नई दिल्ली. पंजाब (Punjab) में किसानों द्वारा खेतों में जलाई जा रही पराली के कारण दिनोंदिन वायु प्रदूषण (Air Pollution) बढ़ता जा रहा है. इसका असर हर साल की तरह दिल्ली तक में देखने को मिल रहा है. यहां तक कि पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) ने राज्य में धान के पराली जलने के 460 मामलों में 12.25 लाख रुपये का जुर्माना भी अब तक लगाया है. वहीं आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस साल इन मामलों में चार गुना की बढ़ोतरी हुई है.
47 एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) के साथ बठिंडा की हवा का स्तर अच्छी श्रेणी में है. ऐसे में बठिंडा की हवा पूरे उत्तर भारत में सबसे ठीक है. वहीं दिल्ली में वायु प्रदूषण के कारण हवा का स्तर खराब श्रेणी में पहुंच चुका है. पंजाब के अन्य सभी प्रमुख शहरों जालंधर, खन्ना, पटियाला, मंडी गोविंदगढ़ और अमृतसर में वायु प्रदूषण का स्तर मध्यम श्रेणी में है. लुधियाना में यह ‘संतोषजनक’ श्रेणी में है. बठिंडा पहले कटाई के मौसम में सबसे प्रदूषित शहरों में से एक रहा है. उस समय इसका एक्यूआई खतरनाक श्रेणी में आया था.
Air quality has started deteriorating in #Delhi with rise of pollutants in the atmosphere; visuals from Akshardham.
A local says, "There were reports that the Himalayas were visible from Punjab during lockdown. Now, we're back to earlier phase. We all are responsible for it." https://t.co/erMkD1u0k3 pic.twitter.com/EANYLPEp5H
— ANI (@ANI) October 11, 2020
शनिवार को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों से पता चला है कि बठिंडा की हवा में प्रति घन मीटर (एमजी/सेमी) 47 रिस्पॉन्सिबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (आरएसपीएम) मौजूद थे. 0-55 मिलीग्राम / सेमी आरएसपीएम का वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘अच्छा’ माना जाता है और 101 से 220 रुपये के बीच आरएसपीएम को ‘मध्यम’ माना जाता है.
पीपीसीबी ने राज्य में 460 धान की पराली जलाने के कुल मामलों में अब तक 12.25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है, शुक्रवार को एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस महीने के अंत तक इस बात का पता चल पाएगा कि पराली जलाने की घटनाएं और उनकी मात्रा पिछले साल की तुलना में कैसी है. अधिकारी ने कहा कि 7 अक्टूबर तक के आंकड़ों के अनुसार, सैटेलाइट इमेजरी द्वारा 1692 घटनाएं दर्ज की गई थीं, लेकिन पीपीसीबी अधिकारियों द्वारा फील्ड विजिट के दौरान 763 मामलों में कोई स्टब बर्निंग नहीं देखी गई. एक सैटेलाइट के जरिये हमें डाटा मिलता है. लेकिन कई बार ऐसी भी आग होती हैं, जिनमें पराली को नहीं जलाया जाता है.