निर्भया केस / तिहाड़ जेल प्रशासन ने दोषियों को फांसी देने की तैयारी शुरू की, जल्लाद को 3 दिन पहले बुलाया
काेर्ट ने चाराें गुनहगाराें को 20 मार्च की सुबह 5:30 बजे फांसी देने का वॉरंट जारी किया था दोषियों के परिजन ने राष्ट्रपति काे चिट्ठी भेजकर अपने लिए इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी कानूनी विकल्पाें के बचे हाेने के कारण फांसी की तारीख इससे पहले तीन बार टाली जा चुकी थी
नई दिल्ली. तिहाड़ जेल प्रशासन ने निर्भया के गुनहगाराें काे फांसी देने की तैयारी शुरू कर दी है। जेल अधिकारियाें ने उत्तर प्रदेश के मेरठ निवासी पवन जल्लाद काे फांसी देने के दिन से तीन दिन पहले 17 मार्च को तिहाड़ जेल आकर रिपाेर्ट करने काे कहा है। उनके आने के बाद अधिकारी एक बार फिर डमी फांसी देकर टेस्टिंग करेंगे। इस महीने की शुरुआत में दिल्ली की काेर्ट ने चाराें गुनहगाराें मुकेश (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय सिंह (31) काे 20 मार्च की सुबह 5:30 बजे फांसी देने का वॉरंट जारी किया था।
दोषियों ने की परिजनों से मुलाकात
कानूनी विकल्पाें के बचे हाेने के कारण फांसी की तारीख इससे पहले तीन बार टाली जा चुकी थी। मुकेश, पवन और विनय अपने-अपने परिवारों से मुलाकात कर चुके हैं। जेल अफसरों ने अक्षय के परिवार को फांसी से पहले अंतिम मुलाकात की तारीख के बारे में लिखा है।
दोषियों के 13 परिजनाें ने मांगी इच्छामृत्यु
गुनहगाराें के बुजुर्ग माता-पिता, भाई-बहन व बच्चाें सहित 13 परिजनों ने रविवार काे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद काे चिट्ठी भेजकर अपने लिए इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी है। चिट्ठी में कहा गया है कि हमारे अनुरोध को स्वीकार करें और भविष्य में होने वाले किसी भी अपराध को रोकें, ताकि निर्भया जैसी दूसरी घटना न हो और अदालत को ऐसा न करना पड़े कि एक के स्थान पर पांच लोगों को फांसी देनी पड़े।’’ उन्हाेंने चिट्ठी में लिखा है कि ऐसा काेई पापी नहीं हैं, जिन्हें माफ नहीं किया जा सकता है।
16 दिसंबर 2012: 6 दोषियों ने निर्भया से दरिंदगी की थी
दिल्ली में पैरामेडिकल छात्रा से 16 दिसंबर, 2012 की रात 6 लोगों ने चलती बस में दरिंदगी की थी। गंभीर जख्मों के कारण 26 दिसंबर को सिंगापुर में इलाज के दौरान निर्भया की मौत हो गई थी। घटना के 9 महीने बाद यानी सितंबर 2013 में निचली अदालत ने 5 दोषियों… राम सिंह, पवन, अक्षय, विनय और मुकेश को फांसी की सजा सुनाई थी। मार्च 2014 में हाईकोर्ट और मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा बरकरार रखी थी। ट्रायल के दौरान मुख्य दोषी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। एक अन्य दोषी नाबालिग होने की वजह से 3 साल में सुधार गृह से छूट चुका है।