ईमानदार करदाताओं को नई सौगात:मोदी ने कहा- फेसलेस एसेसमेंट और टैक्सपेयर्स चार्टर आज से लागू, ईमानदार करदाताओं को डरने की जरूरत नहीं

टैक्सपेयर्स चार्टर का मकसद टैक्सपेयर्स की परेशानी कम करना, अफसरों की जवाबदेही तय करना मोदी ने कहा- बीते 6 साल में हमारा फोकस रहा है- बैंकिंग द अनबैंक, सिक्योरिंग द अनसिक्योर और फंडिंग द अनफंडेड फेसलेस अपील की व्यवस्था 25 सितंबर को दीनदयाल उपाध्याय जयंती से शुरू होगी

Doha: Prime Minister Narendra Modi addressing the Indian Community in Doha, Qatar on Sunday. PTI Photo by Kamal Kishore (PTI6_5_2016_000211B)
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को देश के ईमानदार करदाताओं के लिए नया प्लेटफॉर्म ‘पारदर्शी कराधान-ईमानदार का सम्मान’ लॉन्च किया। इसमें फेसलेस एसेसमेंट, अपील और टैक्सपेयर चार्टर जैसे बड़े रिफॉर्म्स शामिल हैं। फेसलेस एसेसमेंट और टैक्सपेयर चार्टर आज से ही लागू हो गए हैं। फेसलेस अपील 25 सितंबर यानी दीनदयाल उपाध्याय जन्मदिवस से देशभर में लागू हो जाएगी।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले बजट में टैक्सपेयर्स चार्टर लाने का ऐलान किया था। पिछले हफ्ते भी उन्होंने इस चार्टर को जल्द लागू करने के संकेत दिए थे। मंत्रालय ने बताया कि आयकर विभाग के कामकाज में ट्रांसपेरेंसी लाने के लिए सीबीडीटी ने कई कदम उठाए हैं।

मोदी के भाषण की अहम बातें

ईमानदार टैक्सपेयर की राष्ट्रनिर्माण में बड़ी भूमिका
इस महत्वपूर्ण तोहफे के लिए टैक्सपेयर्स को बहुत-बहुत बधाई देता हूं और इनकम टैक्स विभाग के अफसरों, कर्मचारियों को शुभकामनाएं देता हूं। बीते 6 साल में हमारा फोकस रहा है, बैंकिंग द अनबैंक, सिक्योरिंग द अनसिक्योर और फंडिंग द अनफंडेड। आज एक नई यात्रा शुरू हो रही है। ऑनरिंग द ऑनेस्ट, ईमानदार का सम्मान। देश का ईमानदार टैक्सपेयर राष्ट्रनिर्माण में बड़ी भूमिका निभाता है। वो आगे बढ़ता है तो देश भी आगे बढ़ता है।

पॉलिसी को पीपुल सेंट्रिक बनाने पर जोर
आज से शुरू हो रहीं नई सुविधाएं देशवासियों के जीवन से सरकार के दखल को कम करने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। आज हर नियम कानून को, हर पॉलिसी को प्रोसेस और पावर सेंट्रिक एप्रोच से निकालकर उसे पीपल सेंट्रिंक और पब्लिक फ्रेंडली बनाने पर जोर दिया जा रहा है। इसके सुखद परिणाम भी देश को मिल रहे हैं। आज हर किसी को ये अहसास हुआ है कि शॉर्ट कट ठीक नहीं है।

बदलाव के 4 कारण
सवाल ये है कि ये बदलाव कैसे आ रहा है। इसके मोटे-मोटे तौर पर कहूं तो 4 कारण हैं। पहला- पॉलिसी ड्रिवन गवर्नेंस। ऐसा होने से ग्रे एरिया मिनिमम हो जाता है। दूसरा- सामान्य जन की ईमानदारी पर विश्वास।
तीसरा- सरकारी सिस्टम में ह्यूमन इंटरफेस को कम कर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल। चौथा- सरकारी मशीनरी में एफिशिएंसी, इंटीग्रिटी, सेंसेविटी के गुण को रिवॉर्ड किया जा रहा है।

1500 से ज्यादा कानून खत्म
एक दौर था जब रिफॉर्म की बड़ी बातें होती हैं, दबाव में लिए गए फैसलों को भी रिफॉर्म कह दिया जाता है। अब ये सोच और अप्रोच बदल गई है। हमारे लिए रिफॉर्म का मतलब है कि ये नीति आधारित हो, टुकड़ों में नहीं हो और एक रिफॉर्म दूसरे रिफॉर्म का आधार बने। ऐसा भी नहीं है कि एक बार रिफॉर्म करके रुक गए। बीते कुछ सालों में 1500 से ज्यादा कानूनों को खत्म किया गया है। ईज ऑफ डूइंग में कुछ साल पहले 134 वें नंबर पर थे, अब 63वें नंबर पर हैं। इसके पीछे अनेकों रिफॉर्म्स हैं।

विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ा
भारत की प्रतिबद्धता को देखकर विदेशी निवेशकों का भरोसा लगातार बढ़ रहा है। कोरोना काल में भी भारत में रिकॉर्ड एफडीआई आना इसी का उदाहरण है। भारत के टैक्स सिस्टम में फंडामेंटल रिफॉर्म की जरूरत इसलिए थी, क्योंकि ये गुलामी के कालखंड में बना और धीरे धीरे इवॉल्व हुआ। आजादी के बाद छोटे-छोटे बदलाव हुए लेकिन, ढांचा वही रहा। परिणाम यही रहा कि टैक्सपेयर्स को कटघरे में खड़ा किया जाने लगा।

कुछ लोगों के कारण बहुतों को परेशानी हुई
कुछ मुट्ठीभर लोगों की पहचान के लिए बहुत से लोगों को अनावश्यक परेशानी से गुजरना पड़ा। कहां तो टैक्सपेयर की संख्या में बढ़ोतरी होनी चाहिए थी, लेकिन गठजोड़ की व्यवस्था ने ईमानदारी से व्यापार करने वालों को, युवा शक्ति की आकांक्षाओं को कुचलने का काम किया। जहां कॉम्प्सेबिलिटी होती है वहां, कम्प्लायंस भी बहुत कम होता है।

रिटर्न से लेकर रिफंड की व्यवस्था आसान
अब दर्जनों टैक्स की जगह जीएसटी आ गया है। रिटर्न से लेकर रिफंड तक की व्यवस्था को आसान किया गया है। पहले 10 लाख से ऊपर के विवादों में सरकार हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाती है। अब हाईकोर्ट में 1 करोड़ और सुप्रीम कोर्ट में 2 करोड़ रुपए तक के मामलों की सीमा तय की गई है। कम समय में ही करीब 3 लाख मामलों को सुलझाया जा चुका है। 5 लाख की आय पर अब टैक्स जीरो है। बाकी स्लैब पर भी काम हुआ है। कॉर्पोरेट टैक्स के मामले में दुनिया के सबसे कम टैक्स लेने वाले देशों में से एक हैं।

टैक्स रिटर्न भरने वाले बढ़े, पर 130 करोड़ की आबादी में काफी कम
2012-13 में जितने रिटर्न फाइल होते थे, उनमें से 0.94% की स्क्रूटिनी होती थी। 2018-19 में ये घटकर 0.26% पर आ गई यानी चार गुना कम हुई है। रिटर्न भरने वालों की संख्या में बीते सालों में करीब 2.5 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है। लेकिन इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि इसके बावजूद 130 करोड़ लोगों के देश में ये बहुत कम है। सिर्फ 1.5 करोड़ साथी ही इनकम टैक्स जमा करते हैं। आपसे आग्रह करूंगा कि इस पर हम सब को चिंतन करने की जरूरत है। ये आत्मनिर्भर भारत के लिए जरूरी है।

क्या है टैक्सपेयर्स चार्टर?
चार्टर्ड अकाउंटेंट कीर्ति जोशी के मुताबिक टैक्सपेयर्स चार्टर का मकसद करदाताओं और इनकम टैक्स विभाग के बीच विश्वास बढ़ाना, टैक्सपेयर्स की परेशानी कम करना और अफसरों की जवाबदेही तय करना होता है। इस समय दुनिया के सिर्फ तीन देशों- अमेरिका, कनाडा और आस्ट्रेलिया में ही यह लागू है। इन तीनों देशों के टैक्सपेयर्स चार्टर में 3 प्रमुख बातें शामिल हैं-

1. करदाता को ईमानदार मानना
जब तक यह साबित न हो जाए कि करदाता ने टैक्स चोरी या गड़बड़ी की है, तब तक उसे ईमानदार करदाता मानते हुए उन्हें सम्मान देना।
2. समय पर सेवा
करदाताओं की समस्याओं का जल्द समाधान करना। अगर किसी समस्या का तुरंत समाधान संभव न हो तो तय टाइम लाइन में सॉल्यूशन की व्यवस्था करना।
3. आदेश से पहले स्क्रूटनी
करदाताओं के खिलाफ आदेश जारी करने से पहले उन्हें स्क्रूटनी करने का मौका देना, जिससे गलत आदेश पारित न हो।

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