नई दिल्ली, आइएएनएस। सूचना के अधिकार (आरटीआइ) अधिनियम में 2019 (2019 RTI Amendment Act) में किए गए संशोधन को चुनौती देने वाली वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश की याचिका पर केंद्र सरकार द्वारा एक साल से अधिक समय तक कोई जवाब नहीं दाखिल करने पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को असंतोष जाहिर किया। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कहा कि इस मामले में पिछले साल जनवरी में नोटिस जारी किया गया था।
केंद्र की ओर से पेश अधिवक्ता कानू अग्रवाल ने जवाब दाखिल करने के लिए अदालत (Supreme Court) से समय देने की मांग की। पिछले साल जारी नोटिस का हवाला देते हुए पीठ ने सवाल किया कि एक साल से भी ज्यादा समय में जवाबी हलफनामा दाखिल क्यों नहीं किया गया। यह बेहद महत्वपूर्ण मामला है। मामले की संक्षिप्त सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत (Supreme Court) ने केंद्र को जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते का समय प्रदान कर दिया और मामले के अंतिम निपटारे के लिए सुनवाई दो हफ्ते बाद के लिए स्थगित कर दी।
रमेश ने दावा किया था कि सूचना आयुक्तों की स्वतंत्रता के ढांचे में बदलाव करके आरटीआइ एक्ट में किया गया संशोधन मूल कानून के उद्देश्य का उल्लंघन करता है साथ ही संविधान के तहत सूचना के मौलिक अधिकार का हनन करता है। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि सूचना के अधिकार (आरटीआइ) अधिनियम में संशोधनों (2019 RTI Amendment Act) के जरिए सूचना आयोग के अधिकारों में कमी की गई है।