पायलट डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए गए; गहलोत ने शाम 7.30 बजे कैबिनेट की मीटिंग बुलाई, मंत्रियों के सामूहिक इस्तीफे की चर्चा

जयपुर में 2 दिन में 2 बार विधायक दल की बैठक हुई, सचिन पायलट और उनके विधायक नहीं पहुंचे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का 109 विधायक होने का दावा, कहा- सरकार को खतरा नहीं पायलट खेमे ने कहा- हमारे पास 30 से ज्यादा विधायक, सरकार बहुमत साबित करे

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जयपुर. सचिन पायलट के लिए कांग्रेस के दरवाजे अब बंद हो गए हैं। तीन दिन से उन्हें मनाने की तमाम कोशिशें फेल होने के बाद आखिरकार पार्टी ने एक्शन ले लिया। सचिन को उपमुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है। हालांकि, उन्हें पार्टी से नहीं निकाला है।

पायलट समर्थक विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा से भी मंत्री पद छीन लिया है। पायलट की जगह गोविंद सिंह डोटासरा को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी का नया अध्यक्ष बनाया गया है। गणेश गोगरा विधायक को प्रांत युवा कांग्रेस और हेम सिंह शेखावत को प्रदेश सेवा दल का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

नए सिरे से मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा

विधायक दल की बैठक के बाद कांग्रेस के सभी विधायक होटल में ही रुके हैं। जोड़-तोड़ रोकने के मकसद से यह कदम उठाया गया है। इस बीच, अशोक गहलोत ने शाम साढ़े सात बजे घर पर मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई है। कहा ये भी जा रहा है कि वे विधायकों को साधने के लिए मंत्रिमंडल विस्तार भी कर सकते हैं। इसके लिए आज शाम की बैठक में मंत्रियों के सामूहिक इस्तीफे भी हो सकते हैं।

गहलोत बोले- पायलट भाजपा के हाथ में खेल रहे हैं

विधायक दल की बैठक के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि पहली बार देश खतरे में आ रहा है। जो सरकार देश में आई है वह धनबल से राज्य की दूसरी सरकारों को तोड़-मरोड़ रही है। सरकारें बदली हैं, राजीव गांधी चुनाव हारे हैं। इस देश में ये सब कुछ हुआ है। आप सोचिए पाकिस्तान में ऐसा नहीं होता। पायलट, भाजपा के हाथ में खेल रहे हैं। जो मध्यप्रदेश में मैनेज कर रहे थे, वही यहां लगे हैं।

उन्होंने कहा कि आप सोच सकते हैं कि इनका इरादा क्या है? आप बताइए 122 विधायक हमारे साथ हैं। 102 कांग्रेस के हैं। ऐसी स्थिति में क्या कांग्रेस का कोई विधायक फ्लोर टेस्ट की मांग कर सकता है। दरअसल, ब्लैकमेल किया गया है।

कांग्रेस ने सचिन को कम उम्र में बहुत कुछ दिया 

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘कांग्रेस नेतृत्व ने बार-बार यह कहा जो राजनीतिक ताकत सचिन पायलट को कम उम्र में दी गई, वो शायद किसी को नहीं मिली। 30-32 साल की उम्र में उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया गया। 34 साल की उम्र में राजस्थान के कांग्रेस अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी। 40 साल की उम्र में उपमुख्यमंत्री बनाया। इतने कम समय में किसी को प्रोत्साहित करने का यही मतलब है कि सोनिया और राहुल का आशीर्वाद उनके साथ है। पिछले 4 दिन से भी कांग्रेस कहती रही कि कोई सुबह का भूला शाम को लौट आए तो बात सुनी जाएगी। लेकिन खेद है कि पायलट और उनके कुछ साथी 8 करोड़ राजस्थानियों द्वारा चुनी गई सरकार को गिराने की कोशिश कर रहे हैं।’

आज भी पायलट का इंतजार किया, बैठक एक घंटे टाली

कल दिन भर सियासी ड्रामा चलता रहा। आज भी हालात ऐसे ही बने। विधायक दल की बैठक सुबह 10:30 बजे होनी थी, लेकिन यह एक घंटे देरी से 11:30 बजे शुरू हुई। बगावत पर उतरे पायलट और उनके समर्थक विधायकों का इंतजार किया गया। इससे पहले पायलट को इस बैठक के लिए न्योता भेजा गया था। हालांकि, पायलट खेमे ने फिर आने से इनकार कर दिया। बैठक में शामिल नहीं हुए विधायकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का प्रस्ताव पास किया गया। सभी विधायकों ने पायलट को पार्टी से निकालने पर सहमति जताई।

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अपडेट्स

  • मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्यपाल कलराज मिश्र से मिलने पहुंंचे। उन्हें विधायक दल की बैठक में लिए गए फैसलों के बारे में जानकारी दी।
  • भाजपा नेता ओम माथुर ने कहा- सचिन पायलट के लिए पार्टी के द्वार खुले। उनका स्वागत है।
  • सूत्रों के मुताबिक, सचिन पायलट अब गहलोत के साथ काम नहीं करना चाहते। उन्होंने अपनी यह मंशा कांग्रेस के सीनियर नेताओं के साथ बातचीत में जाहिर की है।
  • राजस्थान कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे ने मंगलवार सुबह विधायक दल की बैठ्क के पहले कहा कि हम सचिन पायलट को दूसरा मौका दे रहे हैं, उनसे आज की विधायक दल की बैठक में भाग लेने के लिए कहा। मुझे उम्मीद है कि आज सभी विधायक आएंगे और नेतृत्व को एकजुटता देंगे, जिसके लिए राजस्थान के लोगों ने मतदान किया, हम सभी राज्य के विकास के लिए काम करना चाहते हैं।
  • राज्य के खाद्य और आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा, ‘वे इस संकट में सचिन पायलट के साथ खड़े हैं।’
  • राजस्थान भाजपा अध्यक्ष सतीश पुनिया ने कहा, ‘कांग्रेस दावा कर रही है कि उनके नेता एकजुट हैं, लेकिन यह साफ है कि उनके बीच आंतरिक विवाद है। इसलिए सचिन पायलट पार्टी छोड़ रहे हैं। अभी हमने फ्लोर टेस्ट की मांग नहीं की है।
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आज की बैठक में 22 विधायक नहीं पहुंचे 

कांग्रेस विधायक: सचिन पायलट, रमेश मीणा, इंद्राज गुर्जर, गजराज खटाना, राकेश पारीक, मुरारी मीणा, पीआर मीणा, सुरेश मोदी, भंवर लाल शर्मा, वेदप्रकाश सोलंकी, मुकेश भाकर, रामनिवास गावड़िया, हरीश मीणा, बृजेन्द्र ओला, हेमाराम चौधरी, विश्वेन्द्र सिंह, अमर सिंह, दीपेंद्र सिंह और गजेंद्र शक्तावत।
निर्दलीय विधायक: सुरेश टांक, ओम प्रकाश और खुशवीर सिंह जोजावर।

गहलोत ने अपने विधायकों की परेड कराई थी
इससे पहले, सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने विधायकों की परेड कराई थी। इस दौरान, उन्होंने कहा कि हमारे पास बहुमत (101 विधायक) से ज्यादा 109 एमएलए हैं। वहीं, पायलट ने सोमवार शाम अपने विधायकों का वीडियो जारी किया। कहा कि उनके पास 19 विधायक हैं। हालांकि, वीडियो में 17 विधायक नजर आए। खेमे ने कहा कि गहलोत सरकार अल्पमत में है। फ्लोर टेस्ट कराए। गहलोत खेमे के विधायक जयपुर के पास कूकस के फेयर माउंट होटल में ठहरे हैं। वहीं, पायलट खेमे के विधायक हरियाणा के मानेसर में रुके हैं।

राजस्थान : संकट मोचक की भूमिका में ...

राहुल, प्रियंका ने संपर्क साधा, लेकिन पायलट समझौते के लिए राजी नहीं

कांग्रेस पायलट को मनाने में जुटी है। सोमवार को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के अलावा पी. चिदंबरम और केसी वेणुगोपाल ने उनसे संपर्क साधा था। कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि पायलट समझौते को राजी नहीं हुए। उन्होंने राहुल गांधी के साथ मुलाकात से भी इनकार कर दिया। हालांकि, सूत्र यह भी दावा कर रहे हैं कि पायलट ने शीर्ष नेतृत्व के समक्ष चार शर्तें रखी हैं। इनमें कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष का पद बरकरार रखने के अलावा गृह और वित्त विभाग दिए जाने की मांग भी शामिल है। उधर, पायलट सीधे कुछ बोलने और ट्‌वीट करने के बजाय करीबियों से बयान दिला रहे हैं, ताकि पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए उन पर कोई कार्रवाई न हो सके।

राजस्थान विधानसभा की मौजूदा स्थिति: कुल सीटें: 200

पार्टी विधायकों की संख्या
कांग्रेस 107
भाजपा 72
निर्दलीय 13
आरएलपी 3
बीटीपी 2
लेफ्ट 2
आरएलडी  1

राजस्थान की विधानसभा में दलीय स्थिति को देखें तो कांग्रेस के पास 107 विधायक हैं। सरकार को 13 में से 10 निर्दलीय और एक राष्ट्रीय लोकदल के विधायक का भी समर्थन है। लिहाजा गहलोत के पास 118 विधायकों का समर्थन है। उधर, भाजपा के पास 72 विधायक हैं। बहुमत जुटाने के लिए कम से कम 29 विधायक चाहिए।

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