लखनऊ: अयोध्या में सब कुछ ठीक रहा तो फिर नवरात्रि में रामलला टेंट से बाहर आ जायेंगे. 25 मार्च से नवरात्रि का पर्व शुरू हो रहा है. इस दौरान अयोध्या में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है. सरयू नदी में स्नान के बाद भगवान राम की पूजा की परंपरा रही है. भव्य राम मंदिर बनने का काम अभी शुरू नहीं हुआ है. इसे बनने में महीनों लग सकते हैं. ये तय हो चुका है कि रामलला को तब तक टेंट में न रखा जाए. उन्हें एक बुलेट प्रूफ़ मंदिर नुमा कॉटेज में रखा जाएगा. जिसे बनाने का काम शुरू हो चुका है. नवरात्रि में लोग रामलला के दर्शन इसी कॉटेज में करेंगे.
पिछले 27 सालों से अयोध्या में रामलला तिरपाल में रह रहे हैं. लोहे के रॉड से बने रास्तों से होकर भगवान तक जाना पड़ता है. जहां पर राम जी टेंट में हैं, वो ज़मीन भी ऊबड़ख़ाबड़ हैं. इसी हफ़्ते इसे समतल करने का काम शुरू हो जाएगा. जिस जगह पर रामलला को अभी रखा गया है, वहीं पर कॉटेज लगेगा. बुलेटप्रूफ़ शीशा और जर्मन पाईन से बने कॉटेज में भगवान की पूजा होगी. कॉटेज का निचला हिस्सा संगमरमर का होगा.
अयोध्या में भगवान राम का जन्म हुआ था. इसीलिए यहां उनकी पूजा बाल रूप में होती है. जिन्हें लोग रामलला कहते हैं. कॉटेज में रामलला अपने भाइयों भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न के साथ रहेंगे. राम के साथ साथ उनके अनन्य भक्त हनुमान की भी पूजा होती है. राम जन्म भूमि इलाक़े में अभी सिर्फ़ एक ही बदलाव होगा. टेंट की जगह कॉटेज बन जाएगा. बाक़ी सुरक्षा इंतज़ाम पहले जैसे रहेंगे. लेकिन कॉटेज में भगवान के आ जाने से लोग अब उनके ठीक से दर्शन कर पायेंगे. अभी तो अयोध्या जाने वालों को राम जी ठीक से नहीं दिखते हैं. टेंट और श्रद्धालुओं में 51 फुट की दूरी है. कॉटेज बन जाने से ये दूरी घट कर 5 फुट ही रह जाएगी.