इस्लामिक बैकिंग घोटाले में आइजी समेत 28 पर चार्जशीट, कार्रवाई करने के बजाय दे दी थी क्लीन चिट

इस्लामिक नियमों के हिसाब से निवेश करने का झांसा देकर किए गए 4000 करोड़ रुपये के आइ-मोनेटरी एडवाइजरी यानी आइएमए बैंकिंग घोटाले (IMA scam case) में सीबीआइ ने 28 आरोपितों के खिलाफ पूरक आरोप पत्र दाखिल किया है।

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बेंगलुरु, एजेंसियां। बेंगलुरु, एजेंसियां। इस्लामिक नियमों के हिसाब से निवेश करने का झांसा देकर किए गए 4,000 करोड़ रुपये के आइ-मोनेटरी एडवाइजरी (आइएमए) बैंकिंग घोटाले में सीबीआइ ने शनिवार को 28 आरोपितों के खिलाफ पूरक आरोप पत्र दाखिल किया। आरोपितों में आइजी हेमंत निंबालकर और एसपी अजय हिलोरी जैसे वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी भी शामिल हैं। सीबीआइ का आरोप है कि कर्नाटक सरकार के राजस्व अधिकारियों के साथ इन अधिकारियों ने आइएमए के खिलाफ प्राप्त सूचनाओं और शिकायतों पर अपनी पूछताछ और जांच-पड़ताल बंद कर दी थी।

सहायक आयुक्त भी घिरे 

बताते चलें कि कंपनी के नाम में ‘आइ’ परिभाषित नहीं है, लेकिन इसका आशय ‘इस्लामिक’ माना जाता है। अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि बेंगलुरु की एक विशेष अदालत में दायर आरोप पत्र में सीबीआइ ने आइएमए के प्रबंध निदेशक मुहम्मद मंसूर खान और बेंगलुरु नॉर्थ सब डिवीजन के तत्कालीन सहायक आयुक्त एलसी नागराज सहित अन्य को भी आरोपित बनाया है।

दिग्‍गज अधिकारियों पर आरोप 

इनके अलावा, तत्कालीन डीएसपी (सीआइडी) ईबी श्रीधर, कॉमर्शियल स्ट्रीट पुलिस थाने के तत्कालीन एसएचओ एम. रमेश और थाने के तत्कालीन सब-इंस्पेक्टर पी. गौरीशंकर को भी आरोपित बनाया गया है। रिजर्व बैंक और आयकर विभाग द्वारा चेताए जाने के बावजूद आइएमए जब गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त थी तब निंबालकर सीआइडी की आर्थिक अपराध शाखा में आइजी और हिलोरी बेंगलुरु पूर्व के पुलिस उपायुक्त के रूप में पदस्थ थे।

आरोपियों को दे दी थी क्‍लीन चिट 

आइएमए का मुख्यालय कॉमर्शियल स्ट्रीट पुलिस थाने के अधिकार क्षेत्र में ही आता है। सीबीआइ ने आइएमए के निदेशकों निजामुद्दीन, नसीर हुसैन, नवीद अहमद, वसीम, अरशद खान और अफसर पाशा को भी आरोपित किया है। सीबीआइ प्रवक्ता आरके गौड़ ने कहा, आरोपितों ने कानून के तहत आवश्यक कार्रवाई नहीं की बल्कि इसके बजाय क्लीन चिट दे दी और कहा कि उक्त निजी कंपनी किसी भी गैरकानूनी गतिविधि में शामिल नहीं थी।

डूब गए थे निवेशकों के करोड़ों रुपये 

यह भी आरोप लगाया गया है कि उक्त कंपनी की अवैध गतिविधियां बेरोकटोक जारी थीं और हजारों निवेशकों के करोड़ों रुपये डूब गए थे। जांच एजेंसी ने पाया कि आरोपित पुलिस अधिकारियों ने इस वित्तीय धोखाधड़ी के लिए कथित रूप से रिश्वत ली थी। बता दें कि सीबीआइ इस मामले में इससे पहले दो आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है। शुरुआत में राज्य पुलिस मामला दर्ज कर जांच कर रही थी, लेकिन बाद में जांच सीबीआइ को सौंप दी गई थी।

दुबई भाग गया था मंसूर

यह घोटाला 2018 में सामने आया था जिसमें कंपनी ज्यादा ब्याज का लालच देकर मासिक योजना, शिक्षा योजना, विवाह योजना जैसी विभिन्न पोंजी योजनाओं के लिए गैरकानूनी तरीके से लोगों से धन एकत्रित कर रही थी। जब रिटर्न देने का समय आया तो मंसूर खान दुबई फरार हो गया था। उसे पिछले साल 19 जुलाई को प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया और गिरफ्तार कर लिया गया। वर्तमान में वह न्यायिक हिरासत में है।

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