रथयात्रा के लिए अब तक 6 याचिकाएं / सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुबह 11 बजे सुनवाई, पुरी शंकराचार्य का सवाल- सदियों पुरानी परंपरा टूटने पर क्या भगवान माफ कर देंगे

पुरी शहर को बंद करके सिर्फ मंदिर के पुजारी और सेवकों द्वारा रथयात्रा निकाले जाने की मांग पुरी के गजपति महाराज ने भी राज्य सरकार को पत्र लिख कर सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की मांग की

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पुरी. जगन्नाथ पुरी में 23 जून को होने वाली रथयात्रा पर सुप्रीम कोर्ट ने 18 जून को ही रोक लगा दी है, लेकिन कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अब तक कुल छह पुनर्विचार याचिकाएं लग चुकी हैं। रविवार दोपहर को तीन और याचिकाएं दाखिल की गईं। इन पर सोमवार को सुबह 11 बजे सुनवाई होना है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से रथयात्रा को बदले स्वरूप में निकालने की अनुमति देने पर विचार करने की अपील की गई है। पुरी शहर को टोटल शटडाउन करके और जिले में बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगाकर रथयात्रा निकालने का प्रस्ताव दिया गया है।

श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष और पुरी के गजपति महाराज दिव्यसिंह देब ने भी राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ तुरंत अपील करने के लिए पत्र लिखा है। पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने भी सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि वे इस मामले में दोबारा विचार करे।

पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि कोई ऐसा रास्ता निकाला जाए, जिससे कोरोना महामारी फैलने की आशंका भी न हो और श्री जगन्नाथ मंदिर की परंपरा भी न टूटे। 

उन्होंने पुरी मठ से जारी अपने एक बयान में कहा, ‘‘किसी आस्तिक महानुभाव की यह भावना हो सकती है कि अगर इस विभीषिका की दशा में रथयात्रा की अनुमति दी जाए तो भगवान जगन्नाथ कभी माफ नहीं करेंगे, लेकिन अगर प्रशस्त प्राचीन परंपरा का विलोप हो जाए तो क्या भगवान जगन्नाथ क्षमा कर देंगे?’’ गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने रथयात्रा पर रोक के अपने फैसले में कहा था कि कोरोना महामारी के इस काल में रथयात्रा की अनुमति दी तो भगवान जगन्नाथ हमें कभी माफ नहीं करेंगे।

कोर्ट धार्मिक मामलों में हमसे भी सलाह ले

उन्होंने यह भी कहा कि जगन्नाथ मंदिर पुरी पीठ के शंकराचार्य के अधिकार क्षेत्र में आता है। परंपरा के अनुसार भी और उच्चतम न्यायालय के अनुसार भी। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का भी यह दायित्व है कि धार्मिक और आध्यात्मिक मामलों में हमसे भी सलाह ली जाए। सुप्रीम कोर्ट ने शुद्ध भावना के साथ इस महामारी को देखते हुए रथयात्रा को रोकने का निर्णय लिया है। इसका हम आदर करते हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के माननीय जज को इस पर फिर से विचार करना चाहिए।

एक याचिक शुक्रवार, दो शनिवार  और तीन रविवार को लगीं

सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रणय कुमार मोहपात्रा ने बताया कि रथयात्रा पर रोक के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को समाज सेवी आफताब हुसैन ने याचिका लगाई थी। शनिवार को दो और याचिकाएं लगाई गई हैं। इनकी सुनवाई सोमवार को होनी है।

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