सुप्रीम कोर्ट ने 55 साल के दोषी को माना नाबालिग, जानें क्या है मामला
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा, 1981 में हुई हत्या का आरोपी घटना के समय नाबालिग था इसलिए उसकी सजा भी जुवेनाइल बोर्ड (Juvenile Board) ही तय करेगी.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक मामले की सुनवाई के दौरान वहां मौजूद लोग उस समय हैरान रह गए जब कोर्ट ने उत्तर प्रदेश जुवेनाइल बोर्ड (Juvenile Board) से कहा कि वह तय करे कि हत्या का दोषी पाए गए 55 साल की व्यक्ति को कितनी सजा मिलनी चाहिए. कोर्ट ने कहा, 1981 में हुई हत्या का आरोपी घटना के समय नाबालिग था इसलिए उसकी सजा भी जुवेनाइल बोर्ड ही तय करेगी.
जस्टिस एस. अब्दुल नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने उत्तर प्रदेश के बहराइच कोर्ट की तरफ से सुनाई गई सजा को रद्द कर दिया. बता दें कि बहराइच कोर्ट ने आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी इस मामले में बहराइच कोर्ट से फैसले को सही माना था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि 1986 के जुवेनाइल जस्टिस ऐक्ट के तहत 16 वर्ष से ऊपर के व्यक्ति को नाबालिग नहीं माना जाता था.
बता दें कि इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साल 2018 में अपना फैसला दिया था. हाईकोर्ट के फैसले से पहले जुवेनाइल जस्टिस ऐक्ट, 2000 अस्तित्व में आ गया था. संशोधित कानून के तहत अगर अपराध के वक्त किसी आरोपी की उम्र 18 साल से कम होती है तो उसके खिलाफ मुकदमे की सुनवाई जुवेनाइल जस्टिस कोर्ट में की जाएगी. बता दें कि इसी एक्ट के तहत हत्यारोीप सत्यदेव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. हत्यारोपी ने कोर्ट मे याचिका दाखिल करते हुए कहा था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जब अपना फैसला सुनाया था तब तक जुवेनाइल जस्टिस ऐक्ट, 2000 अस्तित्व में आ चुका था. मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जज खन्ना ने माना कि अपराध क दिन सत्यदेव 18 साल से कम उम्र का था इसलिए उसे जुवेनाइल मानते हुए उस पर केस चलाया जाना चाहिए.