Coronavirus: चीन के बाहर ईरान में क्यों हो रही हैं कोरोना वायरस से इतनी मौतें?

Iran Coronavirus: ईरान के कोम शहर में एक चीनी कंपनी सोलर प्लांट लगा रही है. यहां बड़ी संख्या में चीनी इंजीनियर और मजदूर काम कर रहे हैं. यहां काम करने वाले चीनी कर्मचारी लगातार चीन आ जा रहे थे. अंदेशा लगाया जा रहा है कि उन्हीं के जरिए ये वायरस चीन में आया

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  • ईरान में कोरानावायरस बना काल
  • 28 मरीजों में 6 लोगों की मौत
  • कोम शहर में बढ़ी पीड़ितों की संख्या

चीन में फैले कोरोना वायरस (Coronavirus) का कहर ईरान में देखने को मिल रहा है. ईरान में इस बीमारी से कुछ ही दिनों में 6 लोगों की मौत हो चुकी है. शनिवार को अर्क शहर में एक शख्स की कोराना वायरस से मौत हुई.

28 पीड़ित,  6 की मौत

ईरान के लिए संकट की बात ये है कि यहां पर अब तक मात्र 28 लोग कोरोना वायरस पॉजिटव पाए गए हैं, पीड़ितों की इतनी छोटी संख्या के बावजूद 6 लोगों की मौत हो चुकी है. इस बीमारी से पीड़ित लोगों का ईरान के चार शहरों में इलाज किया जा रहा है. इसमें राजधानी तेहरान भी शामिल है. इसके अलावा कोम, अर्क और रश्त में भी मरीजों का इलाज चल रहा है.

तेहरान में मास्क और सैनिटाइजर की किल्लत

कोरोना वायरस से मौत की खबरें आते ही राजधानी तेहरान में मास्क और हैंड सैनिटाइजर की मांग बढ़ गई है. हालात की वजह से कई दुकानों में मास्क और हैंड सैनिटाइजर की किल्लत हो गई है.

चीन का वायरस, ईरान कैसे आया चपेट में?

चीन और ईरान की सीमा दूर-दूर तक कहीं नहीं मिलती है. दोनों देशों के बीच लगभग 4600 किलोमीटर की दूरी है, फिर भी ये वायरस ईरान में तेजी से फैल रहा है.

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, ईरान के कोम शहर में एक चीनी कंपनी सोलर प्लांट लगा रही है. यहां बड़ी संख्या में चीनी इंजीनियर और मजदूर काम कर रहे हैं. यहां काम करने वाले चीनी कर्मचारी लगातार चीन आ जा रहे थे. अंदेशा लगाया जा रहा है कि उन्हीं के जरिये ये वायरस चीन में आया.

ईरान के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मीनू मोहराज ने बताया कि, “वायरस कोम शहर में काम कर रहे मजदूरों के जरिए आया, जो लगातार चीन की यात्रा कर रहे थे.”

बता दें कि ईरान के 10 नये कोराना मरीजों में 8 कोम शहर के हैं.  कोम शहर दुनिया भर के शिया मुसलमानों की आस्था का केंद्र है. यहां पर बड़ी संख्या में ईरान के अलावा इराक और पाकिस्तान के मुस्लिम जियारत करने आते हैं. बीमारी के खौफ से अब यहां पर लोगों का आना कम हो गया है.

कोरोना वायरस से जुड़े 10 अहम सवालों के जवाब, जिन्हें हर कोई जानना चाहता है

कोरोना वायरस को लेकर जहां दुनिया भर में खौफ है. वहीं इसे लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां भी फैल रही हैं. सोशल मीडिया पर कई तरह के वीडियो भी कोरोना वायरस पर भ्रम बढ़ाने का काम कर रहे हैं. आम आदमी कोरोना वायरस को लेकर जुड़ी बातों को आसान शब्दों में जानना चाहता है. इसी मकसद से आजतक/इंडिया टुडे ने जसलोक अस्पताल के संक्रामक रोग विभाग के निदेशक डॉ. ओम श्रीवास्तव के साथ खास बातचीत की. कोरोना वायरस को लेकर सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले दस सवालों को हमने डॉ श्रीवास्तव के सामने उठाया.

सवाल 1- क्या कोरोना वायरस का मतलब मौत है?

डॉ श्रीवास्तव– ये आंशिक तौर पर सच है. हां, अभी तक इसका कोई इलाज सामने नहीं आया है लेकिन जिसका वायरस के लिए पॉजिटिव टेस्ट आया है, उसकी मौत ही होगी, ये कहना भी सही नहीं है. अभी तक के आंकड़े बताते हैं मृत्यु दर 1.5 से 2% है. इसका ट्रीटमेंट कोई निश्चित नहीं है. वो बस सपोर्टिव है. अभी तक इसके लिए कोई विशिष्ट एंटीडोट, एंटीवायरल या वैक्सीन नहीं बना है. लेकिन जिन्हें सही वक्त पर सपोर्टिव केयर मिल जाता है. उनकी रिकवरी भी देखी गई है.

सवाल 2 :  इस घातक वायरस को गढ़ा गया और दहशत के मकसद से फैलाया गया? 

डॉ श्रीवास्तव- ये सब अटकलें हैं और ऐसे दावों के समर्थन में कोई सबूत नहीं है. जब तक कुछ साबित नहीं हो जाता लोगों को ऐसी अफवाहों पर ध्यान नहीं देना चाहिए. ऐसी बातें सिर्फ भ्रम और बेचैनी बढ़ाती हैं. लोगों को तथ्यों और वास्तविकता के साथ रहना चाहिए.

सवाल 3-  क्या ये वायरस चीन तक ही सीमित है?

डॉ श्रीवास्तव- अभी तक चीन के अलावा 28-29 और देशों में भी ये वायरस पाया गया है. ये फैल सकता है लेकिन वैसे नहीं जैसे चीन में फैला. इसकी वजह ये है कि चीन सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)  ने जिस तरह के प्रतिरोधात्मक कदम उठाए, उनसे वायरस के फैलने को बहुत सीमित कर दिया गया है.

सवाल 4- क्या भारत में लोगों को मास्क पहनने चाहिए?

डॉ श्रीवास्तव- साक्ष्य बताते हैं कि मास्क पहनने से अतिरिक्त कोई लाभ नहीं होता. अगर आप मरीज के साथ हैं, या किसी मरीज को ट्रांसफर कर रहे हैं या ऐसे व्यक्ति की देखभाल कर रहे हैं जिसमें लक्षण दिख रहे हैं तो आपको अवश्य मास्क पहनने चाहिए. सार्वजनिक स्थान पर मास्क पहन कर घूमने से आपको कोई अतिरिक्त लाभ नहीं होगा. एयरपोर्ट जैसी जगह पर जहां दूसरे देशों से बहुत सारे यात्री आ रहे हैं, वहां ये पता लगाना मुश्किल होता है कि किसे इंफेक्शन है. ऐसे में अगर आप एयरपोर्ट पर खुद को भीड़ से दूर रखने की स्थिति में नहीं है तो मास्क पहनने का औचित्य है.

सवाल 5-  क्या इस वायरस का उस बीयर से कोई जुड़ाव है, जिसका ब्रैंड नेम इससे मिलता है? और क्या मांसाहारी खाना खाने से कोई दिक्कत पेश आती है?

डॉ श्रीवास्तव- इसमें आपस में कोई जुड़ाव नहीं है. सिर्फ नाम ही मेल खाता है. मांसाहारी खाना छोड़ने की भी कोई जरूरत नहीं है. अपने खान-पान को ऐसी अफवाहों को लेकर मत बदलिए. अभी तक इस तरह का कोई सबूत सामने नहीं आया है जो इसकी पुष्टि करता हो. जब तक आप ताजा और अच्छी तरह पका हुआ खाना खाते हैं, फिक्र करने की आवश्यकता नहीं है. लेकिन कई तरह के मीट उपलब्ध होते हैं. जो सही तरह से पका ना हो या जिसके बारे में आप सुनिश्चित नहीं हो कि उसका सोर्स क्या है तो बेहतर यही है कि उससे दूर ही रहा जाए.

सवाल 6- अगर चीन से कोई पैकेट/पार्सल आया है तो क्या वो खतरनाक हो सकता है?

डॉ श्रीवास्तव- ऐसा होने के आसार बहुत कम है लेकिन इसे पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता. ये वायरस नया है इसलिए नोवेल कहा जा रहा है. हम इस वायरस के बारे में ज्यादा नहीं जानते. जो कुछ भी सीखा गया है वो पिछले दो महीने में हुआ है. इसलिए हर दिन नई जानकारियां सामने आ रही हैं. ये सिर्फ एक अनुमान ही है कि वायरस किसी उत्पाद पर एक निश्चित समय तक बना रहता है.

कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक ये 4 दिन तक बना रहता है. लेकिन हम डॉक्टर हर दिन नई खबर देखते हैं. सावधानी बरतने में ही सुरक्षा है. अगर आपको किसी उत्पाद पर शक है तो उसकी सतह को अच्छी तरह साफ करने से वायरस को दूर किया जा सकता है. हाथ साफ करने के लिए कई तरह के अल्कोहल आधारित वॉश आते हैं. ऐसे क्लीनिंग उत्पाद अस्पतालों में भी होते हैं. लेकिन बेहतर यही होगा कि संदेह होने पर खुद कुछ करने की जगह स्वास्थ्य विशेषज्ञ को इस प्रक्रिया में शामिल किया जाए.

सवाल 7- क्या पालतू कुत्ता भी कोरोना वायरस का संवाहक (कैरियर) हो सकता है?

डॉ श्रीवास्तव: इस तरह के दावे की पुष्टि करने वाला कोई सबूत नहीं है. अपने पालतू जानवरों से प्रेम करना जारी रखिए.

सवाल 8-  आम आदमी को क्या बुनियादी सावधानियां बरतनी चाहिए?

डॉ श्रीवास्तव- सबसे अहम है एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को संक्रमण रोका जाए. इसका मतलब है कि जितनी ज्यादा बार आप अपने हाथ धोएंगे, उतना ही इस चक्र (साइकल) को तोड़ने में मदद मिलेगी. अल्कोहल आधारित हैंड-रब को हमेशा तैयार रखना चाहिए और इस्तेमाल करना चाहिए.

सवाल 9- खांसी और छींक से भी संक्रमण एक अन्य मुद्दा है?

डॉ श्रीवास्तव- इसके लिए बेहतर हाइजिन (साफ-सफाई) का ध्यान रखना जरूरी है.

सवाल 10 – अधिकतर यात्राएं करने वाले या घूमने के शौकीन जानना चाहते हैं कि वो जापान, हॉन्ग कॉन्ग, दक्षिण कोरिया या थाईलैंड जाने से कितने लंबे वक्त तक बचें?

डॉ श्रीवास्तव- प्रभावित जगहों पर कड़ी निगरानी वाली सुविधाएं हैं. लेकिन जिन देशों को क्लीयरेंस मिल जाती है वहां कोई फिक्र वाली बात नहीं है. ऐसे में बंदिशों की जरूरत नहीं है. सतर्क रहने की आवश्यकता है. अगर ऐसे कोई संदेह हैं तो जानकारी के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की कई वेबसाइट उपलब्ध हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की वेबसाइट भी है. उन्हें देखने के बाद ही आप कोई फैसला ले सकते हैं.

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