिम्मेदारी लेते हुए लाल बहादुर शास्त्री ने खुद ही इस्तीफा दे दिया था. उनके पास ना तो आलीशान घर था, ना ही कार और ना ही बैंक बैलेंस. यहां तक कि बच्चों ने कार खरीदने की जिद की तो उन्होंने लोन ले लिया था. भारतीय राजनीति के लिए वो ऐसी कई और मिसालें छोड़कर जाते लेकिन 1966 में ताशकंद में उनकी असामयिक मृत्यु हो गई.

Lal Bahadur Shastri Death Anniversary: Lesser known facts you must know  about former PM - News Nation English

लाल बहादुर शास्त्री के पूरे जीवन में कभी कोई विवाद नहीं उठा. लेकिन उनकी मौत काफी रहस्यमय परिस्थितियों में हुई. 10 जनवरी, 1966 को ताशकंद में पाकिस्तान के साथ शांति समझौते पर करार के महज 12 घंटे बाद 11 जनवरी के तड़के उनकी अचानक उनकी मौत हो गई थीं.

हालांकि, आधिकारिक तौर पर कहा जाता है कि उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई. शास्त्री को ह्दय संबंधी बीमारी पहले से थी और 1959 में उन्हें एक हार्ट अटैक आया भी था. इसके बाद उन पर उनके परिजन और दोस्त उन्हें कम काम करने की सलाह देते थे. लेकिन 9 जून, 1964 को देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद उन पर काम का दबाव बढ़ता ही चला गया.

Lal Bahadur Shastri is India's Original 'Accidental Prime Minister'. Here's  Why

समझौते के 12 घंटे बाद हुई मौत

खैर, भारत-पाकिस्तान के बीच 1965 में अप्रैल से 23 सितंबर के बीच 6 महीने तक युद्ध चला. युद्ध खत्म होने के 4 महीने बाद जनवरी, 1966 में दोनों देशों के शीर्ष नेता तब के रूसी क्षेत्र में आने वाले ताशकंद में शांति समझौते के लिए रवाना हुए. पाकिस्तान की ओर से राष्ट्रपति अयूब खान वहां गए. 10 जनवरी को दोनों देशों के बीच शांति समझौता भी हो गया.

ताशकंद में भारत-पाकिस्तान समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद शास्त्री बहुत दबाव में थे. पाकिस्तान को हाजी पीर और ठिथवाल वापस कर देने के कारण उनकी भारत में काफी आलोचना हो रही थी. यहां तक कि उनकी पत्नी भी शास्त्री के समझौते के फैसले को लेकर नाराज थीं.

Lal Bahadur Shastri Home in Varanasi | 2nd Prime Minister of India - YouTube

पत्नी की नाराजगी

शास्त्री के साथ ताशकंद गए उनके सूचना अधिकारी कुलदीप नैय्यर ने बीबीसी को दिए इंटरव्यू में बताया था, “उस रात लाल बहादुर शास्त्री ने घर पर फोन मिलाया था. जैसे ही फोन उठा, उन्होंने कहा अम्मा को फोन दो. उनकी बड़ी बेटी फोन पर आई और बोलीं अम्मा फोन पर नहीं आएंगी. उन्होंने पूछा क्यों? जवाब आया इसलिए क्योंकि आपने हाजी पीर और ठिथवाल पाकिस्तान को दे दिया. वो बहुत नाराज हैं. शास्त्री को इससे बहुत धक्का लगा. कहते हैं इसके बाद वो कमरे का चक्कर लगाते रहे. फिर उन्होंने अपने सचिव वैंकटरमन को फोन कर भारत से आ रही प्रतिक्रियाएं जाननी चाहीं. वैंकटरमन ने उन्हें बताया कि तब तक दो बयान आए थे, एक अटल बिहारी वाजपेई का था और दूसरा कृष्ण मेनन का और दोनों ने ही उनके इस फैसले की आलोचना की थी.”

समझौते के 12 घंटे के भीतर उनकी अचानक मौत हो गई. क्या उनकी मौत सामान्य थी या फिर उनकी हत्या की गई थी. कहा जाता है कि समझौते के बाद कई लोगों ने शास्त्री को अपने कमरे में परेशान हालत में टहलते देखा था.

New Prime Minister Lal Bahadur Shastri with party leaders who chose... News  Photo - Getty Images

कुलदीप नैय्यर ने अपनी किताब में ‘बियोंड द लाइन’ में लिखा है, “उस रात मैं सो रहा था, अचानक एक रूसी महिला ने दरवाजा खटखटाया. उसने बताया कि आपके प्रधानमंत्री मर रहे हैं. मैं जल्दी से उनके कमरे में पहुंचा. मैंने देखा कि रूसी प्रधानमंत्री एलेक्सी कोस्गेन बरामदा में खड़े हैं, उन्होंने इशारे से बताया कि शास्त्री नहीं रहे.

उन्होंने देखा कि उनका चप्पल कॉरपेट पर रखा हुआ है और उसका प्रयोग उन्होंने नहीं किया था. पास में ही एक ड्रेसिंग टेबल था जिस पर थर्मस फ्लास्क गिरा हुआ था जिससे लग रहा था कि उन्होंने इसे खोलने की कोशिश की थी. कमरे में कोई घंटी भी नहीं थी.

शास्त्री के साथ भारतीय डेलिगेशन के रूप में गए लोगों का भी मानना था कि उस रात वो बेहद असहज दिख रहे थे.

खाने में मिला था जहर!

दूसरी ओर, कुछ लोग दावा करते हैं कि जिस रात शास्त्री की मौत हुई, उस रात खाना उनके निजी सहायक रामनाथ ने नहीं, बल्कि सोवियत रूस में भारतीय राजदूत टीएन कौल के कुक जान मोहम्मद ने पकाया था. खाना खाकर शास्त्री सोने चले गए थे. उनकी मौत के बाद शरीर के नीला पड़ने पर लोगों ने आशंका जताई थी कि शायद उनके खाने में जहर मिला दिया गया था. उनकी मौत 10-11 जनवरी की आधी रात को हुई थी.

शास्त्री के पार्थिव शरीर को भारत भेजा गया. शव देखने के बाद उनकी पत्नी ललिता शास्त्री ने दावा कि उनकी मौत संदिग्ध परिस्थितियों में हुई है. अगर दिल का दौरा पड़ा तो उनका शरीर नीला क्यों पड़ गया था और सफेद चकत्ते कैसे पड़ गए.

शास्त्री का परिवार उनके असायमिक निधन पर लगातार सवाल खड़ा करता रहा. 2 अक्टूबर, 1970 को शास्त्री के जन्मदिन के अवसर पर ललिता शास्त्री उनके निधन पर जांच की मांग की.

2 निजी सहायकों की हादसे में मौत से बढ़ा संशय

बेहद चौंकाने वाली बात यह रही कि सरकार ने शास्त्री की मौत पर जांच के लिए एक जांच समिति का गठन करने के बाद उनके निजी डॉक्टर आरएन सिंह और निजी सहायक रामनाथ की मौत अलग-अलग हादसों में हो गई. ये दोनों लोग शास्त्री के साथ ताशकंद के दौरे पर गए थे. उस समय माना गया था कि इन दोनों की हादसों में मौत से केस बेहद कमजोर हो गया.

उनका पोस्टमार्टम भी नहीं कराया गया, अगर उस समय पोस्टमार्टम कराया जाता तो उनके निधन का असली कारण पता चल जाता. एक पीएम के अचानक निधन के बाद भी उनके शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया जाना संदेह की ओर इशारा करता है. बेहद सामान्य घर से देश के शीर्ष नेता तक का सफर करने वाले स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहुादुर शास्त्री की संदेहास्पद मौत पर से राज जरूर हटना चाहिए. उनकी मौत पर रूसी कनेक्शन, उनके शव का रंग बदलना और शव का पोस्टमार्टम न किया जाना, ऐसे कई सवाल हैं जो उनकी मौत पर सवाल खड़े करते हैं.

Leave A Reply

Your email address will not be published.