Coronavirus India: कंट्रोल से बाहर हुआ कोरोना, 2 लाख नए मामले, अस्पतालों के बाहर लंबी कतार
Coronavirus in Indiaदेश में लगातार कोरोना वायरस से हालात बेहर खतरनाक होते जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश दिल्ली कर्नाटक मध्य प्रदेश गुजरात हरयाणा पश्चिम बंगाल और बिहार में अबतक के सबसे अधिक नए मामले सामने आ रहे हैं।
नई दिल्ली, एजेंसियां। कोरोना महामारी की दूसरी लहर बेहद खतरनाक होती जा रही है। इसमें संक्रमण के मामले तो बढ़ ही रहे हैं, साथ ही मौतों का ग्राफ भी तेजी से ऊपर उठ रहा है। देश में कोरोना वायरस संक्रमण के एक दिन में अब तक के सर्वाधिक दो लाख नए मामले सामने आए हैं। ये मामले 10 दिन में लगभग दोगुना हो गए है। अमेरिका में एक लाख से दो लाख मामले पहुंचने में 21 दिन लगे थे। महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और केरल समेत 16 राज्यों में संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। इनमें से भी अकेले महाराष्ट्र में ही सबसे अधिक एक्टिव केस हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से सुबह आठ बजे जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटे में 2 लाख से अधिक नए मामले सामने आए हैं। इस दौरान 1,038 लोगों की मौत हुई है और मृतकों की संख्या 1,73,123 हो गई है। पिछले साल 18 अक्टूबर के बाद पहली बार एक दिन में एक हजार से अधिक लोगों की मौत हुई थी। हालांकि, मृत्युदर में लगातार गिरावट आ रही है और मौजूदा समय में यह 1.24 फीसद पर आ गई है। देश में कुल संक्रमितों का आंकड़ा एक करोड़ 40 लाख 74 हजार को पार कर गया है। इनमें से एक करोड़ 24 लाख 29 हजार से ज्यादा मरीज पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं। मरीजों के उबरने की दर 88.92 फीसद पर आ गई है।
10 राज्यों में 82 फीसद से ज्यादा नए मामले
मंत्रालय के मुताबिक 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हालात ज्यादा गंभीर हैं। पिछले एक दिन में सामने आए नए मामलों में से 82.04 फीसद इन्हीं राज्यों से हैं। इनमें महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और केरल शामिल हैं। वैसे इन राज्यों समेत कुल 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं।
13 लाख से अधिक टेस्ट
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के मुताबिक देश भर में कोरोना संक्रमण का पता लगाने के लिए बुधवार को 13 लाख 84 हजार 549 नमूनों की जांच की गई। इनको मिलाकर अबतक कुल 26 करोड़ 20 लाख 3 हजार से अधिक नमूनों का परीक्षण किया जा चुका है।
Coronavirus: कोरोना से बढ़ीं मौतें, दिल्ली से लेकर लखनऊ और सूरत के श्मशानों में वेटिंग; कब्रिस्तानों में भारी भीड़
पूरे देश में कोरोना की रफ्तार बेकाबू हो चुकी है। पिछले 24 घंटे में भारत में कोरोना के करीब 2 लाख नए मामले सामने आए हैं, जबकि लगातार दूसरे दिन एक हजार से अधिक मौतें हुई हैं। कोरोना के पॉजिटिव मामले बढ़ने के मुकाबले कोविड-19 मरीजों के ठीक होने की दर में गिरावट आई है। मृत्यु दर में भी नए रिकॉर्ड बन रहे हैं। लोगों के अंतिम संस्कार के लिए काफी इंतजार करना पड़ रहा है।
दिल्ली में अंतिम संस्कार के लिए कई घंटों का इंतजार
पिछले चार दिनों में राजधानी दिल्ली में अकेले 240 मौतें हुईं हैं, जिससे श्मशान और कब्रिस्तान दोनों जगहों पर अंतिम संस्कार के लिए भीड़ लगी हुई है। दिल्ली के आईटीओ पर सबसे बड़े कोविड कब्रिस्तान में शवों को दफनाने के लिए जमीन कम पड़ने लगी है, वहीं, श्मशान घाटों पर चिताएं बुझने का नाम नहीं ले रही हैं। निगमबोध घाट का आलम ये है कि शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए लोगों को कई घटों तक इंतजार करना पड़ रहा है। यहां एक साथ चार चिताएं जल रही हैं, और पांचवी जलने के लिए इंतजार में हैं। निगमबोध घाट के पार्किंग में कई एंबुलेंस खड़ी थी, जिसमें कोरोना से मरे लोगों के शव इंतजार में थे।
दिल्ली शहर के मुख्य श्मशान निगमबोध घाट का संचालन करने वाले बड़ी पंचायत वैश्य बीसे अग्रवाल संगठन के महासचिव सुमन गुप्ता ने कहा कि कोरोना के कारण शवों की संख्या बढ़ गयी है। उन्होंने कहा कि आम तौर पर यहां रोज करीब 50-60 शव की अंत्येष्टि होती है, अब यह संख्या बढ़कर 80 हो गयी है। निगमबोध घाट में अंत्येष्टि के लिए 22 स्थान हैं जहां पर चिता जलायी जाती है और वायरस की चपेट में आकर जान गंवाने वाले लोगों के दाह-संस्कार के लिए सीएनजी चालित छह भट्ठियों का इस्तेमाल हो रहा है.
कम पड़ी कब्रिस्तान में जगह
कुछ ऐसा ही हाल कुछ दिल्ली के आईटीओ में बने सबसे बड़े कोविड कब्रिस्तान का है, जहां जेसीबी से एक के बाद एक कब्रें खोदी जा रही हैं। कब्रिस्तान के रख-रखाव के जिम्मेदार बताते हैं कि हालात पिछले बार से बहुत बुरे हैं। अब कब्रिस्तान में सिर्फ 90 कब्रों की जगह है। अगर इसी रफ्तार से शव आते रहें तो 10 दिन से कम वक्त में ये कब्रिस्तान भर जाएगा। राजधानी के निगमों ने स्वास्थ्य विभाग को कहा है कि श्मशान घाटों और कब्रिस्तानों पर कोरोना से होने वाली दुखद मौतों के अंतिम संस्कार की निगरानी की जाए। स्वास्थ्य विभाग यह सुनिश्चित करें कि किसी को कब्रिस्तानों और श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार के लिए इंतजार न करना पड़े। या फिर अन्य तरह की कोई भी परेशानी न उठानी पड़े।
उत्तरी दिल्ली के मेयर जय प्रकाश ने कहा कि उन्होंने सीएम अरविंद केजरीवाल को एक चिट्ठी लिखकर दफनाने के लिए जमीन की व्यवस्था करने में मदद मांगी है। निगम के एक अधिकारी ने बताया कि कोविड-19 के शिकार हुए लोगों को दफनाने के लिए गहरी कब्र खोदनी पड़ती है और लोगों से खुदाई कराने पर लंबा समय लग जाएगा इसलिए जमीन खोदने वाली मशीनों की जरूरत है।
भोपाल में भी बढ़ा कोरेाना से मौत का आंकड़ा
कोरोना की दूसरी के कहर के बीच मौतों का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। भोपाल स्थित विश्रामघाटों एवं कब्रिस्तानों में अंतिम संस्कार करने के लिए जगह की कमी सहित कई मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले कुछ दिनों से यहां विश्रामघाटों एवं कब्रिस्तानों में अंतिम संस्कार करने के लिए लाये जाने वाले शवों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है।
भदभदा विश्राम घाट का करना पड़ा विस्तार
भदभदा विश्राम घाट प्रबंधन समिति के सचिव मम्तेश शर्मा ने बताया कि पिछले चार दिनों में हमने भदभदा विश्राम घाट में करीब 200 शवों का अंतिम संस्कार किया। इनमें से कई लोगों का अंतिम संस्कार कोविड-19 के प्रोटोकॉल के मुताबिक किया गया। अब हमने पास में ही दो एकड़ जमीन पर अंतिम संस्कार कर रहे हैं। भदभदा विश्राम घाट प्रदेश की राजधानी भोपाल में हिन्दुओं के बड़े श्मशान घाटों में से एक है।
शर्मा ने कहा, ‘स्थिति इतनी खराब हो गई है कि कम से कम 58 शवों का दाह संस्कार मंगलवार को किया गया, जिनमें से 57 शवों का कोविड-19 के प्रोटोकॉल के मुताबिक किया गया, जबकि बुधवार शाम तक 50 से अधिक शवों का अंतिम संस्कार किया गया है। उन्होंने कहा कि हमने विश्राम घाट से लगे खुले जगह पर 30 अतिरिक्त चितास्थल बनाकर उन पर अंतिम संस्कार करना शुरू कर दिया है। अगले दो-तीन दिनों में इस श्मशान घाट से लगे अन्य जमीन पर 20 और चितास्थल बनाएंगे।
लखनऊ में कोरोना के साथ-साथ सामान्य मौतें बढ़ीं
लखनऊ के भैसाकुंड श्मशान घाट पर पिछले सात दिनों से काफी संख्या में सामान्य शवों के पहुंचने से महापात्र भी आश्चर्यचकित हैं? कोविड संक्रमित शवों की तरह ही अब नॉन कोविड शवों की संख्या कम नहीं हो रही है। महापात्र राजेंद्र मिश्र का कहना है कि अभी तक सामान्य दिनों में 15 से बीस शव ही आते थे। पिछले सात दिनों में चालीस से लेकर 55 तक नॉन कोविड शव आ रहे हैं। महापात्र का यह सवाल ही इस हकीकत पर भी मुहर लगा रहा है कि कोरोना संक्रमण की जांच न होने और इलाज मिलने के अभाव में भी लोग घरों में दम तोड़ रहे हैं। घर वाले भी नॉन कोविड शव बताकर उनका दाह संस्कार सामान्य श्मशानघाट पर कर रहे हैं।
लखनऊ के गुल्लालाघाट पर भी सामान्य दिनों में सात से आठ शव ही पहु़ंचते थे, लेकिन पिछले सात दिनों में नॉन कोविड शवों की संख्या में कई गुना वृद्धि हुई है। पिछले बुधवार को ही नॉन कोविड शव 61 हो गए थे। महापात्र विनोद पांडेय का कहना है कि पहली बार इतने शव आ रहे हैं। वैसे गुल्लालाघाट पर सामान्य दिनों में सात से आठ शव ही आते थे और कभी-कभी यह संख्या दस के करीब हो जाती थी लेकिन हर दिन चालीस से पैतालिस शव आ रहे हैं और बुधवार को 61 नॉन कोविड शव आ गए।
छत्तीसगढ़ में शवों को जलाने के लिए जगह कम पड़ी
छत्तीस में मृतकों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि श्मशान घाटों में अंतिम संस्कार तक के लिए परिजनों को काफी इंतजार करना पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ के अंबेडकर अस्पताल में शव रखने की भी जगह नहीं बची है। यहां अंतिम संस्कार के लिए शवों को काफी इंतजार करना पड़ रहा है। दुर्ग जिला हो या बिलासपुर, शवों के अंतिम संस्कार के लिए मुक्तिधामों में जगह तक नहीं मिल पा रही। शवों को जलाने के लिए जगह कम पड़ रही हैं। वहीं राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इस बारे में जिला प्रशासन से बात की गई है। शवों को रखने की अधिक व्यवस्था किए जाने का उन्होंने भरोसा जताया है।
अहमदाबाद के श्मशान घाट में वेटिंग, सूरत में कब्रों की एडवांस खुदाई
गुजरात के अहमदाबाद और सूरत शहर में कोरोना फिर कहर बनकर टूटा है। संक्रमण के केसों ने अब तक के सभी रिकार्ड तोड़ दिए हैं। आलम यह है कि श्मशानों में जहां 10 से 12 घंटे की वेटिंग है, वहीं कब्रिस्तान में जेसीबी से खुदाई कराकर एडवांस में कब्रें तैयार की जा रही हैं। अहमदाबाद के सीएनजी संचालित शवदाह गृह में 10-12 घंटे की वेटिंग चल रही है। व्यापार मंडल ने श्मशान घर में लोगों से शवदाह के लिए लकड़ियां दान करने की भी अपील की है।
सूरत में कब्रों की एडवांस खुदाई
सूरत के रामपरा कब्रिस्तान के प्रबंधक मोहम्मद आसिफ बताते हैं कि पहले दो-तीन शव आते थे, लेकिन अब 10-12 रोज आते हैं। एक कब्र खोदने में छह-सात घंटे लगते हैं। मजदूरों की कमी के कारण अब जेसीबी से एडवांस में कब्रें खुदवा कर रख रहे हैं।
कोरोना की भयावह स्थिति पर काबू पाने के लिए प्रमुख डॉक्टरों की सलाह- जल्द से जल्द लगे लॉकडाउन !
देश में कोरोना की रफ्तार बेकाबू होती नजर आ रही है। देश की वर्तमान स्थिति ये है कि बीते एक दिन में 2 लाख नए मामले सामने आए हैं। देश में बहुत तेज रफ्तार से फैल रहे कोरोना की दूसरी के बीच देश के कई प्रमुख डॉक्टरों ने सरकार से जल्द से जल्द लॉकडाउन लगाने की अपील की है। देश में कोरोना महामारी के कारण पैदा हुए स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए अग्रणी डॉक्टरों का मानना है कि जल्द लॉकडाउन लगाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कई राज्यों में स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचों में मुश्किलें पैदा हुई हैं। इसे दुरुस्त करने के लिए देश में लॉकडाउन की जरूरत है।
कार्डियोवास्कुलर और कार्डियोथोरेसिक सर्जन नरेश त्रेहन ने कहा है कि वायरस के इस नए रूप का जवाब देने का एक मजबूत तरीका जल्द से जल्द लॉकडाउन के लिए जाना है। भारत में मेदांता अस्पताल चेन के अध्यक्ष सर्जन नरेश त्रेहान ने कहा कि जिस तरह से महाराष्ट्र ने एक निर्णय लिया है, दूसरे राज्यों को भी तेजी से कदम उठाना चाहिए क्योंकि समय बहुत कीमती है। स्थिति भयावह होती जा रही है। ये दतर और बदतर होती जा रही है। उन्होंन कहा कि वायरस के विभिन्न नए वैरियंटों ने दोगुनी गति से कोरोना का प्रसार किया है। उन्होंने आगे कहा कि यहां तक कि स्पैनिश फ्लू की दूसरी लहर बहुत विनाशकारी थी। इसी तरह कोविड-19 की इस दूसरी लहर भी खतरनाक है।हम देख रहे हैं कि प्रत्येक दिन मामलों की संख्या बहुत तेज होती जा रही है। पहली और दूसरी लहर के आंकड़ों में अंतर बहुत बड़ा है, लगभग दोगुना।
कोरोना वायरस का नया रूप, जो पहले से कहीं अधिक तेजी से फैल रहा है, इस समय युवाओं, यहां तक कि बच्चों को भी संक्रमित कर रहा है। यह पूछे जाने पर कि कोरोना वायरस के नए वैरियंट कितने खतरनाक हैं, भारतीय चिकित्सक और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के पूर्व अध्यक्ष के.के. अग्रवाल ने समाचार एजेंसी आईएएनएस को बताया कि पंजाब में बड़े पैमाने पर देखा जाने वाला ब्रिटेन का वैरियंट 45 साल से कम उम्र के युवाओं को प्रभावित कर रहा है। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और महाराष्ट्र में लोगों का पता लगाया जाता है। इनमें से भारतीय वैरियंट थोड़ा ज्यादा खतरनाक दिख रहा है।
उन्होंने कहा कि एक लहर की तरह वायरस अब पश्चिम (महाराष्ट्र) से उत्तर (दिल्ली) तक फैल रहा है…लेकिन मामलों को देखते हुए, मैं कह सकता हूं कि यूके वैरियंट खतरनाक नहीं दिख रहा है। महामारी की दूसरी लहर के प्रसार को रोकने के लिए देश में एक पूर्ण लॉकडाउन लागू करने के सवाल पर अग्रवाल ने सुझाव दिया कि क्षेत्रवार लॉकडाउन प्रभावी हो सकता है। उन्होंने कहा कि पूर्ण लॉकडाउन व्यावहारिक नहीं होगा। वास्तव में पर्याप्त समय खो गया है। हमें अब इस बात पर ध्यान केंद्रित करना है कि स्वास्थ्य सेवाओं को कैसे बेहतर हालात में वापस लाना है और मरीजों को इलाज प्रदान करना है क्योंकि भर्ती मरीजों की संख्या बहुत तेज गति से बढ़ रही है। मैं सुझाव दूंगा कि लोगों को चाहिए लक्षण दिखाई देते ही इलाज के लिए जाएं।