पीलीभीत में मरे खालिस्तानी आतंकियों के पीछे पाकिस्तान:ISI ट्रेनिंग दे रही, ₹3 हजार देकर ग्रेनेड हमले कराए; 7 राज्यों के 30 शहरों में नेटवर्क

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UP के पीलीभीत में बीते एक हफ्ते से बॉर्डर पर सख्त पहरा है। चप्पे-चप्पे पर नाकाबंदी-चेकिंग चल रही है। वजह है 25 साल से कम उम्र के 3 लड़के, जिनका 23 दिसंबर को UP और पंजाब पुलिस की टीम ने एनकाउंटर कर दिया। इन तीनों लड़कों पर पंजाब में गुरदासपुर की बख्शीवाल पुलिस चौकी पर ग्रेनेड फेंकने का आरोप था।

 

केस की जांच आगे बढ़ी, तो खालिस्तान का लिंक सामने आया। पता चला कि इसके पीछे पाकिस्तान और ISI का हाथ है। इनकी मदद से खालिस्तान देश के 7 राज्यों और 30 शहरों तक अपना नेटवर्क फैला चुका है।

पीलीभीत पुलिस अब आतंकियों की फोटो लोगों को दिखाकर उनके आने और ठहरने से जुड़ी जानकारी इकट्ठा कर रही है।
पीलीभीत पुलिस अब आतंकियों की फोटो लोगों को दिखाकर उनके आने और ठहरने से जुड़ी जानकारी इकट्ठा कर रही है।

ग्रेनेड हमले के बाद गुरदासपुर से पीलीभीत पहुंचे थे तीनों… 20 तारीख की देर शाम तीनों लड़के छिपकर 750 किलोमीटर दूर पीलीभीत के पूरनपुर पहुंचे। पंजाब पुलिस ने UP पुलिस को खबर दी कि तीनों लड़के अमृतसर के रास्ते UP भागे हैं और पीलीभीत में छिपे हैं। पंजाब पुलिस की एक टीम UP के लिए रवाना हो गई।

UP पुलिस की लोकल इंटेलिजेंस यूनिट एक्टिव हुई। पीलीभीत के बॉर्डर एरिया में निगरानी बढ़ाई गई। 23 दिसंबर की सुबह पीलीभीत पुलिस को तीनों लड़कों के पूरनपुर में होने की सूचना मिली। पंजाब-UP पुलिस ने जॉइंट ऑपरेशन शुरू कर नाकाबंदी की।

पुलिस के मुताबिक, तीनों लड़कों ने भागने की कोशिश की, लेकिन जवाबी फायरिंग में मारे गए। एनकाउंटर के बाद पुलिस ने खुलासा किया कि मारे गए आरोपी 18 साल का जशनप्रीत सिंह, 23 साल का वीरेंद्र सिंह और 25 साल का गुरविंदर सिंह हैं। तीनों गुरदासपुर के रहने वाले हैं और आतंकी संगठन खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स के लिए काम करते थे।

इससे सवाल उठा कि क्या खालिस्तान का समर्थन करने वाले संगठन पंजाब के बाद UP और उत्तर भारत में नेटवर्क फैला रहे हैं, उनके काम करने का तरीका क्या है, टेरर मॉड्यूल की फंडिंग कहां से आती है?

दैनिक भास्कर ने NIA के अफसरों और डिफेंस एक्सपर्ट्स से ये सवाल पूछे। पता चला कि बीते 2 साल में पुलिस चौकियों और थानों पर हमले की 20 से ज्यादा घटनाएं हुईं, जिनमें खालिस्तानी टेरर मॉड्यूल का नाम आया। इनकी साजिश कनाडा और अमेरिका में हुई, लेकिन भारत में ऑपरेट करने के लिए सबका रास्ता एक ही था। वो है पाकिस्तान।

 

UP और उत्तराखंड बने खालिस्तानियों के हाइडआउट बीते 4 साल में पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और UP में भारत विरोधी और खालिस्तान के समर्थन में कई बार आवाज उठी। इसमें सरकारी इमारतों, स्कूलों और गुरुद्वारों के बाहर पोस्टर, बैनर और भड़काऊ नारे लगाए गए। कई जुलूस भी निकाले गए, जिनमें आतंकी संगठन बब्बर खालसा और जरनैल सिंह भिंडरांवाले के पोस्टर लहराए गए।

जून, 2024 में पीलीभीत के पूरनपुर-खुटार हाईवे पर खालसा निवास गुरुद्वारे के बाहर भिंडरावाले के फोटो लगे पोस्टर चिपकाए गए। पुलिस ने गुरुद्वारे को नोटिस भेजा, लेकिन पोस्टर नहीं हटे। इसके बाद प्रशासन ने गुरुद्वारा प्रमुख इंद्रजीत कौर खालसा के खिलाफ केस दर्ज किया, तब काफी बवाल के बाद पोस्टर हटाए गए। इसके 6 महीने बाद पीलीभीत में खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स के आतंकियों की एक्टिविटी देखी गई।

हमने 1986 से 1988 के बीच पीलीभीत के SP रहे UP के पूर्व DGP बृजलाल से देश में बढ़ते खालिस्तानी नेटवर्क के बारे में बात की।

वे कहते हैं, ‘खालिस्तान मूवमेंट के दौरान UP के पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, शाहजहांपुर, बरेली और उत्तराखंड के नैनीताल, उधमसिंह नगर और किच्छा जैसे इलाकों में सिख कम्युनिटी की आबादी तेजी से बढ़ी। 1980 के दशक में यहां जंगल को काटकर बड़ी संख्या में फार्म हाउस बनाए गए। पंजाब से लोग यहां आकर रहने लगे।‘

‘खालिस्तानी आतंकी गुटों ने इसका फायदा उठाया। वे पंजाब, दिल्ली, हरियाणा में क्राइम करते और छिपने के लिए UP और उत्तराखंड भाग जाते थे। आज भी खालिस्तान ये जगहें हाइडआउट के तरह इस्तेमाल कर रहा है।‘

बृजलाल ने हमें 1987 की घटना के बारे में बताया, जब बतौर SP उन्होंने पंजाब जाकर खालिस्तानी आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन किया था। वे बताते हैं, ‘सितंबर का महीना था। खालिस्तानी आतंकियों ने पीलीभीत के पूरनपुर के उदासीन मठ में 2 संतों की हत्या कर दी। वो डेरे से साधुओं की जीप लेकर भाग रहे थे, तभी गश्त पर निकले दो सिपाहियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की। आतंकियों ने थ्री नॉट थ्री राइफल निकाली, उनकी भी हत्या कर दी।‘

पीलीभीत में एक ही दिन में 4 मर्डर खालिस्तान सपोर्टर ग्रुप की पहली घटना थी। इसी दौरान UP में पहली बार भिंडरावाले टाइगर फोर्स के पोस्टर जगह-जगह चिपकाए गए।

बृजलाल कहते हैं, ‘इसे मैंने चैलेंज के तौर पर लिया और 13 पुलिसवालों की टीम लेकर खालिस्तानी आतंकियों को दबोचने पंजाब चला गया।’

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हमारी टीम तरन तारन से 2 आतंकियों को पकड़कर UP लाई थी। ये खालिस्तान मूवमेंट के खिलाफ उस वक्त बड़ी कार्रवाई थी।

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खालिस्तान समर्थकों को हथियार और फंडिंग के पीछे पाकिस्तान बृजलाल भारत में खालिस्तानी नेटवर्क के बढ़ने के पीछे पाकिस्तान को जिम्मेदार बताते हैं। वे कहते हैं, ‘पीलीभीत में हुई घटना और पंजाब-हरियाणा में बढ़ते खालिस्तानी टेरर के पीछे पाकिस्तान का सबसे बड़ा हाथ है।‘

‘पीलीभीत में मारे गए तीनों लड़कों के पास से AK-47 और स्वीडन मेड G-lock पिस्टल मिली है। माना जा रहा है कि ये भी पाकिस्तान में बैठे उनके आकाओं ने भेजी होंगी। उनका लीडर रणजीत सिंह नीटा पाकिस्तान से ही ऑपरेट करता है।‘

‘अब तो पाकिस्तान के पास M4 कार्बाइन भी हैं, जो अमेरिका अफगानिस्तान में छोड़ गया था। पड़ोसी मुल्क में बैठे खालिस्तानी एलिमेंट हवाला के जरिए अपने गुर्गों को भारत में फंडिंग और हथियार भिजवा रहे हैं। ये नेशनल सिक्योरिटी के लिए बड़ा खतरा है।‘

‘बेरोजगारी और ड्रग्स की वजह से आतंकी बन रहे पंजाब के लड़के’ यूनाइटेड स्टेट इंडिया पॉलिटिकल एक्शन कमेटी के फाउंडर और फॉरेन एक्सपर्ट रॉबिन सचदेवा कहते हैं, ‘भारत में खालिस्तान समर्थकों की एक्टिविटी बढ़ना खतरनाक है। ये देश के अलग-अलग हिस्सों में फैल रहे हैं। इनका टारगेट ज्यादातर ऐसे युवा हैं, जो अपने धर्म और विचारधारा को लेकर सीरियस होते हैं। आतंकी इनका ब्रेनवॉश करते हैं।‘

रॉबिन आगे कहते हैं, ‘पंजाब इस वक्त कई चुनौतियों से गुजर रहा है। बेरोजगारी और ड्रग्स का बढ़ता इस्तेमाल बड़े मसले हैं। इनका फायदा उठाकर आतंकी संगठन बच्चों को आतंक की ओर मोड़ रहे हैं।‘

पंजाब और उत्तर भारत को दहलाने के लिए अमेरिका-कनाडा में बना प्लान पंजाब में एक महीने में 8 थानों, पुलिस चौकियों पर ग्रेनेड हमले और पीलीभीत एनकाउंटर की जांच NIA और पंजाब पुलिस मिलकर कर रही है। केंद्रीय जांच एजेंसियों को पता चला है कि खालिस्तानी संगठनों ने पंजाब को अस्थिर करने का प्लान पिछले साल अमेरिका और कनाडा में बनाया था।

सोर्स के मुताबिक, 18 जून 2023 को खालिस्तान टाइगर फोर्स के चीफ हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद खालिस्तान समर्थकों ने 3 बड़ी बैठकें कीं। इन मीटिंग्स का एजेंडा विदेशी फंडिंग का इस्तेमाल भारत विरोधी प्रदर्शन, पोस्टर-बैनर और ऑनलाइन प्रोपेगैंडा फैलाना था। जांच एजेंसियों को पता चला कि इन बैठकों में ISI ने फंड दिया था।

 

पहली बैठक 30 जून 2023, ब्रिटिश कोलंबिया (कनाडा) 18 जून 2023 को निज्जर की हत्या के बाद 30 जून को खालिस्तानी गुटों ने कनाडा में ‘ऑपरेशन 21’ बैठक की। मीटिंग में तय हुआ था कि 21-21 लोगों का एक ग्रुप बनाया जाएगा। इस ग्रुप को पंजाब के अलग-अलग हिस्सों में युवाओं को बरगलाने और उनको अपने साथ जोड़ने का टास्क दिया गया।

दूसरी बैठक सितंबर 2023, वॉशिंगटन DC (अमेरिका) अमेरिका में पिछले साल ‘मिशन सिख जॉइंट’ बैठक हुई। इसमें 14 देशों के खालिस्तानी समर्थक बुलाए गए। इस बैठक में जर्मनी, UK, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फ्रांस, यूरोप और हॉन्गकॉन्ग के 100 से ज्यादा खालिस्तान समर्थक शामिल हुए। इस मीटिंग में पंजाब सहित उत्तर भारत में नेटवर्क बढ़ाने का एजेंडा तय हुआ। इस बैठक में ISI ने फंड दिया था।

तीसरी बैठक 28 नवंबर 2023, सरे (कनाडा) नवंबर 2023 में कनाडा के सरे इलाके में एक गुरुद्वारे के बाहर खालिस्तान समर्थकों की बैठक हुई। मीटिंग में ISI ने पंजाब के अंदर माहौल बिगाड़ने के लिए हथियारों का लॉट भेजने का रोडमैप तैयार किया। बैठक में कनाडा के खालिस्तानी आतंकी गुटों ने हथियारों को पाकिस्तान से रास्ते पंजाब बॉर्डर तक भिजवाने की मांग रखी।

29 दिसंबर को पंजाब पुलिस ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी मॉड्यूल का पर्दाफाश किया है, जिसे बब्बर खालसा इंटरनेशनल और ISI कंट्रोल कर रहे थे। बटाला पुलिस ने इनवेस्टिगेशन में 2 हाई-प्रोफाइल ग्रेनेड हमलों के केस सुलझाते हुए इसके पीछे ISI-BKI टेरर मॉड्यूल का हाथ बताया है।

पंजाब के DGP गौरव यादव कहते हैं, ‘पीलीभीत एनकाउंटर के बाद ISI और पंजाब में एक्टिव खालिस्तानी आतंकी संगठनों के नेटवर्क को खंगाला जा रहा है। इसमें सेंट्रल एजेंसियों की भी मदद ली जा रही है।‘

 

ये नक्शा अक्टूबर 2021 में खालिस्तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस ने जारी किया था। इसमें भारत के कई राज्य और उसके हिस्से खालिस्तान के नक्शे में दिखाए गए हैं।
ये नक्शा अक्टूबर 2021 में खालिस्तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस ने जारी किया था। इसमें भारत के कई राज्य और उसके हिस्से खालिस्तान के नक्शे में दिखाए गए हैं।

 

गोल्डन क्रिसेंट के जरिए नार्को टेरर फैला रहे आतंकी UP के पूर्व DGP बृजलाल कहते हैं, ‘इस वक्त भारत की पश्चिमी सीमा पर गोल्डन क्रिसेंट और पूर्वी सीमा पर गोल्डन ट्रायंगल ड्रग्स की सप्लाई के सबसे बड़े पॉइंट हैं। यहीं से ड्रोन की मदद से अफीम और ड्रग्स भारत पहुंचाए जाते हैं। बीते 5 साल में सबसे ज्यादा नार्को टेररिज्म की घटनाएं गोल्डन क्रिसेंट की ओर से देखने को मिली। इसमें पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान जैसे देश शामिल थे।

खालिस्तानी मूवमेंट से जुड़े गुट भी नार्को टेररिज्म बढ़ा रहे हैं। इसमें लगभग सभी बड़े गैंगस्टर हथियार और ड्रग्स की तस्करी में शामिल हैं।‘

भारतीय खुफिया एजेंसियों ने ऐसे खालिस्तानी गुटों की लिस्ट बनाई है, जो भारत में नशे की तस्करी से फंडिंग जुटा रहे हैं। सेंट्रल जांच एजेंसी के एक अधिकारी ने बताया, ‘2022 से लेकर जून 2024 तक पंजाब बॉर्डर पर पाकिस्तान से 200 से ज्यादा बार ड्रोन एक्टिविटी ट्रेस की गई है। इसमें 50 से ज्यादा ड्रोन मार गिराए गए।‘

‘पंजाब में ड्रोन के गिराए ड्रग्स से होने वाली कमाई का बड़ा हिस्सा कनाडा में मौजूद खालिस्तानी आतंकियों तक पहुंच रहा है। इस पैसे से खालिस्तानी आतंकी टेरर और नशे के व्यापार को बढ़ा रहे हैं।‘

ड्रग्स तस्करी में शामिल खालिस्तानी संगठन… जुलाई 2023 में NIA ने प्रतिबंधित आतंकी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल और खालिस्तान टाइगर फोर्स से जुड़े 9 आतंकियों के खिलाफ स्पेशल कोर्ट में चार्जशीट दायर की है। NIA ने कहा कि इन आतंकियों के पाकिस्तान में ड्रग तस्करों के साथ करीबी संपर्क हैं।

बब्बर खालसा इंटरनेशनल के हरविंदर सिंह संधू उर्फ रिंदा, लखबीर सिंह संधू उर्फ लांडा, खालिस्तान टाइगर फोर्स के अर्शदीप सिंह उर्फ अर्श डल्ला के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है। ये तीनों विदेश में हैं।

 

पीलीभीत SP बोले- मारे गए तीनों लड़कों का पाकिस्तान कनेक्शन सामने आया पीलीभीत के SP अविनाश पांडे 23 दिसंबर को आतंकियों का एकाउंटर करने वाली टीम को लीड कर रहे थे। अविनाश पांडे ने बताया, ‘पूरनपुर में जो 3 आतंकी खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स टेरर मॉड्यूल के लिए काम करते थे। ये एक पाकिस्तान बेस्ड टेररिस्ट ग्रुप है, जिसका चीफ रंजीत सिंह नीटा है।‘

‘खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स कई ISI जैसी विदेशी खुफिया एजेंसियों की मदद से खालिस्तान टेरर मॉड्यूल का नेटवर्क बढ़ाने में जुटा है। पीलीभीत में एनकाउंटर के बाद शुरूआती जांच में पता चला है कि खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स ही इन लड़कों को गुमराह कर सिर्फ 2 से 3 हजार रुपए देकर आतंकी घटनाएं करा रहा था।‘

 

‘पीलीभीत में खालिस्तान टेरर मॉड्यूल के पीछे NIA के मोस्ट वांटेड कुलबीर सिंह सिद्धू का नाम सामने आया, जो हरियाणा का रहने वाला है। कुलबीर 2020-21 में पीलीभीत आकर करीब 8 महीने तक रहा। उसने वीजा दिलाने, विदेश भेजने का लालच देकर यहां के लड़कों से दोस्ती की और UP में अपना नेटवर्क फैलाया।‘

‘पूरनपुर में मारे गए तीनों लड़कों की मदद करने वाले जसपाल ने गिरफ्तारी के बाद कबूला है कि आतंकियों को पीलीभीत में ठहराने के लिए सिद्धू ने ही उसे फोन किया था।‘

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